जहाँ परियों का मेला हो
जहाँ एहसासों की नदियाँ बहती हों
जहाँ शब्दों के स्रोत हों
वहाँ मैं अपनी चाहत न पूरा करूँ
यह कैसे संभव है ?!
चाह है तो राह है, अंकिता चौहान हैं :)
https://www.youtube.com/watch?v=CwXHJsGBwLo
ब्लॉग जगत में लिखी पढी जा रही पोस्टों , उनमें दर्ज़ की जा रही टिप्पणियां ,बहस ,विमर्श ..सबको समेट कर तैयार है बुलेटिन ... ब्लॉग बुलेटिन ...
बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!
नीलेश जी का कहानी पेश करना चार चाँद लगा देता है । बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी परिचय प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंSuch a surprise. Thank you :)
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