Subscribe:

Ads 468x60px

कुल पेज दृश्य

सोमवार, 6 जनवरी 2014

फर्क नज़रिए का - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों ,
प्रणाम |


आज आप के सामने एक और संवाद प्रस्तुत कर रहा हूँ ...

महिला १ : तुम्हारे बेटे और बेटी की शादी हुई है, तुम्हारी बहु और दामाद कैसे हैं?
 
महिला २ : मेरी बहु तो बहुत बुरी है, रोज़ लेट उठती है और मेरा बेटा उसके लिए चाय बनाता है, घर का कोई काम नहीं करती, और जब देखो मेरे बेटे से बाहर का खाना खाने के लिए कहती रहती है।
 
महिला १ : और तुम्हारा दामाद कैसा है?
 
महिला २ : मेरा दामाद तो फ़रिश्ता है, रोज मेरी बेटी को चाय बनाकर पिलाता है और वो आराम से उठती है, उसे घर का कोई काम करने नहीं देता और उसे अक्सर बाहर खाना खिलाने ले जाता है, ऐसा दामाद सबको मिले।

इस पूरे संवाद मे दर्शाये गए नज़रिये के फर्क को महसूस कीजिएगा |

सादर आपका
=======================

रोशनी है कि धुआँ .... (4 )

वाणी गीत at ज्ञानवाणी
(तेजस्वी की कहानी को कम में समेटना चाहती थी , मगर नए किरदार जुड़ते जा रहे हैं , कैसे लिखोगी कम में , हमें अनसुना कर ! यह कहानी उपन्यासिका में ही परिवर्तित होती प्रतीत हो रही है) . *वायब्रेंट मीडिया हाउस में कार्यरत तेजस्वी के उत्साह पर सामान्यतः ऑफिस में होने वाली राजनीति ने उदासी के छींटे डाले। घर से बाहर की विचित्र दुनिया से रुबरु होते हुए तेजस्वी का सफ़र जारी है.…* अब आगे --- माँ ने पहले से ही उसके सलवार कमीज हैंगर पर लटका रखे थे। जल्दी तैयार हो जाओ ,हमें काफी देर हो चुकी है। खाने के समय कार्यक्रम में पहुंचना अच्छा नहीं लगता। हाथ मुंह धोकर क्रीम और पीले रंग के अनारकली सू... more » 

सिर किसी की आँख फोड़ कर गया ...

राह में चिराग छोड़ कर गया जो हवा के रुख को मोड़ कर गया क्योंकि तय है आज रात का मिलन जुगनुओं के पँख तोड़ कर गया बेलगाम भीड़ का वो अंग था सिर किसी की आँख फोड़ कर गया जुड़ नहीं सका किसी की प्रीत में दिल से दर्द जो निचोड़ कर गया गुनगुना रहें हैं उसके गीत सब जो ज़मीं से साथ जोड़ कर गया मखमली लिबास में वो तंग था सूत का कफ़न जो ओढ़ कर गया  

"आप" मुझे दिल्ली ही रहने दें .. प्लीज !

महेन्द्र श्रीवास्तव at आधा सच...
रोजाना कुछ ऐसी बातें होती हैं कि खुद को रोक नहीं पाता और चला आता हूं आप सबकी अदालत में एक नई जानकारी के साथ। कुछ मित्रों की सलाह थी कि कुछ दिन केजरीवाल साहब को काम करने दीजिए, फिर उनकी समीक्षा की जाएगी। मैने सोचा बात भी सही है, मौका तो मिलना ही चाहिए। लेकिन रोज कुछ ना कुछ ऐसा हो रहा है, जिससे मजबूर होकर इनके बारे में लिखना जरूरी हो जाता है। अब देखिए ...."आप "के मंत्री रात को रैन बसेरा की हालत देखने जाने के पहले इलेक्ट्रानिक मीडिया के दफ्तर में फोन करते हैं। पूछते हैं कि नाइट शिफ्ट का रिपोर्टर आफिस आ गया है क्या ? जब आफिस से बताया जाता है कि हां आ गया है, तो कहा जाता है कि उसे भेज ... more » 

एहसान फरामोश कठपुतलिया...

ये दौर है एहसान फरामोश कठपुतलियों का ?या बागी होने को बेताब कठपुतलियों का ? कल तक जिनके दामन में , मैंने फूल बरसाए थे। वो देखो आज बिछाते है , मेरी राहो... जाने कितने बादल आये,गरजे बरसे चले गए, मै भी एक छोटा सा बादल,बिन बरसे ही मै भटक रहा..। प्रस्तुत है ताजी प्रविष्टियाँ 

अमित श्रीवास्तव ....... " केहि विधि प्यार जताऊं ..........."

निवेदिता श्रीवास्तव at संकलन
कबहुँ आप हँसे , कबहुँ नैन हँसे , कबहुँ नैन के बीच , हँसे कजरा । कबहुँ टिकुली सजै , कबहुँ बेनी सजै , कबहुँ बेनी के बीच , सजै गजरा । कबहुँ चहक उठै , कबहुँ महक उठै , लगै खेलत जैसे, बिजुरी औ बदरा । कबहुँ कसम धरें , कबहुँ कसम धरावै , कबहूँ रूठें तौ , कहुं लागै न जियरा । उन्है निहार निहार , हम निढाल भएन , अब केहि विधि ,. प्यार जताऊं सबरा । ..... अमित श्रीवास्तव  

मयख़ाने में थू...थू !

मुनीश ( munish ) at मैख़ाना
बेशक़ किसी भी कवि को खुल कर कुछ भी कहने की छूट होनी चाहिए किसी भी सभ्य समाज में । जिसे पोयटिक लायसेंस कहा जाता है उसका हक़ है उसे । लेकिन भले ही वो मज़ाहिया या तंज़िया कविता क्यों न हो उसके दायरे से बाहर किसी को हक़ नहीं बनता किसी भी धर्म के विरुद्ध कोई कटाक्ष करने का । क्या हिन्दी कविता अब इस मरहले पै आ गई कि लोगों को हँसाने रिझाने के लिए मज़हबी तंज़ का सहारा लेना पड़े ? मैं हिन्दी कवि कुमार विश्वास द्वारा शिया समुदाय के प्रति की गई व्यंग्यात्मक टिप्पणी की भर्त्सना करता हूँ । मैं थूकता हूँ इस प्रवृत्ति पर जो कवि-कर्म का सहारा लेकर समाज में फूट डालने का गंदा काम करती है । 

जनवरी माह के महत्वपूर्ण दिवस

- *9 जनवरी - प्रवासी भारतीय दिवस * - *10 जनवरी - विश्व हिन्दी दिवस, विश्व हास्य दिवस* - *12 जनवरी - स्वामी विवेकानन्द जी का जन्म दिवस, राष्ट्रीय युवा दिवस * - *15 जनवरी - थल सेना दिवस* - *23 जनवरी - नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जन्म दिवस* - *24 जनवरी - राष्ट्रीय बालिका दिवस* - *25 जनवरी - भारत पर्यटन दिवस* - *26 जनवरी - भारत का गणतन्त्र दिवस, युगांडा का स्वतन्त्रता दिवस, ऑस्ट्रेलिआ का स्थापना दिवस, अन्तर्राष्ट्रीय सीमा शुल्क दिवस* - *27 जनवरी - विध्वंस (Holocaust) का शिकार लोगों की स्मृति में संयुक्त राष्ट्र दिवस* - *30 जनवरी - राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की... more »

पुराने ख़त

नीलिमा शर्मा at निविया
आज सुबह से व्यस्त हूँ पुरानी अलमारी में रखे खतो को संजोने में कितनी खुशबुए मेरे इर्द गिर्द सम्मोहित कर रही हैं मुझे वोह प्यार का पहला ख़त मुझे मिलने के बाद पहली ही रात को लिखा और उस दिन बजता आल इंडिया रेडियो पर गाना " कभी आर कभी पार लगा तीरे नजर" मेरे जन्मदिन पर लिखे अनेको ख़त जिसमे से सिर्फ एक पोस्ट किया था मुझे और अंत में फिर से आल इंडिया रेडियो फिर से साथ था तुम्हारे लफ्जों में "तुम जो मिल गये हो तो यह लगता हैं " वोह विवाह पूर्व का करवाचौथ और तुम्हारा ख़त अगले साल हम दोनों साथ होंगे इस दिन और तुम मेरे लिय सजोगी उस दिन और इस बार भी अंतिम लाइन आल इंडिया रेडियो के सौजन्य से " मांग के... more »

चुकता ही नहीं टूटे चाँद का दर्द भरा प्याला !!

*चुकता ही नहीं टूटे चाँद का दर्द भरा प्याला !!--------------------------------------------उफ़ ये क्या कर दिया तुमने ?धूप को जुल्फों में भटकने दोउम्र के पौधे तो परवान चढ़ते ही हैकोई सीमा रेखा नहीं --कुछ मत सोचोइच्छाएं अपना रास्ता जानती हैउन्हें क्यूँ रोकना -किसलिए रोकनाइसका कोई औचित्य ही नहींवक्त पर छोड़ दो वो संभालेगाजिंदगी बहती हुई खारी नदी है --कभी शांत तो कभी मचलती हुईकभी दर्द बहा ले जाती हैतो कभी सूखे जख्मो कीउधड़ी   

Doll houses - Case delle bambole - गुड़िया घर

[image: Capetown seen from plane, South Africa - images by Sunil Deepak, 2014] [image: Capetown seen from plane, South Africa - images by Sunil Deepak, 2014] [image: Capetown seen from plane, South Africa - images by Sunil Deepak, 2014] Cape Town, South Africa: As our plane descended towards the airport, below I could see colourful houses like those for the dolls. केप टाउन, दक्षिण अफ्रीकाः जब हमारा जहाज़ हवाई अड्डे पर उतरने लगा तो नीचे रंग बिरंगे छोटे छोटे गुड़िया के घरों जैसे दिख रहे थे. Città del Capo, Sud Africa: Quando il nostro aereo scendeva verso l'aeroporto, sotto si vedevan... more »

तसव्वुर-ए-ज़िंदगी...

आपका यहाँ यूं होना और मेरा लिखा पढ़ना किसी संयोग से कम नहीं... इस 7 अरब की दुनिया में आप मुझे ही क्यूँ पढ़ना चाहते हैं, ऐसा क्या है यहाँ... यहाँ तो सबकी ज़िंदगी ही एक कहानी है, अपनी कहानियों से इतर दूसरों की कहानियों में इतनी दिलचस्पी क्यूँ भला... 50 करोड़ स्क्वायर किलोमीटर की इस धरती पर मुश्किल से 20 स्क्वायर फीट की जगह घेरा एक इंसान कंप्यूटर पर बैठा कुछ खिटिर-पिटिर कर रहा है, अपनी ज़िंदगी के पन्नों को उलट पुलट कर देख रहा है, उसे इस इन्टरनेट की दीवार पर बैठे बैठे झांकना क्यूँ पसंद है आपको... यहाँ तो आलम ये है कि मेरे घर का आईना भी मेरी शक्ल से ऊब सा गया लगता है, दीवारों की सीलन भी आंसुओ... more » 

अनुभव

Apanatva at Apanatva
मैंने चुप्पी से कभी कभी शव्दो को मात खाते देखा है बहुत कुछ जाता है सुधर जब मौन हो जाता है मुखर  

आँटी पुलिस बुला लेगी- गंदी बात गंदी बात!!

कनाडा की शाम को आजतक पर “दिल्ली की आप सरकार की सबसे कम उम्र की महिला व बाल विकास मंत्री राखी बिड़ला” (बाकी मंत्रियों के लिए मात्र विभाग के साथ मंत्री लिए देने से भी चल जाता है) की कार पर हुए धातक हमले, जिसमें संयोग से वे पूरी तरह सुरक्षित रहीं, के चरम के बारे में पढ़ रहा था; हल्ले गुल्ले के बाद समाचार का निष्कर्ष अंतिम पैरा में: *क्या बच्चे की गेंद से टूटा गाड़ी का शीशा**?* *सूत्रों के हवाले से पता चला है कि कार का शीशा क्रिकेट खेल रहे एक बच्चे की गेंद से टूटा था. घटना के बाद हुई पुलिस पूछताछ से ये बात सामने आई है कि इलाके में एक घर की छत पर क्रिकेट खेल रहे बच्चे की गेंद से कार का श... more »

थार साइकिल यात्रा: जैसलमेर से सानू

नीरज कुमार ‘जाट’ at मुसाफिर हूँ यारों
इस यात्रा वृत्तान्त को शुरू से पढने के लिये यहां क्लिक करें। ट्रेन डेढ घण्टे की देरी से जैसलमेर पहुंची। पोखरण तक यह ठीक समय पर चल रही थी लेकिन उसके बाद हर स्टेशन पर बडी देर देर तक रुकी। एक बार जैसलमेर-जोधपुर पैसेंजर क्रॉस हुई, इसके बाद जैसलमेर-लालगढ एक्सप्रेस, फिर एक और, फिर एक भी नहीं, बस ऐसे ही खडी रही। नटवर का फोन आता रहा- कहां पहुंचा? पोखरण। कुछ देर बाद फिर पूछा। कहां पहुंचा? ओडानिया... लाठी... चांदण। और आखिरकार जब जैसलमेर की सूचना दी तो बोला कि जल्दी बाहर निकल, मैं स्टेशन के बाहर प्रतीक्षा कर रहा हूं। पार्सल वालों ने साइकिल को पार्सल डिब्बे से बाहर निकाला। बेचारी लगभग खाली डिब्... more »

पायो जी मैंने राम रतन धन पायो .....

Anupama Tripathi at anupama's sukrity
एक कलाकार कल्पना शील होता है !कुछ नया सोचना और उसको पूरा करना, इसी प्रयास मे लगा रहता है ! मेरे अंदर का कलाकार भी मुझे कभी सुस्ताने नहीं देता !!पिछले कई दिनों से अपने एक सपने को साकार करने मे प्रयासरत थी!! आप सभी के लिए अपनी एक औडियो सी डी तैयार की है बहुत उम्मीद है आप पसंद करेंगे ...!! आठ गाने हैं ! 1-पायो जी मैंने राम रतन धन पायो - lyrics-traditional 2-ओ श्यामा भव सागर पार कराओ lyrics -Anupama tripathi 3-सखी साजन अबहुन आए lyrics-Ashish Rai 4-श्याम ने न आवन की ठानी-lyrics-Anupama Tripathi 5-आज रात चाँद को lyrics-Shobha Shrivastava 6-घिर आई कारी बदरिया lyrics-traditional 7- पिया ... more » 
======================= 
अब आज्ञा दीजिये ...
 
जय हिन्द !!!

23 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बहुत ही सुंदर और उम्दा सूत्र ! सुंदर बुलेटिन !

रश्मि प्रभा... ने कहा…

यह नज़रिया बहुत देखने को मिलता है - बात या तो दोनों सही या दोनों गलत ! खैर, लिंक्स तो हमेशा अच्छे होते हैं

Dwarika Prasad Agrawal ने कहा…

सराहनीय प्रयास आपका, इसी को कहते हैं गागर में सागर..बधाई.

नीलिमा शर्मा Neelima Sharma ने कहा…

koi kitnaa bhi kahe rishto mei farq hameshaa rahta hain .meri rachnaa ko shamil kiye jaane ka shukriyaaaaaaaa

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

अच्छे लिंक्स हैं
मुझे शामिल करने के लिए आभार

Apanatva ने कहा…

sarahneey kadam

shikha varshney ने कहा…

उसूल अपने लिए कुछ दूसरे के लिए कुछ .. यही रीत हो गई है.
बढ़िया बुलेटिन. सूत्र देखते हैं अभी.

Anupama Tripathi ने कहा…

बिलकुल सही बात की ओर इशारा किया ....!!बहुत बढ़िया बुलेटिन है ...उम्दा लिंक्स ...बहुत आभार शिवम भाई मेरी सी डी की चर्चा यहाँ की ....!!

Sunil Deepak ने कहा…

धन्यवाद ब्लाग बुलेटिन व शिवम :)

Dr. sandhya tiwari ने कहा…

sundar links ..........

बेनामी ने कहा…

बहुत सुन्दर व् सार्थक अभिव्यक्ति .नव वर्ष २०१४ की हार्दिक शुभकामनायें .

Udan Tashtari ने कहा…

बेहतरीन लिंक्स,,,आभार!!

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

नज़रिए का फ़र्क महसूस किया। तेजस्वी की कहानी आज ही पढ़़ी। अच्छी लग रही है। दूसरे लिंक्स भी पढ़ता हूँ।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बात है दृष्टिकोण की, सुन्दर और पठनीय सूत्र।

दिगम्बर नासवा ने कहा…


बड़े ही सुन्दर सूत्र .... आभार मुझे भी शामिल करने का ...

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

सभी लिंक्स पढ़े। कुछ बहुत ही अच्छे हैं।

शिवम् मिश्रा ने कहा…

आप सब का बहुत बहुत आभार |

vandana gupta ने कहा…

links to bahut badhiya dikh rahe hain ..........koshish karungi aaj padhne ki din me

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

वाह...बहुत बढ़िया लिंक....आप को मेरी ओर से नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...

नयी पोस्ट@एक प्यार भरा नग़मा:-कुछ हमसे सुनो कुछ हमसे कहो

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

मुस्कुरा रहा हूँ... और बहुत थकान है फिर भी कोशिश करता हूँ लिंक्स देखने की!!

कविता रावत ने कहा…

बहुत बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति ..

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

लगभग सब देख लिया और कुछ पर कमेण्ट्स भी किये!!

वाणी गीत ने कहा…

नजरिये का फर्क तो है !
पोस्ट शामिल करने का बहुत आभार !

एक टिप्पणी भेजें

बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!

लेखागार