तुम्हारे ख्याल तुम्हारी सहजता का कब उसने ख्याल किया
अब आज अगर तुम गुमसुम हो तो सवाल क्यूँ !
तुमने तो अपना सुख दुःख एक किताब बना उसे सौंप दिया
उसे पढ़कर भी उसने तुमसे कुछ कहा नहीं तो मन का रिश्ता कैसा !
किसी रिश्ते को जोड़ने के लिए दर्द को साझा करना होता है
सिर्फ ठहाकों से रिश्तों की गाँठ मजबूत नहीं होती
चेहरे की रेखाओं को कैमरे में कैद कर सकते हैं
मन की तस्वीरें किसी ने देखी है .... ?
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एक फेसबुकी महास्त्री
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तुम पार्वती नहीं हो सकती
तुम केवल बुर्राक़ चादर से ढँका सीला पत्थर हो
जिस पर दर्प की सीलन का कब्ज़ा हो चुका है
जहाँ केवल घुटन,अँधेरा या कड़वी फफूँद जम सकती है
तुम केवल बुर्राक़ चादर से ढँका सीला पत्थर हो
जिस पर दर्प की सीलन का कब्ज़ा हो चुका है
जहाँ केवल घुटन,अँधेरा या कड़वी फफूँद जम सकती है
तुम औरत नहीं हो सकती
तुम तो एक चौखाने पाले की वह मोहरा हो
औरत के दिल को पैरों से गेंद बना कर
अपनी जैसियों की तरफ बढ़ाती,खेलती ताली बजाती हो
तुम तो एक चौखाने पाले की वह मोहरा हो
औरत के दिल को पैरों से गेंद बना कर
अपनी जैसियों की तरफ बढ़ाती,खेलती ताली बजाती हो
तुम इंसान नहीं हो सकतीं
तुम किसी के आँसू के सैलाब बाँध कर
उससे नहरें निकाल लेती हो
फिर अपने झूठे अहम की फसल सींचती हो
तुम किसी के आँसू के सैलाब बाँध कर
उससे नहरें निकाल लेती हो
फिर अपने झूठे अहम की फसल सींचती हो
तुम मेधावी नहीं हो सकती
दूसरों के मेधा की अग्नि से तुम नही जला पातीं
अपने अंदर ज्योति
पर अपनी फूहड़ता को मेधाग्नि समझ
तुम राख करती रहती हो
अपने आसपास के सूरजमुखी
दूसरों के मेधा की अग्नि से तुम नही जला पातीं
अपने अंदर ज्योति
पर अपनी फूहड़ता को मेधाग्नि समझ
तुम राख करती रहती हो
अपने आसपास के सूरजमुखी
तुम कलाकार नहीं हो सकती
तुम दूसरों को दिखाने के लिए
जीवन का अभिनय करती हो
अपनी आत्मा को निखारने के लिए
तुम कला को आत्मसात नही करती
तुम दूसरों को दिखाने के लिए
जीवन का अभिनय करती हो
अपनी आत्मा को निखारने के लिए
तुम कला को आत्मसात नही करती
हाँ तुम पार्वती का नाम ओढ़ कर
ताण्डव के रेप्लिका की आड़ में
भौंडे नाच को मुद्रा कहती हो
हाँ तुम अपने मैं की लार के सैलाब में
सारे संसार को बहा ले जाना चाहती हो
ताण्डव के रेप्लिका की आड़ में
भौंडे नाच को मुद्रा कहती हो
हाँ तुम अपने मैं की लार के सैलाब में
सारे संसार को बहा ले जाना चाहती हो
तुम साबित करती रही हो
स्वयं को शिव के डमरू की थाप
पर 2 रूपये के झुनझुने की चिल्ल पों होकर रह गयी
स्वयं को शिव के डमरू की थाप
पर 2 रूपये के झुनझुने की चिल्ल पों होकर रह गयी
बस एक बात और
तुम गाजर घास से भरा हुआ ड्रम हो
जिसके खुलते ही
जल,थल,वायु केवल प्रदूषित हो सकती है
तुम गाजर घास से भरा हुआ ड्रम हो
जिसके खुलते ही
जल,थल,वायु केवल प्रदूषित हो सकती है
मानों मेरी बात
सब चाहेंगे तुमको
तुम्हारी प्रशंसा भी करेंगे
बस एक बार
अपने स्यूडो पोडिया के सहारे
दलदल में आगे बढने की होड़ से
बाहर आकर
अपने आँखों का कीचड़ हटा कर सच को जानो
जानो और मानो
खुद को पहचानो
सब चाहेंगे तुमको
तुम्हारी प्रशंसा भी करेंगे
बस एक बार
अपने स्यूडो पोडिया के सहारे
दलदल में आगे बढने की होड़ से
बाहर आकर
अपने आँखों का कीचड़ हटा कर सच को जानो
जानो और मानो
खुद को पहचानो
2 टिप्पणियाँ:
किसी रिश्ते को जोड़ने के लिए दर्द को साझा करना होता है
सिर्फ ठहाकों से रिश्तों की गाँठ मजबूत नहीं होती
..बहुत सही ....
सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
वाह शब्द महास्त्री भी अच्छा चयन है । सुन्दर प्रस्तुति ।
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बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!