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गुरुवार, 28 जून 2012

कोई कम नहीं है ... ब्लॉग बुलेटिन



कल रात .....
नदी कहती रही अपनी बात
कलकल निनाद में बहुत कुछ बहाती गई
मैं सुनती गई
सोचा कहूँ नदी से -
एक तुम सी नदी मेरे भीतर है
जिसमें बहुत कुछ बहता है
पर कुछ है जो किनारे रह जाता है
करता है चीत्कार
लगाता है गुहार - यूँ हीं तो नहीं न !!!.................. कुछ गुहारें लेकर आई हूँ



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18 टिप्पणियाँ:

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

bahut badhiya links..bahut khoob

शिवम् मिश्रा ने कहा…

वाह बेहद उम्दा लिंक्स ... अब चलते है सब पर एक एक कर के ... आभार दीदी !

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बेहतरीन लिंकों की अच्छी प्रस्तुति,,,

MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: बहुत बहुत आभार ,,

Anupama Tripathi ने कहा…

सच मे कोइ कम नहीं है ...बहुत सुंदर लिंक्स ...

मनोज कुमार ने कहा…

लाजवाब अंक!

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

आम के पेड़ की मार्मिक कथा पढ़ी। मन दुखी हो गया। रश्मि जी की खोजी नज़र को सलाम। शेष फिर कभी...

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

सोचा कहूँ नदी से -
एक तुम सी नदी मेरे भीतर है
जिसमें बहुत कुछ बहता है
पर कुछ है जो किनारे रह जाता है
करता है चीत्कार ....marmik abhiwayakti......

सतीश पंचम ने कहा…

बहुत-बहुत शुक्रिया रश्मि जी !

amrendra "amar" ने कहा…

lajwab links abhivyakti

नीरज गोस्वामी ने कहा…

रश्मि जी उत्कृष्ट रचनाएँ हम तक पहुंचाने के लिए किया गया आपका ये प्रयास सराहनीय है...बधाई स्वीकारें

नीरज

सदा ने कहा…

बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति... आभार

मुकेश पाण्डेय चन्दन ने कहा…

sundar links !

अनुपमा पाठक ने कहा…

सुंदर लिंक्स!

Aruna Kapoor ने कहा…

..सभी लिंक्स बहुत सुन्दर है!

बेनामी ने कहा…

बहुत बहुत शुक्रिया रश्मि जी जज़्बात की पोस्ट को यहाँ शामिल करने का.....सभी लिंक्स शानदार है ।

vandana gupta ने कहा…

्बहुत बढिया लिंक संयोजन्।

वाणी गीत ने कहा…

सच में !

अजय कुमार झा ने कहा…

बहुत ही खूबसूरत बुलेटिन । सभी लिंक्स बेहद उम्दा पोस्टों तक ले कर जा रहे हैं । बहुत अच्छा बन पडा है आज का बुलेटिन ।

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