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सोमवार, 25 फ़रवरी 2013

मारे गए गुलफाम



उल्फत भी काम ना आई 
या यूँ कहो रास ना आई 
तो इशकजादे से बन बैठे देवदास 
हो गया  अंगूर खट्टे हैं सा चेहरा ............... 

अब हम कवि नहीं रहे,कहानीकार भी नहीं .... हम सब पञ्च परमेश्वर बन गए हैं - वो भी नकली ! क्योंकि सारे वोट हम अपने बक्से में डाल लेते हैं . इन्कलाब की धरती हो या उपदेशक की .... हम सब भगत सिंह हैं और बुद्ध. भगत सिंह के साथ न सुखदेव,न आज़ाद,न बटुकेश्वर दत्त,न राजगुरु - तो एक डफली एक राग सबकी अपनी अपनी . सीखनेवाला कोई नहीं,अब तो पैदा लेते सब सबकुछ जान लेते हैं ....... पोंगा पंडित बने सब अशुद्ध मंत्र पढ़ रहे - स्थिति है -
का खायीं का पीहीं 
का लेके परदेस जायीं !!!

रुकिए रुकिए .... कुछ पढ़ ही लीजिये,बाद में जो मन करे कहिये ...... पसंद आये तो मन में रखियेगा
नहीं तो सड़क पर फेंक दीजियेगा :) और गाते चलियेगा 
'कौन कौन कितने पानी में 
सबकी है पहचान मुझे' 




9 टिप्पणियाँ:

Jyoti khare ने कहा…

शानदार भूमिका /सुंदर संयोजन

Tamasha-E-Zindagi ने कहा…

बहुत सुन्दर लिंक संयोजन | आभार रशिम जी |


Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

बढिया बुलेटिन

Unknown ने कहा…

सुन्दर लिंक

SACCHAI ने कहा…

बहुत ही सुंदर लींकों से सजा ब्लॉग बुलेटिन

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

ईमानदारी से पढने के लिए इतने लिंक भी बहुत ज्‍यादा हैं।
:)
.............
हिन्‍दी की 50 से अधिक ऑनलाइन पत्रिकाएं

Rajendra kumar ने कहा…

बहुत ही सुन्दर एवं रोचक ब्लॉग बुलेटिन,आभार.

vandana gupta ने कहा…

बढिया बुलेटिन

travel ufo ने कहा…

रोचक शीर्षक से सजी पोस्ट

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