प्रिय ब्लॉगर मित्रों ,
प्रणाम !
आज ८ फरवरी है ... आज ग़ज़ल सम्राट स्व॰ जगजीत सिंह साहब की जयंती है ... कल रात १२ बजते ही जैसे ही तारीख बदली सब से पहले गूगल ने सिंह साहब को सलाम किया ... अपने ही खास अंदाज़ मे ... आप भी देखिये ...
जगजीत सिंह किसी परिचय के मोहताज नहीं ... गुलजार साहब उनके बारे मे कुछ यूं बयां करते है ...
एक बौछार था वो -
एक बौछार था वो शख्स
बिना बरसे
किसी अब्र की सहमी सी नमी से
जो भिगो देता था
एक बौछार ही था वो
जो कभी धूप की अफ़शां भर के दूर तक
सुनते हुए चेहरों पे छिड़क देता था...
नीम तारीक से हॉल में आँखें चमक उठती थीं
सिर हिलाता था कभी झूम के टहनी की तरह
लगता था झोंका हवा का है
कोई छेड़ गया है..
गुनगुनाता था तो खुलते हुए बादल की तरह
मुस्कुराहट में कई तर्बों की झनकार छुपी थी
गली क़ासिम से चली एक ग़ज़ल की झनाकर था वो
एक अवाज़ की बौछार था वो
एक बौछार था वो शख्स
बिना बरसे
किसी अब्र की सहमी सी नमी से
जो भिगो देता था
एक बौछार ही था वो
जो कभी धूप की अफ़शां भर के दूर तक
सुनते हुए चेहरों पे छिड़क देता था...
नीम तारीक से हॉल में आँखें चमक उठती थीं
सिर हिलाता था कभी झूम के टहनी की तरह
लगता था झोंका हवा का है
कोई छेड़ गया है..
गुनगुनाता था तो खुलते हुए बादल की तरह
मुस्कुराहट में कई तर्बों की झनकार छुपी थी
गली क़ासिम से चली एक ग़ज़ल की झनाकर था वो
एक अवाज़ की बौछार था वो
ब्लॉग बुलेटिन की पूरी टीम और पूरे ब्लॉग जगत की ओर से ग़ज़ल सम्राट स्व ॰ जगजीत सिंह साहब को शत शत नमन !
सादर आपका
शिवम मिश्रा
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ग़ज़ल सम्राट शत शत नमन
** * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * ** ** ** ** ** ** * *ग़ज़ल सम्राट जगजीत सिंह के जन्मदिन पर उनको शत शत नमन .इस अबसर पर पेश है आज एक अपनी पुरानी ग़ज़ल जिसे देख कर खुद जगजीत सिंह जी ने संतोष ब्यक्त किया था . ये मेरे लिए किसी पुरस्कार से कम नहीं था। कल तलक लगता था हमको शहर ये जाना हुआ * *इक शख्श अब दीखता नहीं तो शहर ये बीरान है * *बीती उम्र कुछ इस तरह कि खुद से हम न मिल सके* *जिंदगी का ये सफ़र क्यों इस कदर अंजान है* *गर कहोगें दिन को दिन तो लोग जानेगें गुनाह * *अब आज के इस दौर में दिखते नहीं इन्सान है * *इक दर्द का एहसास हमको हर समय मिलता रहा * ... more »
जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई ......
रोती रही रात झरती रही मेंह सिमट आई बूंदे मेरी आखों और सारी कायनात की हथेली पर ये तेरी याद थी मेरे साथ-साथ जिसने रूलाया आस्मां को भी.... बेसबब रोने की वजह देने वाले ऐ दिलकश आवाज के मालिक तू मुझे बहुत याद आता है........ जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई ......... तस्वीर--साभार गूगल
अफ़साने बुनती रूहानी आवाज़
आज अफ़साने बुनती रूहानी आवाज़ के धनी, जगजीत सिंह की जन्मतिथि है। सम्मानस्वरुप गूगल ने भी अपने सर्च पेज पर उनकी तस्वीर चस्पा की है। जो यह बता रही है कि गज़ल गायकी के सम्राट आज भले ही सशरीर इस दुनिया में नहीं हैं पर उनकी मर्मस्पर्शी आवाज़ के कायल लोगों की गिनती में कोई कमी नहीं आई है। गूगल के अनुसार ग़ज़ल गायकों की सूची में जगजीत सिंह को इस साल सबसे ज्यादा लोगों ने खोजा। यह समाचार बहुत खास है। क्योंकि जगजीत को किसी अन्य सैलीब्रिटी, किसी चर्चित चेहरे के तौर पर नहीं खोजा गया होगा । उन्हें तलाशते हुए हर पीढी के लोग कहीं न कहीं उस आवाज़ को खोज रहे होंगें जो तलाशने वालों को खुद अपने ... more »
ग़ज़ल सम्राट स्व ॰ जगजीत सिंह साहब की जयंती पर विशेष
*जगमोहन सिंह (**जगजीत सिंह - *८ फ़रवरी १९४१ - १० अक्टूबर, २०११) का नाम बेहद लोकप्रिय ग़ज़ल गायकों में शुमार हैं। उनका संगीत अंत्यंत मधुर है, और उनकी आवाज़ संगीत के साथ खूबसूरती से घुल-मिल जाती है। खालिस उर्दू जानने वालों की मिल्कियत समझी जाने वाली, नवाबों-रक्कासाओं की दुनिया में झनकती और शायरों की महफ़िलों में वाह-वाह की दाद पर इतराती ग़ज़लों को आम आदमी तक पहुंचाने का श्रेय अगर किसी को पहले पहल दिया जाना हो तो जगजीत सिंह का ही नाम ज़ुबां पर आता है। उनकी ग़ज़लों ने न सिर्फ़ उर्दू के कम जानकारों के बीच शेरो-शायरी की समझ में इज़ाफ़ा किया बल्कि ग़ालिब, मीर, मजाज़, जोश और फ़िराक़ जैसे शा... more »
जन्म दिवस : डॉ. जाकिर हुसैन
आज हमारे देश के विश्वविख्यात नेता तथा शिक्षाशास्त्री डॉ . जाकिर हुसैन जी का 116 वां जन्म दिवस है। ये भारत के तीसरे राष्ट्रपति थे। जाकिर जी का जन्म 8 फरवरी, 1897 को हैदराबाद (आंध्र प्रदेश) में एक पठान परिवार में हुआ था। कुछ समय बाद इनका परिवार उत्तर प्रदेश रहने आ गया था। जाकिर जी बहुत बुद्धिमान और प्रतिभावान छात्र थे इन्होंने इटावा (उत्तर प्रदेश) से हाई स्कूल की परीक्षा पास करके, उच्च शिक्षा के लिए अलीगढ़ विश्वविद्यालय गए जहाँ से इन्होंने एम.ए. की परीक्षा पास करी। महात्मा गाँधी से प्रभावित होकर इन्होंने अपना जीवन राष्ट्र को समर्पित कर दिया। 1920 में इनके अथक प्रयासों से ही दिल्ली... more »
माँ - बेटी
*यहाँ आपको मिलेंगी सिर्फ़ अपनों की तस्वीरें जिन्हें आप सँजोना चाहते हैं यादों में.... ऐसी पारिवारिक तस्वीरें जो आपको अपनों के और करीब लाएगी हमेशा...आप भी भेज सकते हैं आपके अपने बेटे/ बेटी /नाती/पोते के साथ आपकी **तस्वीर साथ ही आपके ब्लॉग की लिंक ......बस शर्त ये है कि स्नेह झलकता हो **तस्वीर में... * *आज की तस्वीर में मैं श्रीमती भट्टाचार्य के साथ हूँ,जो मेरी मकान मालकिन थी- राँची में ... इस बार हम १९ साल बाद मिले थे ....इसके बारे में मेरे ब्लॉग "मेरे मन की" पर फिर कभी अभी सिर्फ़ फोटो---* * मेरा ब्लॉग - मेरे मन की *
एक दिन पुस्तक मेले के नाम …………2013
दिल गुलशन गुलशन हो गया जब दोस्तों का साथ मिल गया किताबों से नाता जुड गया यूँ मन का कँवल खिल गया कल पुस्तक मेले के सफ़र में सबसे पहले अन्दर कदम रखते ही आनन्द द्विवेदी जी से मुलाकात हो गयी वो जा रहे थे वापस और हम तो अभी आये ही थे लेकिन छोटी सी मुलाकात ही काफ़ी खुशगवार रही…………वैसे भी दोस्तों से मुलाकात कैसी भी हो खुशगवार ही होती है………उसके बाद हाल 12 से हमने अपने सफ़र की शुरुआत की और पहुँचे सीधे हिंद युग्म के स्टाल पर जहाँ अपने दोस्तों की पुस्तकों का तो अवलोकन किया ही उनसे मुलाकात भी हुयी जिनमें मुकेश कुमार सिन्हा, इंदु सिंह , राकेश कुमार जी, सुनीता शानू आदि शामिल थे ………उसके बाद हमारे क... more »
भारत माँ को नमन
कार्टूनिस्ट अनिल भार्गव अंकल ने यह प्यारा सा स्केच मेरे फेसबुक वाल पर शेयर किया है | मुझे बहुत अच्छा लगा तो हमेशा के लिए अपने ब्लॉग पर सहेज लिया | उन्हें ढेर सारा धन्यवाद | आप सबको कैसा लगा, भारत माँ का यह मनमोहक स्केच :)
पुस्तकें और पाठक
संवाद स्थापित करना प्राणी की अनिवार्य और महत्वपूर्ण आवश्यकता है. अगर हम यह कल्पना करें कि जब संवाद स्थापित करने के साधन नहीं थे तो जीवन कैसा रहा होगा ? संवाद करना सिर्फ मनुष्य की ही नहीं, प्राणी मात्र की आवश्यकता है. हर एक प्राणी अपने भाव को प्रकट करता है और उसे प्रकट करने के लिए वह किसी ख़ास शैली का प्रयोग करता है. संवाद प्रत्यक्ष और परोक्ष दोनों तरह से स्थापित किया जा सकता है. संवाद स्थापित करने के लिए लिखित, मौखिक और सांकेतिक विधियां मुख्य रूप से प्रयोग में लायी जाती रही हैं. हालाँकि इनकी कोई सीमा नहीं निर्धारित की जा सकती, लेकिन यह तीन विधियां प्रारंभ से प्रचलन में रही more »
" जी मेल कैसे हो .........."
कभी कभी किसी से पहली मुलाकात में ही कुछ यूँ लगता है जैसे उसे सदियों से जानते हों या सदियों पुराना उससे कोई रिश्ता हो और कुछ ऐसे भी होते हैं जिन्हें बरसों से जानते हैं फिर भी उनसे बात करने में हमेशा अजनबीपन लगता है । इसी को शायद ट्यूनिंग , मेंटल कॉम्पैटिबिलीटी या इम्पीडेंस मैचिंग कहते हैं । वैसे अगर एक दूसरे को थोडा समझ कर दिल से महसूस करने की कोशिश की जाए तो बात अक्सर बन सकती है पर अधिकतर हम एक दूसरे की छोटी सी बात को भी इग्नोर नहीं कर पाते और दिल मिलते मिलते बेमेल हो जाते हैं । आज के युग में आपस में संवाद तो 'जीमेल' से प्रति क्षण होता रहता है परन्तु 'जी' का मेल कभी नहीं हो पाता ।... more »
==========================रिश्वत लिए वगैर...
रिश्वत लिए वगैर... टिप्पणी नही करेगें अब बिना लिये वगैर, हम दाद नही देगें , कुछ खाए पिए वगैर! टिप्पणी विहीन रचना को श्रीहीन समझिए, त्यौहार मुहर्रम का हो , जैसे ताजिऐ बगैर! लेख लिख टुकड़े में कर कविता है बनाते कविताए नही चलेगी,तुकबंदी किये बगैर क्या हो रहा आज, कविता के नाम पर गजलें नही चलेंगी बिना काफिऐ बगैर! उत्तर की प्रतीक्षा में , है एक प्रश्न यह भी कवि क्यों नही सुनते,कविता पिए बगैर! जीवन के हर क्षेत्र में रिश्वत है जरूरी फिर रहे धीर क्यों रिश्वत लिये बगैर! DHEERENDRA,"dheer"
अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
13 टिप्पणियाँ:
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति..
इस अद्भुत बुलेटिन में शामिल होना सुखद लगा .... धन्यवाद शिवम...
बहुत दिनों मेरी रचना को ब्लॉग बुलेटिन में स्थान देने के लिए शुक्रिया,,,
इतने उत्तम संकलित पोस्टों से मेरी बेमेल पोस्ट का भी जी मेल करा दिया ,आपने शिवम् जी , आभार ।
सुन्दर प्रस्तुति |
जगजीत जी को सादर नमन |
जगजीत सिंह की जगह कभी कोई नहीं ले पायेगा, उनके जन्मदिन पर यह बुलेटिन सुकून दे गया.
बहुत शानदार बुलेटिन....यूं भी आज जगजीत की याद उनके चाहने वालों को बेतरह सता रही है...ऐसे में उनके बारे में पढ़ना सुखद है....मेरी पंक्तियों को शामिल करने के लिए धन्यवाद
.सराहनीय ये क्या कर रहे हैं दामिनी के पिता जी ? आप भी जाने अफ़रोज़ ,कसाब-कॉंग्रेस के गले की फांस
बहुत ही सुंदर बुलेटिन ..... मुझे और चैतन्य को शामिल करने का आभार
बेहतरीन प्रस्तुति ....जगजीत जी को आपने एक ख़ास अंदाज में याद किया ...इसके लिए आपका शुक्रिया.....!
सुन्दर और लाजवाब बुलेटिन। मुझे शामिल करने के लिए धन्यवाद।
आप सब का बहुत बहुत आभार !
nice
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बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!