सभी हिंदी ब्लॉगर्स को नमस्कार।
आज की बुलेटिन में सिर्फ इतना ही कल फिर मिलेंगे तब तक के लिए शुभरात्रि। जय हिन्द। जय भारत।।
राम प्रसाद 'बिस्मिल' (अंग्रेज़ी: Ram Prasad Bismil, जन्म- 11 जून, 1897 शाहजहाँपुर; मृत्यु- 19 दिसंबर, 1927 गोरखपुर) भारत के महान स्वतन्त्रता सेनानी ही नहीं, बल्कि उच्च कोटि के कवि, शायर, अनुवादक, बहुभाषाविद् व साहित्यकार भी थे जिन्होंने भारत की आज़ादी के लिये अपने प्राणों की आहुति दे दी।
पंडित रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ किसी परिचय के मोहताज नहीं। उनके लिखे ‘सरफ़रोशी की तमन्ना’ जैसे अमर गीत ने हर भारतीय के दिल में जगह बनाई और अंग्रेज़ों से भारत की आज़ादी के लिए वो चिंगारी छेड़ी जिसने ज्वाला का रूप लेकर ब्रिटिश शासन के भवन को लाक्षागृह में परिवर्तित कर दिया। ब्रिटिश साम्राज्य को दहला देने वाले काकोरी काण्ड को रामप्रसाद बिस्मिल ने ही अंजाम दिया था।
पंडित रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ किसी परिचय के मोहताज नहीं। उनके लिखे ‘सरफ़रोशी की तमन्ना’ जैसे अमर गीत ने हर भारतीय के दिल में जगह बनाई और अंग्रेज़ों से भारत की आज़ादी के लिए वो चिंगारी छेड़ी जिसने ज्वाला का रूप लेकर ब्रिटिश शासन के भवन को लाक्षागृह में परिवर्तित कर दिया। ब्रिटिश साम्राज्य को दहला देने वाले काकोरी काण्ड को रामप्रसाद बिस्मिल ने ही अंजाम दिया था।
आज महान स्वतन्त्रता सेनानी राम प्रसाद 'बिस्मिल' जी की 122वीं जयंती पर हम सब उनके सर्वोच्च योगदान का स्मरण करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
~ आज की बुलेटिन कड़ियाँ ~
आज की बुलेटिन में सिर्फ इतना ही कल फिर मिलेंगे तब तक के लिए शुभरात्रि। जय हिन्द। जय भारत।।
सुप्रभात, पठनीय रचनाओं की खबर देता बुलेटिन, आभार !
जवाब देंहटाएंअमर शहीद पंडित राम प्रसाद बिस्मिल जी की 122वीं जयंती पर उनको शत शत नमन !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचनाएं हैं।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया ..... सुंदर संग्रह
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