Subscribe:

Ads 468x60px

कुल पेज दृश्य

2499824

शनिवार, 3 जून 2017

मेरी रूहानी यात्रा अनुलता राज नायर की कहानियों के मध्य



श्रोताओं के बगैर इनकी कहानियों का कोई मूल्य नहीं, श्रोता न हों, पाठक ना हों तो एहसास अंचार ही तो बनेंगे  न और  क्या ?   ............. 

इनका ब्लॉग है, जहाँ इन्होने अपनी खातिर एक रास्ता बना लिया है !



आपके सामने है मेरे दिल का एक पन्ना ....
धीरे धीरे सारी किताब पढ़  लेंगे...तब जान भी जायेंगे मुझे....कभी  चाहेगे...कभी नकारेंगे... यही तो जिंदगी है...!!!


अपनी जिंदगी के साथ बड़ी बद्सलूकियाँ की मैंने...कभी कहा नहीं माना उसका.तंग करती रही उसको सदा......नयी नयी चुनौतियां देती रही .
उसके प्रति क्रूरता शायद मेरा स्वभाव बन गया था...और नियमों को तोडना मेरी आदत.
ऐसी विचित्र हरकतें करती मैं खुद कौन सा सुखी थी..आखिर जिंदगी मेरी थी..जब उसे चैन नहीं तो मुझे कहाँ चैन मिलता???
मगर बहुत हुआ अब!!जिंदगी को तंग किया सो किया...अब मौत को ज़रा ना सताऊंगी.जिस रोज देगी दस्तक,उसी पल बिना गिला-शिकवा किये  चल दूँगी उसके साथ.
जिंदगी को आखरी शिकस्त देने का ऐसा सुनहरा मौका मैं  चूकुंगी भला!!!!

-अनु


और हमने वहाँ का सीधा रास्ता चुना है कुछ यूँ  ... 
रुकिए तो सही,
सुनिए तो सही 



6 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

रूहानी यात्रा के पड़ाव का एक और नगीना ।

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

शुक्रिया शुक्रिया रश्मि दी...
शुक्रिया शिवम् !!:-)

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

मेरी छोटी बहन की कहानियाँ और कविताएँ बस रूह से महसूस करने वाली होती हैं!!

सदा ने कहा…

दिल का एक पन्ना ....... बिलकुल सच्ची 👍

कविता रावत ने कहा…

बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति

sarvesh ने कहा…

Nice post keep posting and keep visiting on www.kahanikikitab.com

एक टिप्पणी भेजें

बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!

लेखागार