श्रोताओं के बगैर इनकी कहानियों का कोई मूल्य नहीं, श्रोता न हों, पाठक ना हों तो एहसास अंचार ही तो बनेंगे न और क्या ? .............
इनका ब्लॉग है, जहाँ इन्होने अपनी खातिर एक रास्ता बना लिया है !
आपके सामने है मेरे दिल का एक पन्ना ....
धीरे धीरे सारी किताब पढ़ लेंगे...तब जान भी जायेंगे मुझे....कभी चाहेगे...कभी नकारेंगे... यही तो जिंदगी है...!!!
अपनी जिंदगी के साथ बड़ी बद्सलूकियाँ की मैंने...कभी कहा नहीं माना उसका.तंग करती रही उसको सदा......नयी नयी चुनौतियां देती रही .
उसके प्रति क्रूरता शायद मेरा स्वभाव बन गया था...और नियमों को तोडना मेरी आदत.
ऐसी विचित्र हरकतें करती मैं खुद कौन सा सुखी थी..आखिर जिंदगी मेरी थी..जब उसे चैन नहीं तो मुझे कहाँ चैन मिलता???
मगर बहुत हुआ अब!!जिंदगी को तंग किया सो किया...अब मौत को ज़रा ना सताऊंगी.जिस रोज देगी दस्तक,उसी पल बिना गिला-शिकवा किये चल दूँगी उसके साथ.
जिंदगी को आखरी शिकस्त देने का ऐसा सुनहरा मौका मैं चूकुंगी भला!!!!
-अनु
और हमने वहाँ का सीधा रास्ता चुना है कुछ यूँ ...
रुकिए तो सही,
सुनिए तो सही
रूहानी यात्रा के पड़ाव का एक और नगीना ।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया शुक्रिया रश्मि दी...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया शिवम् !!:-)
मेरी छोटी बहन की कहानियाँ और कविताएँ बस रूह से महसूस करने वाली होती हैं!!
जवाब देंहटाएंदिल का एक पन्ना ....... बिलकुल सच्ची 👍
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंNice post keep posting and keep visiting on www.kahanikikitab.com
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