आज छुट्टी है .... तो बच्चों के लिए कुछ होना ज़रूरी है . है न बच्चों ? बोलो - हाँ
अरे बोलो बोलो ............ नाराज़ हो ? कि अब तक क्यूँ नहीं सोचा ....... प्यारे बच्चों तुम्हें पता ही नहीं कि सब कितना सोचते हैं, मैं तो एक झलक उठाकर लाई हूँ . अब हंस भी दो और सबसे पहले यह गाना सुनो और फिर धीरे धीरे आगे बढ़ते जाओ -
अब मुझसे पक्की दोस्ती हुई न ? कोशिश करुँगी - फिर आऊं कुछ जादू लेकर :)
8 टिप्पणियाँ:
बालमन का उनकी भावनाओं का सुंदर संयोजन
बहुत सुन्दर लिंक्स रशिम जी | बधाई
बच्चों के दिल को लुभाने का दिलकश अंदाज़!
अरे वाह ..बहुत बढ़िया बुलेटिन ...
सुन्दर संकलन..
बच्चे मन के सच्चे !
बहुत सुंदर !
बच्चों पर शानदार बुलेटिन पेश की है आपने। आभार :)
नया लेख :- पुण्यतिथि : पं . अमृतलाल नागर
अरे वाह रश्मि दीदी आज तो आपने बचपन की न जाने कितनी यादें ताज़ा कर दी खास कर इस गाने से जुड़ी हुई ... पापा सहगल साहब के बहुत पक्के मुरीद है तो घर मे सहगल साहब के गाने पहले भी खूब बजते थे और अब भी अक्सर बजते है ... सब से ज्यादा इस गाने को मैंने पापा को खुद गाते सुना है ... मुझे बहलाने के लिए ... ;) वो दिन भी क्या दिन थे !!
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