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मंगलवार, 20 दिसंबर 2011

प्रतिभाओं की कमी नहीं - अवलोकन २०११ (11) - ब्लॉग बुलेटिन



कई भागो में छपने वाली इस ख़ास बुलेटिन के अंतर्गत आपको सन २०११ की कुछ चुनिन्दा पोस्टो को दोबारा पढने का मौका मिलेगा !

तो लीजिये पेश है अवलोकन २०११ का ११ वां भाग ...

 बातों के अर्थ बदलकर अपने मन से मनचाहे अर्थ बना लेना ... खुद को गुमराह तो करते ही हैं , सारी युवा पीढ़ी हतप्रभ होती है ! तय नहीं कर पाती - सही क्या है, गलत क्या है . अपने बदले की आग में उसके हाथों में हथियार देना उसे भी जीते जी मार देना है ! अखबार की सुर्ख़ियों में कुछ नहीं रह जाता , रह जाते हैं कुछ तबाह घर अपने अपने हाशिये पर ...

"आज दे मुझ को ज़रा चंद सवालों के जवाब
माँओं की आँख में आंसू हों तो जन्नत कैसी ?
बेगुनाहों का तू क़ातिल है ,,शहादत कैसी ?
धोके से मारते हो,, कैसे जिहादी हो तुम ?
ख़ौफ़ ए अल्लाह नहीं कैसे नमाज़ी हो तुम ?" स्वत्व और स्व में फर्क होता है , देश और स्वार्थ में फर्क होता है ... फर्क तो उन्हें भी पता है , जो अपनी आड़ में देश और धर्म को लाते हैं ! अपने व्यक्तिगत हिसाब में इतना मशगुल हो गया है इन्सान कि इंसानियत ही शेष नहीं रही ...

यह सब कुछ ऐसा ही हो गया है कि तूने मेरी कॉपी फाड़ दी , मैं तुम्हारी किताब जला दूंगा ... समझनेवाले तो एक किनारे रह गए हैं . कुछ ऐसे ही विरोधात्मक भाव लिए पूजा शर्मा http://poojashandilya.blogspot.com/2011/08/blog-post.html
" तुम्हारे यहाँ कि आग
से तो सिर्फ कुछ नुकसान हुआ होगा
तुम्हारे ही दंगाइयों ने कुछ buildings को फूंका होगा
तुमने पानी छिड़क
सारी आग बुझा भी दी होगी
पर उस आग का क्या
जो तुमने यहाँ दिलों में लगाई
भाई-भाई की दुश्मनी कराई
कितना लहू बहाया हमने,
आज भी बहा रहे हैं
तुम्हारी लगाई आग
आज तक बुझा रहे हैं... " लेकिन यह आग कब तक ? और क्यूँ ? जो मद के गुमां में होते हैं उनके लिए तो प्रेम ही वर्जित है ...न घर न देश ---- सिर्फ मैं '...

जीवन में कई बार हम ग्रहों के चक्कर में पड़ते हैं - कभी शुभ, कभी हानि ... ज्योतिषी की भी अपनी दुनिया है , अपना गणित है - विश्वास करो तो बहुत कुछ ना करो तो कुछ नहीं ....
विजय माथुर ने http://krantiswar.blogspot.com/2011/01/blog-post_28.html में उन आंकड़ों की जानकारी दी है , जिसने गांधी को महात्मा बनाया ...
" यद्यपि महात्मा गांधी ने सरकार में कोई पद ग्रहण नहीं किया;परन्तु उन्हें राष्ट्रपिता की मानद उपाधि से विभूषित किया गया है.गांधी जी क़े जन्मांग में लग्न में बुध बैठा है और सप्तम भाव में बैठ कर गुरु पूर्ण १८० अंश से उसे देख रहा है जिस कारण रूद्र योग घटित हुआ.रूद्र योग एक राजयोग है और उसी ने उन्हें राष्ट्रपिता का खिताब दिलवाया है.गांधी जी का जन्म तुला लग्न में हुआ था जिस कारण उनके भीतर न्याय ,दया,क्षमा,शांति एवं अनुशासन क़े गुणों का विकास हुआ.पराक्रम भाव में धनु राशि ने उन्हें वीर व साहसी बनाया जिस कारण वह ब्रिटिश सरकार से अहिंसा क़े बल पर टक्कर ले सके." होनी काहू बिधि ना टरे ... आखिर क्यूँ !

आप सब अपने दृष्टिकोण से सर्वेक्षण करें , मैं लेती हूँ एक विराम ....

रश्मि प्रभा 

19 टिप्पणियाँ:

सदा ने कहा…

अवलोकन की विस्‍तृत पृष्‍ठभूमि जहां कई सवाल भी किए हैं तो कई जवाब भी दिए हैं रचनाकारों ने ...बेहतरीन प्रस्‍तुति के लिए आभार सहित शुभकामनाएं ।

संजय भास्‍कर ने कहा…

सराहनीय प्रस्तुति है

संजय भास्‍कर ने कहा…

सुंदर ब्लॉग विश्लेषण ....सुन्दर प्रस्तुतियाँ

शिवम् मिश्रा ने कहा…

अवलोकन २०११ के बहाने से ही सही ... काफी सारे नए नए लोगो को पढने का मौका मिल रहा है ... आपका बहुत बहुत आभार रश्मि दी !

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

पत्रिका के रूप में सहेज ही लें इस बुलेटिन को. बधाई.

Maheshwari kaneri ने कहा…

बहुत सुन्दर अवलोकन...बुलेटिन को. बधाई.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बेहतरीन अवलोकन ...

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

सभी एक से बढकर एक

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

इस्मत जी को पढ़ना बहुत अच्छा लगा।


सादर

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

ek baar fir se ek naya bulletin:)

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सुंदर प्रस्तुति...आभार

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

इशमत जी को पढना बहुत अच्छा लगा ....

"धोके से मारते हो,, कैसे जिहादी हो तुम ?
ख़ौफ़ ए अल्लाह नहीं कैसे नमाज़ी हो तुम ?" वाह ! बहुत खूब !

KAVITA ने कहा…

बहुत सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति...आभार

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

:)

vandana gupta ने कहा…

बहुत सुन्दर अवलोक………इस्मत जैदी जी की रचना सार्थक चित्र प्रस्तुत करती है।

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

sunder sanchyan.

vijai Rajbali Mathur ने कहा…

अवलोकन और लिंक अच्छे हैं। मुझे भी स्थान देने हेतु आभार।

इस्मत ज़ैदी ने कहा…

बहुत बढ़िया पत्रिका तैय्यार हो रही है रश्मि

जो तुमने यहाँ दिलों में लगाई
भाई-भाई की दुश्मनी कराई
कितना लहू बहाया हमने,
आज भी बहा रहे हैं
तुम्हारी लगाई आग
आज तक बुझा रहे हैं..

बहुत सुंदर प्रस्तुति है पूजा जी की
जिन लोगों ने मेरी नज़्म को पसंद किया उन का बहुत बहुत शुक्रिया और रश्मि मुझे शामिल करने के लिये आप का ही धन्यवाद

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सार्थक प्रयास .. सुन्दर प्रस्तुति

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