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सोमवार, 24 फ़रवरी 2014

तीसरी पुण्यतिथि पर विशेष - अंकल पई 'अमर' है - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम | 

अनंत पई (17 सितम्बर 1929, कार्कल, कर्नाटक — 24 फरवरी 2011, मुंबई), जो अंकल पई के नाम से लोकप्रिय थे, भारतीय शिक्षाशास्री और कॉमिक्स, ख़ासकर अमर चित्र कथा श्रृंखला, के रचयिता थे । इंडिया बुक हाउज़ प्रकाशकों के साथ 1967 में शुरू की गई इस कॉमिक्स श्रृंखला के ज़रिए बच्चों को परंपरागत भारतीय लोक कथाएँ, पौराणिक कहानियाँ और ऐतिहासिक पात्रों की जीवनियाँ बताई गईं । 1980 में टिंकल नामक बच्चों के लिए पत्रिका उन्होंने रंग रेखा फ़ीचर्स, भारत का पहला कॉमिक और कार्टून सिंडिकेट, के नीचे शुरू की. 1998 तक यह सिंडिकेट चला, जिसके वो आख़िर तक निदेशक रहे ।

दिल का दौरा पड़ने से 24 फरवरी 2011 को शाम के 5 बजे अनंत पई का निधन हो गया ।

आज अमर चित्र कथा सालाना लगभग तीस लाख कॉमिक किताबें बेचता है, न सिर्फ़ अंग्रेजी में बल्कि 20 से अधिक भारतीय भाषाओं में । 1967 में अपनी शुरुआत से लेकर आज तक अमर चित्र कथा ने 10 करोड़ से भी ज़्यादा प्रतियाँ बेची हैं । 2007 में अमर चित्र कथा ACK Media द्वारा ख़रीदा गया ।

शुरुआती ज़िन्दगी और शिक्षा


कर्नाटक के कार्कल शहर में जन्मे अनंत के माता पिता का देहांत तभी हो गया था, जब वो महज दो साल के थे । वो 12 साल की उम्र में मुंबई आ गए । मुंबई विश्वविद्यालय से दो डिग्री लेने वाले पई का कॉमिक्स की तरफ़ रुझान शुरु से था लेकिन अमर चित्रकथा की कल्पना तब हुई, जब वो टाइम्स ऑफ इंडिया के कॉमिक डिवीजन से जुड़े ।

'अमर चित्र कथा'

इण्डियन बुक हाउस द्वारा प्रकाशित 'अमर चित्र कथा' 1967 से भारत का मनोरंजन करने के साथ -साथ उसे नैतिकता सिखाती आई है. इन चित्र कथाओ को शुरू करने का श्रेय जाता है श्री अनंत पई जी को. राज कॉमिक्स के लिए काम कर चुके श्री दिलीप कदम जी और स्वर्गीय श्री प्रताप मुलिक जी अमर चित्र कथा के लिए भी कला बना चुके है .

अमर चित्र कथा की मुख्य आधार होती थी लोक कथाएँ, इतिहास, पौराणिक कथाएँ, महान हस्तियों की जीवनियाँ, किवदंतियां, आदि. इनका लगभग 20 भारतीय और 10 विदेशी भाषाओ मे अनुवाद हो चुका है. लगभग 3 दशको अमर चित्र कथा देश भर मे छाई रही और अब भी इनकी प्रतियाँ प्रमुख पुस्तक की दुकानों पर मिल जायेंगी.

2007 मे ACK Media ने अमर चित्र कथा के अधिकार ले लिए और सितम्बर 2008 मे उन्होंने अमर चित्र कथा पर एक नई वेब साईट आरम्भ की.

भारतीय कॉमिक्स को लोकप्रिय और उनके माध्यम से आम लोगो तक संदेश पहुँचाने वाली अमर चित्र कथा हमेशा यूँ ही अमर रहेंगी ठीक जैसे अंकल पई अमर हो गए है !

 आज उनकी तीसरी पुण्यतिथि के अवसर पर हम सब, ब्लॉग बुलेटिन टीम और पूरे हिन्दी ब्लॉग जगत की ओर से, उनको शत शत नमन करते है !

सादर आपका 

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अब मर्ज़ी नही हमारी ... है अब.. वक्त की बारी !!!

Ashok Saluja at यादें...

कोई श्रृंगार के गीत लिखता रहा

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Dr. sandhya tiwari at परिंदा

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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!  

11 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

अंकल पई को नमन । बहुत सुंदर विषय चुना आज । सुंदर सूत्र के साथ सुंदर बुलेटिन ।

Vinay ने कहा…

धन्यवाद! :D

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

इनके साथ तो हमारा बचपन जुड़ा हुआ है!! ली फ़ॉक, साय बेरी, आबिद सुरती, गोविन्द ब्राह्मणिया... वेताल, मैण्ड्रेक, बहादुर, बेला और अमर चित्र कथा... हमारे बच्चों ने ये सब नहीं देखा!! अंकल पै को प्रणाम!!

Amrita Tanmay ने कहा…

उस जूनून की याद आ गयी जो कॉमिक्स के लिए था.. सबों की डाँट एक तरफ और अपना ये सुन्दर जहां एक तरफ. अमर हैं अपने अंकल पई .

दिगम्बर नासवा ने कहा…

अंकल पाई को नमन ...
अच्छी बुलेटिन है आज ... आभार मुझे भी स्थान देने का ...

अशोक सलूजा ने कहा…

आपके स्नेह का आभारी हूँ ,.

Dr. sandhya tiwari ने कहा…

ब्लॉग के माध्यम से दी जाने वाली श्रद्धांजलि बहुत ही अच्छी सोंच है और यह ब्लॉग को महत्वपूर्ण बनती है ..........मेरी ओर से भी अंकल पई को श्रद्धांजलि ..............

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

अमर चित्र कथाओं न पूरी पीढ़ी को संस्कृति का ज्ञान कराया है, नमन।

Archana Chaoji ने कहा…

बचपन याद आया ....

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

हमारे पास अब तक रखी हैं ढेर सारे अमर चित्र कथा...अब भी पढना अच्छा लगता है उन्हें..
बेहतरीन बुलेटिन है शिवम्.
शुक्रिया
सस्नेह
अनु

Acchisiksha ने कहा…

बहुत ही अच्छा लेख है आदरणीय |

Hindi Vyakran Samas

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