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बुधवार, 7 दिसंबर 2011

प्रतिभाओं की कमी नहीं - अवलोकन २०११ (2) - ब्लॉग बुलेटिन



ब्लॉग बुलेटिन का ख़ास संस्करण  - अवलोकन २०११


कई भागो में छपने वाली इस ख़ास बुलेटिन के अंतर्गत आपको सन २०११ की कुछ चुनिन्दा पोस्टो को दोबारा पढने का मौका मिलेगा !

तो लीजिये पेश है अवलोकन २०११ का दूसरा भाग ...
 


गज़र ने किया है इशारा और रश्मि प्रभा साहित्य के हर लय में उपस्थित हैं आपको लेकर आपके पास -
कुछ तुम खुद से खुद को कहो
फिर हम सब तुम्हें जान लेंगे
शब्दों का अटूट रिश्ता बना ही लेंगे ...
शब्दों के रंगमंच पर कुशल कारीगरी दिखाते एक छोटे से कलाकार को लाती हूँ - जो देखन में छोटन लगे , पर सूरज के रथ को मोड़ने की क्षमता है , यशवंत माथुर http://jomeramankahe.blogspot.com/2011/05/blog-post_12.html

है बड़ा अनिश्चित जीवन पतंग का अस्तित्व का संघर्ष द्वन्द और अहम असीम ऊंचाइयों में भी नहीं छोड़ता साथ रहना एक को ही होता है या फिर से वहीं आना होता है वापस जहाँ से शुरू किया था आगे बढना ऊंचा उठना आना होता है फिर से उसी के पास थामी हुई है जिसने डोर पतंग की .... प्रभु की लीला डोर से बंधी होती है , कृपा हुई तो आकाश मुट्ठी में ... अहम् जागा तो कब मिट्टी में मिले , जाना ही नहीं !

कैसे कोई कहता है सब भावना शून्य हो गए हैं , उम्र से परे गहरी सोच लिए एक और युवा शेखर सुमन ने अपने आंसुओं के महासागर में सबकी सिसकियों को जब्त कर लिया है - http://nayabasera.blogspot.com/2011/06/blog-post_19.html

आज जब शायद तुम बड़े हो गए हो,
ज़िन्दगी कि दौड़ में कहीं खो गए हो,
आज जब मैं अकेला हूँ,
वृद्ध हूँ, लाचार हूँ,
मेरे हाथ तुम्हारी उँगलियों को ढूंढ़ते हैं,
लेकिन तुम नहीं हो शायद,
दिल आज भी घबराता है,
कहीं तुम किसी उलझन में तो नहीं ,
तुम ठीक तो हो न ....

जिनकी ऊँगली पकडकर हम बड़े हुए , वे थककर भी यही पूछते हैं - तुम तो ठीक हो न ! इन एहसासों को जीवन की आपाधापी में भी जो सोचता रहे , संस्कारों के बिरवे वही देता है !

कैसे मान लूँ कि नई पीढ़ी कुछ नहीं समझती ... प्रतीक माहेश्वरी ने कितनी सहजता से बताया है कि दुःख में जो साथ खड़ा है , वही अपना है - http://bitspratik.blogspot.com/2011/05/blog-post.html . "एक शहर में रहकर मिलना मुश्किल हो जाता है तो दूसरे-दूसरे शहरों में रहने वालों कि तो बात ही क्या..
राहुल और मोहित काफी अच्छे दोस्त थे पर दोनों कि नौकरी अलग-अलग शहरों में थी... उन्हें भी पता था कि अब किस्मत की बात है जब उनकी अगली मुलाक़ात हो.."
ख़ुशी के मौके पर वजहें जड़ पकडती हैं , पर दर्द में सबकुछ से परे साथ का एहसास बहुत मायने रखता है -

युवा , जो देवदार की तरह वटवृक्ष के आगे खड़े हैं , उनपर गौर कीजिये - शब्द शब्द उन्हें पहचानिए , मैं आती हूँ फिर 2011 से कुछ पसंद लिए ...

35 टिप्पणियाँ:

Anupama Tripathi ने कहा…

युवा चिरागों से रोशन आज का बुलेटिन ...बेहद संजीदा हैं हमारे युवा ...फक्र की बात है ...

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

वाकई दूसरे भाग का इंतजार था, चूंकि 2011 की चुनिंदा रचनाएं हैं, लिहाजा सरसरी निगाह से पढने के बजाए आराम से पढना है। पहले भाग में मैने देखा कि कई रचनाएं तो संग्रहणीय भी हैं।

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

अवलोकन में वर्ष भर का ब्लॉग सार प्राप्त हो रहा है.. बहुत बढ़िया कांसेप्ट है..

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

रश्मि जी इसको पुस्तक का रूप भी दे सकती हैं... विचार कीजिये...

रंजू भाटिया ने कहा…

बहुत बढ़िया ...बेहतरीन अंक है यह भी

आनंद ने कहा…

आज का अवलोकन तो प्रतिभाओं का अनूठा संगम है दीदी ..युवाओं को भी उचित प्रतिनिधित्व मिला है , अनुभव और उत्साह का अनूठा संगम !

Pallavi saxena ने कहा…

इतनी सुंदर भावनात्म्क रचनाओ को दुबारा यहाँ पढ़वाने के लिए आभार...:)

अजय कुमार झा ने कहा…

बहुत ही बढिया विश्लेषण और फ़्लैश बैक चल रहा है । अविरल चलती रहे ये धारा ।

रवीन्द्र प्रभात ने कहा…

प्रतिभाओं का अनूठा संगम है अवलोकन-2011, बहुत बढिया !

Maheshwari kaneri ने कहा…

बहुत ही अनुपम विश्लेषण चल रहा है..प्रतिभाओ का सुन्दर संगम..चलती रहे यूँ ही..

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

ek aur behtareen aur bebak visleshan!!

vijai Rajbali Mathur ने कहा…

शेखर सुमन जी के ब्लाग के माध्यम ही से आपके ब्लाग का परिचय मिला था उनके साथ ही यशवन्त का भी जिक्र उस लिंक का प्रतीक है ;साथ ही साथ प्रतीक माहेश्वरी जी के ब्लग से भी परिचित हो गए।
सराहनीय प्रयास है।

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

ब्लॉग की बिनाका गीतमाला... पोस्टमाला प्रस्तुत की है रश्मिप्रभा जी ने!! एक अनोखा कॉन्सेप्ट!!

रश्मि प्रभा... ने कहा…

आपसबों की शुभकामनायें मेरा मनोबल है ...

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

yuva blogers ko jaankar achchha laga. shubhkaamnaayen.

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

आदरणीया आंटी जी
आपका बहुत बहुत आभारी हूँ।
शेखर भाई और प्रतीक जी की रचना भी जल्दी ही पढ़ूँगा।

सादर

Shekhar Suman ने कहा…

अपने ब्लॉग की इस पोस्ट का जिक्र देख कर न जाने क्यूँ आँखें नम हो आई हैं... ये पोस्ट जो मेरे दिल के सबसे ज्यादा करीब है... आज भी सुबह से पापा की बहुत याद आ रही थी... बहुत बहुत शुक्रिया रश्मि मासी... :)

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत रोचक...आभार

शिवम् मिश्रा ने कहा…

जय हो रश्मि दी आपकी ... कमाल है ... ऐसा लगता है जैसे कोई जादू हो ... जय हो !

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

behtareen shrinkhla.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

प्रतिभाओं को ढूँढ निकालना सराहनीय है ... आभार

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

रश्मि जी एक नई शुरुआत की है ... कई प्रतिभाओं को जानने का मौका मिलेगा .....

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

प्रतिभाओ को ढूंढना और उन्हें अपनी शैली में प्रस्तुत करना रश्मि जी आपके ही वश की बात हैं ...बहुत सुंदर प्रयास !

Nidhi ने कहा…

मैंने कोई रचना पहले नहीं पढ़ी थी...आपका शुक्रिया!

kanu..... ने कहा…

bahut acche aunty...nae logo ko padhne ka awsar mil gaya...

vandana gupta ने कहा…

बेजोड रचनाओं को दोबारा पढवा कर एक बार फिर आनन्दित कर रही हैं आभारी हैं हम आपके।

सदा ने कहा…

यह अवलोकन और आपका चयन नि:सन्‍देह बेमिसाल है ..आभार सहित शुभकामनाएं ।

Pratik Maheshwari ने कहा…

धन्यवाद हमें भी याद करने के लिए! :)

कविता रावत ने कहा…

ख़ुशी के मौके पर वजहें जड़ पकडती हैं , पर दर्द में सबकुछ से परे साथ का एहसास बहुत मायने रखता है -
.सच्ची बात कही है आपने ..

प्रतिभाओं की पहचान कर उनका अपनी शैली में यथोचित वर्णन कर प्रस्तुत करना बहुत कठिन काम है और उसी कठिन काम को आप जितनी मेहनत से कर रही हैं यह साफ़ द्रष्टव्य है....सार्थक प्रस्तुति के लिए आपका आभार!

मनोज कुमार ने कहा…

.बहुत सुंदर प्रयास !

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

बहुतों से परिचय कराने के लिए शुक्रिया

Archana Chaoji ने कहा…

ये छुटके भी न बहुत खूब हैं यहां के ..आभार ...

PRIYANKA RATHORE ने कहा…

bahut accha... aabhar

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सिम्पली ग्रेट कलेक्शन ...

Randhir Singh Suman ने कहा…

nice

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