Subscribe:

Ads 468x60px

कुल पेज दृश्य

शुक्रवार, 28 अप्रैल 2017

उतना ही लो थाली में जो व्यर्थ न जाये नाली में

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

कचरे में फेंकी हुई रोटी
रोज़ ये बयां करती है...

कि पेट भरने के बाद
इन्सान अपनी औकात भूल जाता है।

सादर आपका

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

आस अभी ज़िंदा है

दोहे

सखा

झारखण्ड एक्सप्रेस 5

गुलमर्ग - विश्वप्रसिद्ध पर्वतीय स्थल की सैर 

चीजलिंग का नाश्ता

लाशों को गिनने का सिलसिला बंद होना चाहिए

वीर कथाएँ और प्रणय प्रस्ताव

कब साकार होगा नशा मुक्त देवभूमि का सपना

गेंहू के संग घुन पिसता हो तो पिसे

कुनू अमू

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

7 टिप्पणियाँ:

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

अभी तो दोहे बांच कर आनन्दित हूँ...वाह!

कविता रावत ने कहा…

प्रेरक सन्देश के साथ सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बढ़िया बुलेटिन काफी दिनों के बाद आये शिवम जी ।

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

सुन्दर सन्देश देती बुलेटिन...जितना खा सको उटना ही लो थाली में...मेरी रचना को स्थान देने के लिए शुक्रिया...और उनका भी आभार जो दोहे पढ़कर टिप्पणी किए|

रश्मि प्रभा... ने कहा…

रोटी कब नाच नचा दे, कोई नहीं जानता

RD Prajapati ने कहा…

बढ़िया प्रस्तुति!
www.travelwithrd.com

Alaknanda Singh ने कहा…

ब्‍लॉग बुलेटिन से शिवम मिश्रा जी, मेरे ब्‍लॉग '' अब छोड़ो भी''को जगह देने के लिए धन्‍यवाद

एक टिप्पणी भेजें

बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!

लेखागार