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रविवार, 29 नवंबर 2015

अपेक्षाओं का कोई अन्त नहीं - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

रात के समय एक दुकानदार अपनी दुकान बन्द ही कर रहा था कि एक कुत्ता दुकान में आया । उसके मुँह में एक थैली थी। जिसमें सामान की लिस्ट और पैसे थे। दुकानदार ने पैसे लेकर सामान उस थैली में भर दिया। कुत्ते ने थैली मुॅंह मे उठा ली और चला गया।

दुकानदार आश्चर्यचकित होके कुत्ते के पीछे पीछे गया ये देखने की इतने समझदार कुत्ते का मालिक कौन है।

कुत्ता बस स्टाॅप पर खडा रहा। थोडी देर बाद एक बस आई जिसमें चढ गया। कंडक्टर के पास आते ही अपनी गर्दन आगे कर दी। उस के गले के बेल्ट में पैसे और उसका पता भी था। कंडक्टर ने पैसे लेकर टिकट कुत्ते के गले के बेल्ट मे रख दिया। अपना स्टाॅप आते ही कुत्ता आगे के दरवाजे पे चला गया और पूॅंछ हिलाकर कंडक्टर को इशारा कर दिया। बस के रुकतेही उतरकर चल दिया।

दुकानदार भी पीछे पीछे चल रहा था।

कुत्ते ने घर का दरवाजा अपने पैरोंसे 2-3 बार खटखटाया।

अन्दर से उसका मालिक आया और लाठी से उसकी पिटाई कर दी।

दुकानदार ने मालिक से इसका कारण पूछा ।

मालिक बोला `साले ने मेरी नीन्द खराब कर दी। चाबी साथ लेके नहीं जा सकता था गधा।`

जीवन की भी यही सच्चाई है। लोगों की अपेक्षाओं का कोई अन्त नहीं है।

सादर आपका
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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

6 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुंदर कथा सुंदर बुलेटिन शिवम जी । आभारी है 'उलूक' भी सूत्र 'नहीं आया समझ में कहेगा फिर से पता है.....' को जगह देने के लिये ।

Jyoti Dehliwal ने कहा…

शिवम जी, सही कहा आपने... अपेक्षाओं का कोई अंत नहीं होता। बढिया प्रस्तुति। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

कविता रावत ने कहा…

बहुत सुन्दर सार्थक बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!

Sunil Deepak ने कहा…

छायाचित्रकार को जगह देने के लिए धन्यवाद शिवम् :)

कथा दिलचस्प है!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सच ही अपेक्षाओं का कोई अंत नहीं ... अच्छी कथा ... आभार .

शिवम् मिश्रा ने कहा…

आप सब का बहुत बहुत आभार |

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