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शुक्रवार, 30 सितंबर 2016

भाखड़ा नंगल डैम पर निबंध - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

हिंदी की परीक्षा में "भाखड़ा नांगल डैम" पर निबंध लिखने को आया। एक अतिप्रतिभावान छात्र ने निबंध के नाम पर जो कुछ लिखा वो आप के अवलोकन हेतु प्रस्तुत है ... 

 
भाखड़ा नांगल डैम सतलज नदी पर बना हुआ है। 
सतलज नदी पंजाब में है। 
पंजाब सरदारो का देश है। 
सरदार पटेल भी एक सरदार थे। 
उन्हें भारत का लौह पुरुष कहा जाता है। 
लोहा टाटा में बनता है। 
टाटा हाथ से किया जाता है। 
क़ानून के हाथ बड़े लंबे होते हैं। 
पंडित जवाहर लाल नेहरू भी क़ानून जानते थे। 
उन्हें बच्चे चाचा नेहरू के नाम से पुकारते थे। 
चाचा नेहरू को गुलाब बहुत पसंद था। 
गुलाब 3 किस्म के होते हैं। 
पीने वाला शरबत, खिलने वाला और गुलाबरी होता है।
 गुलाबरी बहुत मीठा होता है। 
मीठी तो चीनी भी होती है। 
चीनी अक्सर चींटी खाती है। 
हाथी की चींटी से सख्त नफरत है। 
लन्दन का हाथी बहुत विख्यात है। 
लन्दन जर्मनी के पास है। 
जर्मनी का वार बहुत फेमस है। 
वार 8 तरह के होते हैं.... 
सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार, रविवार और वर्ल्डवार। 
वर्ल्ड वार बहुत खतरनाक होते हैं। 
खतरनाक तो शेर भी होता है। 
40 सेर का एक मन होता है। 
मन बहुत चंचल होता है। 
चंचल मेरे पीछे बैठती है। 
चंचल मधुबाला की छोटी बहन है। 
मधुबाला ने फ़िल्म शक्ति में काम किया है। 
शक्ति मुठ्ठी में होती है। 
छोटे छोटे झगडे में मुठ्ठी बांध कर मारने का शौक़ पंजाबियों का होता है। 
पंजाबी पंजाब में रहते हैं। 
पंजाब में भाखड़ा नांगल डैम है। 
 
कॉपी चेक करने वाला आज भी इस अद्भुत बालक को ढूंढ रहा हैं।
 
सादर आपका

अललटप्पू.

प्रतिभा सक्सेना at लालित्यम् 

आदिशक्ति

रश्मि प्रभा... at मेरी भावनायें...  
 
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
 
अब आज्ञा दीजिये ...
 
जय हिन्द !!! 

गुरुवार, 29 सितंबर 2016

पाकिस्तान पर कूटनीतिक और सामरिक सफलता


आखिरकार भारतीय सेना द्वारा चिरप्रतीक्षित कदम उठाकर देश के दुश्मनों को खुली चुनौती दे दी है. पाक अधिकृत कश्मीर में दो से तीन किमी अन्दर तक घुसकर चालीस के आसपास आतंकियों को ढेर कर देने का, आतंकी प्रशिक्षण शिविरों को मटियामेट कर देने का जांबाजी भरा कार्य उरी आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना द्वारा पाकिस्‍तान के खिलाफ बड़ी कार्रवाई के रूप में सामने आया है. भारतीय सेना ने पाक अधिकृत कश्‍मीर में घुसकर सर्जिकल स्‍ट्राइक किया है. इसके तुरन्त बाद मिलिट्री ऑपरेशन के महानिदेशक ले. रणबीर सिंह ने इसकी जानकारी दी. सर्जिकल स्ट्राइक के तुरन्त बाद मीडिया के माध्यम से जानकारी देना खुली चुनौती ही है. पाकिस्तान की छुटपुट आतंकी घटनाओं को सेना के साथ-साथ समूचा देश अत्यंत संयम से सहन कर रहा था किन्तु उरी की आतंकी घटना के बाद से समूचे देश में गुस्से का ज्वार फूट पड़ा था. लोगों में केंद्र सरकार के विरुद्ध भी अविश्वास जैसा माहौल बनता नजर आने लगा था. समूचे देश के नागरिक सेना के समर्थन में खड़े होकर पाकिस्तानी आतंकवाद का अंतिम और एकमात्र विकल्प युद्ध को ही मान रहे थे. 
पाकिस्तान के विरुद्ध नफरत भरे माहौल में, दुर्दांत आतंकी घटना के बाद भी केंद्र सरकार ने संयम से काम लेते हुए कूटनीति भरे कदमों को उठाने की समझदारी दिखाई. ये बात सभी लोग समझते हैं कि ऐसे में जबकि पाकिस्तान जैसा आतंक-पसंद देश परमाणु अस्त्रों से सुसज्जित है, युद्ध किसी भी रूप में अंतिम और तर्कपूर्ण कदम नहीं होगा. ऐसे में बलूचिस्तान का मुद्दा उठाना, पाकिस्तान में होने वाले सार्क सम्मलेन में शामिल न होने का निर्णय, पाकिस्तान के साथ जल संधि पर पुनर्विचार किये जाने सम्बन्धी बैठक, पाकिस्तान को मोस्ट फेवरिट नेशन के दर्जा समाप्त करने सम्बन्धी विचार के बाद पाकिस्तान एकदम से बैकफुट पर दिखाई दिया. ऐसा इसलिए क्योंकि इन कदमों के बाद ही उसके राजदूत का बयान आया कि जंग किसी मामले का हल नहीं. जम्मू-कश्मीर के लोगों को अपने भविष्य का फैसला करने के लिए बेहतर मौका मिलना चाहिए. अगर उन्हें लगता है कि वे भारत के साथ ज्यादा खुश हैं तो वे वहीं रहें, पाकिस्तान को इस बात पर कोई आपत्ति नहीं है.भारत के सार्क सम्मलेन में शामिल न होने के निर्णय के बाद अन्य कई देशों द्वारा इंकार किया जाना भारत की कूटनीति की जीत ही है और आज इसी तरह के युद्ध की आवश्यकता है.
इस कूटनीतिक विजय के बीच भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक के द्वारा सम्पूर्ण देशवासियों को, शहीदों के परिजनों को ये सन्देश देने का काम किया है कि भारतीय सेना पडोसी देश की आतंकी घटनाओं को, हरकतों को सामान्य रूप से सहन करने वाली नहीं है. उसकी एक-एक हरकत का, एक-एक शहीद की शहादत का सटीक समय पर इसी तरह से बदला लिया जायेगा. सेना की ये कार्यवाही उन लोगों के लिए भी सन्देश है जो देश में रहकर भी देश-विरोधी ताकतों के हितार्थ बयान देते रहते हैं. यकीनन आज युद्ध अंतिम विकल्प नहीं है किन्तु भारतीय सेना ने आज जिस तरह से खुलेआम पाक समर्थित कश्मीर में कार्यवाही की है वह न सिर्फ आतंकियों के हौसलों को तोड़ेगी वरन झूठा अहंकार पाले पाकिस्तान को भी सबक सिखाएगी.
उरी आतंकी घटना के बाद से, पाकिस्तान की तमाम नापाक हरकतों के बाद भी केंद्र सरकार के संयम दिखाने, सेना के धैर्य दिखाने पर देश का नायक, सेना के नायक बधाई के पात्र हैं. भविष्य की समस्त रणनीति, कूटनीति में उनकी विजय की शुभकामनाओं सहित आज की बुलेटिन आपके समक्ष.

बुधवार, 28 सितंबर 2016

भूली-बिसरी सी गलियाँ - 10




आँसुओं का बह निकलना 
मन की कमज़ोरी नहीं 
मन की दृढ़ता है 
जो दर्द को गहराई से जीता है 
सोचता है 
करवटें लेता है 
छत निहारता है 
कब आँखें भरीं 
कब दर्द छलका - पता भी नहीं चलता !


An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय

समालोचन





मंगलवार, 27 सितंबर 2016

भूली-बिसरी सी गलियाँ - 9




मेरी आवाज़ ब्लॉग की गलियों से है 
संभव है कि किसी ब्लॉग को दुबारे लिख दूँ  ... उम्र का तकाज़ा है 
भूलने की आदत सी है 
तो आप भी भूल जाइयेगा :)
मकसद है 
छोड़ आये हम जो गलियाँ 
वहाँ लौट चलें 
कोई तो कहे,
"तुम आ गए हो, नूर आ गया है  ... "



सोमवार, 26 सितंबर 2016

भूली-बिसरी सी गलियाँ - 8



एक तीली तुम जलाना 
एक तीली मैं 
अँधेरा कट जायेगा 
एक कदम तुम नापना 
एक कदम मैं 
बीहड़ रास्ता छोटा हो जायेगा
अँधेरे में एक बात याद रखना
सूरज तुम्हारे हिस्से भी है
मेरे हिस्से भी
कुछ आग तुम बटोरना
कुछ मैं
पूरा दिन मुट्ठी में होगा ही होगा


मेरा सरोकार

HARMONY

KAVYASUDHA ( काव्य सुधा )

अपना आकाश - Blogger



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रविवार, 25 सितंबर 2016

भूली-बिसरी सी गलियाँ - 7



तुम्हारे विचारों का आह्वान 
मेरी ज़िद है 
मेरा मानना है 
देवताओं के साथ विचारों की उपस्थिति 
देवताओं की आरती है … 
मंदिर के पट बंद भी होते हैं
ऐसे में विचारों का शास्त्रार्थ
देवताओं के संग न हो
तो पूजा अधूरी होती है !  ... 



शुक्रवार, 23 सितंबर 2016

भूली-बिसरी सी गलियाँ - 5



वो हमारे घर आए 

हमने कहा - 
हो जाए गरमागरम चाय 
उन्होंने 'ना' में सर हिलाया 
एक मुस्कान के साथ 
दूसरे दिन वे शिकायत करते फिरे 
- अमां चाय को पूछा 
कोई ठंडा पेय भी तो दे सकते थे !
तौबा,तौबा 
ऐसे लोगों से पानी भी नहीं माँगना चाहिए 
!!!


हैरान,परेशान होने से बेहतर है, कुछ लिखिए,ब्लॉग पर डालिये 
कमेंट मिल जाए तो बहुत अच्छा 
न मिले तो याद रखिये,
आप एक जगह अपनी भावनाओं के साथ हैं तो 
आज न कल 
कोई उम्दा पाठक मिल जाएगा :)

इनसे मिलिए -


गुरुवार, 22 सितंबर 2016

भूली-बिसरी सी गलियाँ - 4



रात भर उधेड़ा था 
दिन भर बुना था खुद को 
फिर भी एक फंदा गिरा मिला … 
नसीहतों की सूई से उठाने के लिए 
जाने कितने हाथ बढे 
होड़ थी नाम की
और मुझे ख़ामोशी चाहिए थी
आज तक
एक फंदा गिरा हुआ लेकर चल रही हूँ  ... 

नसीहतों से हम जबरदस्ती नहीं कर सकते, 
ना ही नाम कमाना है 
बस जो भावनाओं की फसल आपने लगाई थी 
उसे समय समय पर सींचें 
नए बीज लगायें 



आज की यादें  ...