मेरी आवाज़ ब्लॉग की गलियों से है
संभव है कि किसी ब्लॉग को दुबारे लिख दूँ ... उम्र का तकाज़ा है
भूलने की आदत सी है
तो आप भी भूल जाइयेगा :)
मकसद है
छोड़ आये हम जो गलियाँ
वहाँ लौट चलें
कोई तो कहे,
"तुम आ गए हो, नूर आ गया है ... "
कोई फर्क नहीं पड़ता है एक गली में दो बार भी जाया जा सकता है आज की गलियाँ लगा कर कुल हो गई 181 गलियाँ नौ दिन में इतना घुमा तो दिया आपने :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ।
प्रतिकूल परिस्थितियों के बाद भी आपकी ये श्रृंखला अविरल चलती यही याद दिला रही है रश्मि दीदी ...शो मस्ट गो ऑन | बहुत ही सुन्दर बुलेटिन दीदी |
जवाब देंहटाएंbahut shukriya shamil karne ke liye ..
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स रश्मि जी |
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ , मेरे ब्लॉग लिंक को शामिल करने के लिए ..शुक्रिया .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर याद...
जवाब देंहटाएंज्वाला सुलगा है ...
जवाब देंहटाएंआभार आपका ।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग का लिंक शामिल करने के लिए आभार - वंदना बाजपेयी
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