ऊपर दी गई इस तस्वीर को देख कर कुछ याद आया आपको ?
आज १६ दिसम्बर है ... आज ही के दिन सन १९७१ में हमारी सेना ने पाकिस्तानी सेना को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था ... और बंगलादेश की आज़ादी का रास्ता साफ़ और पुख्ता किया था ! तब से हर साल १६ दिसम्बर विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है !
आप सब को विजय दिवस की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
जय हिंद !!!
जय हिंद की सेना !!!
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कई भागो में छपने वाली इस ख़ास बुलेटिन के अंतर्गत आपको सन २०११ की कुछ चुनिन्दा पोस्टो को दोबारा पढने का मौका मिलेगा !
तो लीजिये पेश है अवलोकन २०११ का सातवां भाग ...
ज़िन्दगी एक सबक है ...इसके पन्ने कभी कम नहीं पड़ते ... कलम लिखती रही है , लिखती रहेगी - कल उनका था , आज हमारा है, कल किसी और के हाथ होगा ! हर पीढ़ी अपना दायित्व निभाएगी , ज़िन्दगी के अर्थ ढूंढती रहेगी ...
सोच की गहराई तक,
उनका जाना मुमकिन नहीं-
जिनकी आँखें मोतियों को नहीं सपनातीं!...और जिनकी आँखें मोतियों को सपनाती हैं , वही अनजानी दिशाओं से कुछ नायाब लेकर आते हैं ...
"न कपड़ों की चाह न जीवन से गिला
उसकी आँखों में सिर्फ़,शून्य मिला।" ज़िन्दगी को जीने की चाह किसमें नहीं होती , कोई खुल जा सिम सिम की चाह रखता है, कोई रोटी को सपनाता है ... तार तार हुए सपनों में कोई शून्य लेकर चलता है . ज़िन्दगी तो बस एक इत्तेफ़ाक है !यह भी एक सच है...अनुपमा त्रिपाठी http://anupamassukrity.blogspot.com/2010/07/blog-post.html में सागर का विस्तार देखती हैं और सोचती हैं -
"सोच रही यूँ मन में अपने -
बूँद- बूँद से तो सागर बनता -
बनकर सागर भी सागर-
फिर व्यथित क्यों रहता ....?" व्यथा का कारण पा लेना इतना सरल, सहज तो नहीं - जाने कितनी भावनाएं, कितने पल, कितने बालू के घरौंदे , कितनी हथेलियों का स्पर्श , कितनी सूनी आँखों का खारा जल सागर अपने भीतर लेकर उमड़ता है, पीछे जाता है , .... विस्तृत मन के उदगार सागर ही सुनाता है ...
सपनों की धरती में बस सपनों के बीज हों 'मा फलेषु कदाचन ...' की भावना के साथ तो रात गुज़र जाती है कभी न कभी हकीकत से मुलाकात हो भी जाती है !.... कुछ ऐसे ही भाव प्रियंका राठौड़ http://rathorepriya.blogspot.com/2011/07/blog-post.html में लेकर आई हैं .
"कहीं मंदिर के घंटों में
आत्म बोध का ज्ञान भी है ....
कही चौकड़ी भरते बच्चों में
जीवन का आधार भी है ......." बस सकारात्मक होना है . प्रकृति ने, जीवन ने हमें बहुत कुछ दिया है, हमारे लिए ओस की एक बूंद में भी बहुत कुछ है ...
ओस की एक बूंद हथेली पर लेकर देखिये तो खुदा नज़र आएगा और जब खुदा नज़र आए तो रहा क्या ! सोचिये सोचिये , अलग पिटारी लेकर आती हूँ , तब तक ..... मिलने की कशिश बनी रहे!
रश्मि प्रभा
रश्मि प्रभा
26 टिप्पणियाँ:
aapke jakar aane tak yahi hai ham....
sahej loongi ye shrankhla
पढ़ लिया....अगले की प्रतीक्षा,शुरू
Vijay diwas ki Hardin badhai .... Nayab rachnaye ...
:)... behtareen rachna!!
प्रशंसनीय ...
आप सब को विजय दिवस की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
जय हिंद !!!
जय हिंद की सेना !!!
आपके इस प्रयास को शत शत नमन हर बार बेहद उम्दा रचनाओ से परिचय करवा रही है आप !
donon kavitaayein bahut achhee
विजय दिवस की शुभकामनायें ...
विजय दिवस की शुभकामनाये…………पुन: अवलोकन काफ़ी अच्छा लग रहा है……………कुछ नये लिंक्स भी मिल रहे हैं…………आभार्।
बहुत ही अच्छे लिंक्स मिले।
सादर
सभी रचनाएं बहुत ही अच्छी हैं इस बेहतरीन प्रयास के लिए आभार सहित शुभकामनाएं ।
सभी रचनाएं बहुत ही अच्छी हैं.. विजय दिवस की शुभकामनाये……आभार
सुंदर रचनाएँ...आभार
बहुत बढ़िया लिंक लाई हैं दी... सादर आभार...
विजय दिवस की हिंद को बधाई... जय हिंद/जय हिंद की सेना..
"ओस की एक बूंद हथेली पर लेकर देखिये तो खुदा नज़र आएगा और जब खुदा नज़र आए तो रहा क्या !"
दीदी जी, ओस की बूंद को निहारने का वक्त आज के इंसान के पास नहीं है, इसी लिए खुदा मिला हुआ होकर भी जुदा है!
शुभकामनाएं !
बहुत बढ़िया लिंक....
इस तस्वीर से वाकई खुशी होती है।
सालाना जलसे की तो बात ही अलग है, हर बुलेटिन आकर्षक और प्रशंसनीय है।
कमाल बुलेटिन है!! बहुत शानदार तरीक़े से सन दो हज़ार ग्यारह को विदाई दे रही हैं आप और आपकी टीम. बधाई. शुभकामनाएं.
bahut bahut dhanybad mausi ji....
aabhar
प्रशंसनीये...
आज के दिन का गौरवशाली दृश्य और ब्लॉग झलक!!
न कपड़ों की चाह न जीवन से गिला
उसकी आँखों में सिर्फ़,शून्य मिला।
वाह क्या बात है - बहुत अच्छी कोशिश प्रियंका जी।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
http://www.manoramsuman.blogspot.com
http://meraayeena.blogspot.com/
http://maithilbhooshan.blogspot.com/
जय हिंद !!! बहुत सही.....
मजा आ गया आज तो...
मेरे इस प्रयास को आपने पसंद किया , यह मेरा सौभाग्य है
Rashmi ji ka hardik abhaar jinohen yahan ka raasta dikhaya...
Sundar chayan aur manoram prastuti...
Sadar...
Deepak Shukla..
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बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!