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मंगलवार, 26 फ़रवरी 2013

दिल विल प्यार व्यार ....


तुमने किसी से कभी प्यार किया ??????????????
किसी को दिल दिया ??????????
मैंने भी दिया वर्षों पहले .......................... :) सुरक्षा के वादे से परे ..........
नाम?
नाम गुम जायेगा 
चेहरा बदल जायेगा 
इक प्यार ही पहचान है 
जब तक है 



दिल विल 
प्यार व्यार तब होता है 
जब उम्र 16 की होती है !
चाल-ढाल 
सब ऐंवे हो जाती है 
पूरी फ़िज़ा सावन के अंधे के नाम होती है !
निवाला,पानी 
सब बैरी हो जाते हैं 
बेवजह तारों को गिनना अच्छा लगने लगता है 
पापा अकबर 
और अपना वजूद सलीम और अनारकली नज़र आता है 
'प्यार किया तो डरना क्या ....'
सुनते ही 
झांसी की रानी मन के घोड़े पर लगाम कसती हैं 
घोड़ा भी ऐसा वैसा नहीं 
चेतक बन जाता है 
पवन वेग से उड़ता है .
परिवार के सदस्यों के आगे 
मनोभावना गाती है -
'पर्दा नहीं जब कोईईईई ख़ुदा से ........'
समाज के आगे ऐंठा थोबड़ा कहता है 
'दुश्मन है ज़माना ठेंगे से ...'
16 साल की उम्र खुद को बहुत समझदार समझती है 
तख्तोताज को ठुकराने की हिम्मत 
बाद में अनारकली को छड़ी से मारती है 
और अनारकली भी कनीजवाली 
सारी गालियाँ दे जाती है ... 
ठहराव होता है 
पर बहुत कम 
..... यूँ ही 16 साल स्वीट नहीं होता !
स्वीट - एकदम हवा मिठाई की तरह .........................


अब एक गंभीर प्यार - सिर्फ एहसास ....


सुनो प्यार,

तुमने कहा था जाते-जाते कि शर्ट धुलवाकर और प्रेस करवाकर रख देना। अगली बार आऊंगा तो पहनूँगा। लेकिन वो तबसे टंगी है अलगनी पर, वैसी ही गन्दी, पसीने की सफ़ेद लकीरों से सजी। मैंने नहीं धुलवाई।

उससे तुम्हारी खुशबू जो आती है।

*** *** ***

तुम्हारा रुमाल, जो छूट गया था पिछली बार टेबल पर। भाई के आने पर उसे मैंने किताबों के पीछे छिपा दिया था। आज जब किताबें उठाईं पढ़ने को, वो रूमाल मिला।

मैंने किताबें वापस रख दीं। अब रूमाल पढ़ रही हूँ।

*** *** ***

तुम्हारी तस्वीर जो लगा रखी है मैंने दीवार पर, उसे देखकर ट्यूशन पढ़ने आये लड़के ने पूछा, “ये कौन हैं आपके” मुझसे कुछ कहते नहीं बना।

सोचा कि अगली बार आओगे, तो तुम्हीं से पूछ लूँगी।

*** *** ***

सुनो, पिछली बार तुमने जो बादाम खरीदकर रख दिए थे और कहा था कि रोज़ खाना। उनमें घुन लग गए थे, फ़ेंक दिए। अगली बार आना तो फिर रख जाना।

खाऊँगी नहीं, तो देखकर याद ही करूँगी तुम्हें।

*** *** ***

तुमने फोन पर कहा था, “अब भी दिन में पाँच बार चाय पीती हो। कम कर दो। देखो, अक्सर एसिडिटी हो जाती है तुम्हें।” मैंने कहा, “कम कर दी।”

पता है क्यों? खुद जो बनानी पड़ती है।

*** *** ***

हम अक्सर उन चीज़ों को ढूँढ़ते हैं, जो मिल नहीं सकतीं और उनकी उपेक्षा कर देते हैं, जो हमारे पास होती हैं। मैंने कभी तुम्हारे प्यार की कद्र नहीं की। सहज ही मिल गया था ना।

अब नहीं करूँगी नाराज़ तुम्हें, तुम्हारी कसम। एक बार लौट आओ।

*** *** ***

इस दुनिया में कोई शान्ति ढूँढ़ता है, कोई ज्ञान, कोई भक्ति, कोई मुक्ति, कोई प्रेम। मैं तुमसे तुम्हारा ही पता पूछकर तुमको ढूँढ़ती हूँ और खुद खो जाती हूँ।

मुझे ढूँढ़ दो ना।


खामोश दिल की सुगबुगाहट से प्यार यूँ मिलता है 

तुम अक्सर मेरी कविताओं में आती हो,
माटी के डिबिये की रौशनी में,
सकुचाती हो, शरमाती हो...
इस दुनियादारी के गणित में उलझे,
जो जिए हैं वो पल तुमने
उनसे जुडी ज़िन्दगी का इतिहास सुनाती हो...
अजीब ही पागल हो,
मेरी हर हंसी में,
ढूँढती हो जाने कितने अर्थ
और मेरे हर आंसू को व्यर्थ बताती हो...
तुम्हारी इन बातों के बारे में,
जब भी सोचता हूँ कुछ लिख दूं मैं,
पर खुद का जिक्र यूँ पन्नों पर पढ़कर
जाने क्यूँ मुझसे गुस्सा सी जाती हो...
अक्सर भेज दिया करता हूँ मैं
जो मेसेज तुम्हारे मोबाईल पर 
उन्हें हर रोज पढ़कर,
हर रोज मिटाती हो...
सोचता हूँ छोड़ दूं मैं
ये कवितायें लिखना
पर क्या करूँ, इसी बहाने से ही सही,
तुम अक्सर मेरी कविताओं में आती हो...


प्योर प्राइवेसी के याद आते मचलते पल 



सुनो आज मौसम बहुत हसीं है 
फिफ्टी फिफ्टी  के अनुपात में 
सूरज और बादल टहल रहे हैं 
चलो ना , हम भी टहल आयें 
जेकेट - नहीं होगी उसकी ज़रूरत 
हाँ ले चलेंगे अपनी वो नीली छतरी 
जिसपर  गिरती हैं जब बारिश की बूँदें
तो रंग आसमानी सा हो जाता है 
और टप टप की आवाज के साथ 
लगता है जैसे खुले आकाश के नीचे 
कर रहा हो कोई टैप डांस 
एक ही छतरी को दोनों पकड़ते हुए 
कितना मुश्किल होता है न चलना 
तुम हमेशा कहते हो बीच रास्ते 
क्यों नहीं लेती अपनी अलग छतरी 
मैं नहीं कह पाती तुमसे,बुद्धू हूँ न 
उस एक छतरी में डगमगा कर चलना 
तुम्हारे साथ खुले आसमान के तले
नृत्य करने जैसा एहसास देता है .
उफ़ बहुत फिल्मी हो ,
हाँ हाँ मालूम है यही कहोगे 
इसीलिए तो नहीं कहती कुछ 
वरना तो मन की तिजोरी 
भरी पड़ी है शब्दों से 
न जाने क्या क्या है कहने को 
यह भी कि काश कभी चलते चलते 
किसी टापू पर हम दोनों खो जाएँ 
और कम से कम दो दिनों तक 
न मिले कोई बचाने वाला .
मैं चाहती हूँ देखना 
क्या तब भी तुम्हें आता है याद 
खाने का समय और दो सब्जियां 
देखना चाहती हूँ मैं 
प्योर  प्रायवेसी के उन पलों में 
क्या याद करते हो तुम 
साथ बिताये वो सुनहरे पल।
हाँ बाबा हाँ ,जानती हूँ 
बातों से नहीं भरता पेट 
कोरी भावनाएं हैं यह सब 
फालतू लोगों के शगल 
फिर भी ...
उफ़ कितनी जिद्दी हूँ न मैं


15 टिप्पणियाँ:

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

सभी रचनाएँ अच्छी है ,लेकिन ...पर क्या करूँ, इसी बहाने से ही सही,तुम अक्सर मेरी कविताओं में आती हो........विशेष है
new postक्षणिकाएँ

नीलिमा शर्मा Neelima Sharma ने कहा…

हम अक्सर उन चीज़ों को ढूँढ़ते हैं, जो मिल नहीं सकतीं और उनकी उपेक्षा कर देते हैं, जो हमारे पास होती हैं। मैंने कभी तुम्हारे प्यार की कद्र नहीं की। सहज ही मिल गया था ना।

अब नहीं करूँगी नाराज़ तुम्हें, तुम्हारी कसम। एक बार लौट आओ।
superb

खोरेन्द्र ने कहा…

sabhi kavitaao ko padha - true ..भावनाएं हैं यह सब ..

vandana gupta ने कहा…

सभी रचनायें अल्हड सादगी भरे प्रेम से लबरेज़ :)

shikha varshney ने कहा…

मुझे भी एक गीत याद आया ...देखा है इस बुलेटिन में प्यार ही प्यार बेशुमार:).

Kailash Sharma ने कहा…

प्रेम का लाज़वाब अहसास...सभी रचनाएँ बहुत सुन्दर..

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सारे के सारे स्तरीय सूत्र, पुनः पढ़कर आनन्द आ गया

सदा ने कहा…

इस दुनिया में कोई शान्ति ढूँढ़ता है, कोई ज्ञान, कोई भक्ति, कोई मुक्ति, कोई प्रेम। मैं तुमसे तुम्हारा ही पता पूछकर तुमको ढूँढ़ती हूँ और खुद खो जाती हूँ।

मुझे ढूँढ़ दो ना।
ये एक ऐसी ख्‍वाहिश जो अक्‍सर ख्‍वाहिशों के बाज़ार में गुम हो जाती है ...
उम्‍दा प्रस्‍तुति ... आभार

शिवम् मिश्रा ने कहा…

बड़ा ही जटिल मुद्दा है आज की बुलेटिन का ... प्रेम ... अब जिस को बड़े बड़े न समझ पाये हो ... उस बारे मे भला हम क्या कहें ... ;)

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

सभी लाजबाब पठनीय रचनाऐ,,,,

Recent Post: कुछ तरस खाइये

Jyoti khare ने कहा…

pyar ke maheen ahsasaon ka sunder sanklan
man ateet main chakkar katney chala gaya
badhai

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

आप के कार्य को नमन !!

Rajendra kumar ने कहा…

प्रेम रस से सरावोर लिंक संयोजन,आभार आदरेय.

Saras ने कहा…

प्यार के अनगिनत अहसासों को छूता बुलेटिन.....हमेशा की तरह ..सुन्दर..सरस...स्वप्निल....!

Asha Lata Saxena ने कहा…

प्यार प्रीत से सराबोर ब्लॉग बुलेटिन |बढ़िया लिंक्स |
आशा

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