मित्रों... लम्बे अन्तराल के बाद सभी को देव बाबा की राम राम.... बहुत कुछ है कहनें को... बहुत कुछ है आपसे साझा करनें को.. लीजिए देव बाबा की वापसी आपके अपनें बुलेटिन पर....
पिछले दिनों एक सेमिनार में जानें का मौका मिला... सेमिनार भारत में सोशल इंजीनियरिंग और आजकल की स्थिति को लेकर थी। बडे बडे लोगों ने अपनें अपनें अनुभव बांटे और काफ़ी इन्फ़ार्मेटिव सेशन था। कुल मिलाकर सभी इसी बात पर आए कि भारत की बहु-जातीय व्यवस्था ही इस समाज की मजबुती की बुनियाद है। भारत की सफ़लता के पीछे इसी का ही हाथ है। मित्रों इसके बाद हम महाबलेश्वर की ओर निकल पडे और हमनें एक रात वहीं बितानें का प्लान बनाया। फ़ाईव स्टार टाईप होटल में रात में रुके और हम लोग उस रिसार्ट की सुन्दरता को देख कर मनमोहित थे। मित्रों.. रात्रि में खाना खानें के लिए अपनें बेटे के साथ रेस्तरां गये... बेटे के लिए एक प्याला दूध लिया गया जिसका बिल लगाया गया... ९५ रुपये। एक रात रुकनें के बाद अगले दिन घर वापसी की गई। रास्ते में हम एक ढाबे पर रुके... चाय के प्याले के बीच बेटे के लिए एक प्याला दूध मांगा गया। बिल देनें की बारी आई... यहां उस ढाबे वाले ने हमसे केवल चाय के पैसे लिए... बोला बच्चा दे दूध के लिए पैसा नहीं लेंगे साहब....
वैसे यही भारत की सोशल इंजीनियरिंग है और यही इंडिया और भारत का फ़र्क भी है। एक वर्ग चांद और मंगल की उडान भरता है, बहु-मंज़िली इमारत में रहता है। लैपटाप, स्मार्टफ़ोन से दुनियां के सम्पर्क में है। और एक वर्ग आज भी रोटी कपडा और मकान जैसी ज़रूरतों के लिए टकटकी लगाए बैठा रहता है। दोनों के लिए संविधान एक है... सभी के लिए न्याय एक है... लेकिन शायद सिर्फ़ कागज़ पर। सेमिनार और चर्चा व्यर्थ लगी.... समझ का फ़र्क है केवल। अमीर गरीब... ऊंच नीच... जाति और वर्ण व्यवस्था.... भारत बनाम इंडिया.... कई शब्द कई दिनों तक गूंजते रहे...
अब भाई आप लोग ही बताईए अमीर कौन है और गरीब कौन....
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तो मित्रों आज का बुलेटिन यहीं तक... कल मिलेंगे एक नये अंक के साथ
जय हिन्द
देव
6 टिप्पणियाँ:
देव, सुन्दर बुलेटिन के लिए बधाई और मुझे उसमें जगह देने के लिए धन्यवाद :)
बंधू जीवन की कविता ब्लॉग को ब्लॉग बुलेटिन में जगह देने के लिए धन्यवाद ...
बहुत सुंदर बुलेटिन सुंदर सूत्र संकलन ।
भाई हमारी निगाह मे तो वो ढाबे वाला ही सब से अमीर है |
बड़े दिनों बाद तुम्हारा लिखा पढ़ अच्छा लगा ... जारी रखो |
अमीरी गरीबी सब संस्कारों की बात है.. भारत के संस्कार फटेहाली में भी अमीर हैं और इण्डिया अपनी चकाचौन्ध में भी भिखारी!! बहुत दिनों बाद, धमाकेदार वापसी! बने रहिये!!
सुखी दुखी की गिनती हो, सुन्दर और पठनीय सूत्र।
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