प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
भारतीय सिनेमा के जाने-माने चरित्र अभिनेता और लेखक गिरीश कर्नाड का
सोमवार को लंबी बीमारी के बाद बेंगलुरु में निधन हो गया। वे 81 साल के थे।
मौत की वजह मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर बताई गई है। उन्हें भारत के जाने-माने
समकालीन लेखक, अभिनेता, फिल्म निर्देशक और नाटककार के तौर पर जाना जाता था।
गिरीश यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो में प्रोफेसर भी रहे। नौकरी में मन नहीं लगने
पर भारत लौटे, फिर पूरी तरह साहित्य और फिल्मों से जुड़ गए।
कर्नाड का जन्म 19 मई 1938 को महाराष्ट्र के माथेरान में हुआ था।
कर्नाटक आर्ट कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद आगे पढ़ाई के लिए इंग्लैंड
चले गए। उन्होंने चेन्नई की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस में 7 साल तक काम
किया। इसके बाद वे थियेटर करने लगे। वे पद्म भूषण, पद्मश्री और ज्ञानपीठ
पुरस्कार से नवाजे गए। 1978 में आई फिल्म 'भूमिका' के लिए नेशनल अवॉर्ड और
इसके बाद चार फिल्मफेयर अवार्ड भी मिले।
सलमान की टाइगर सीरीज में रॉ अफसर की भूमिका निभाई
गिरीश ने सलमान खान की फिल्म ‘एक था टाइगर' और ‘टाइगर जिंदा है' में भी
काम किया था। टाइगर जिंदा है बॉलीवुड में उनकी आखिरी फिल्म थी। इसमें
उन्होंने डॉ. शेनॉय का किरदार निभाया था। उन्होंने कन्नड़ फिल्म संस्कार
(1970) से एक्टिंग और स्क्रीन राइटिंग करियर शुरू किया था। इसके लिए
उन्हें कन्नड़ सिनेमा का पहला प्रेसिडेंट गोल्डन लोटस अवार्ड मिला। बॉलीवुड
में उनकी पहली फिल्म 1974 में आई ‘जादू का शंख’ थी। इसके बाद फिल्म निशांत,
शिवाय और चॉक एन डस्टर में भी काम किया।
पहला नाटक कन्नड़ में लिखा था
गिरीश कर्नाड की कन्नड़ और अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं भाषाओं में एक जैसी
पकड़ थी। उनका पहला नाटक कन्नड़ में था, जिसे बाद में अंग्रेजी में अनुवाद
किया गया। उनके नाटकों में 'ययाति', 'तुगलक', 'हयवदन', 'अंजु मल्लिगे',
'अग्निमतु माले', 'नागमंडल' और 'अग्नि और बरखा' काफी चर्चित हैं। कर्नाड 40
सालों तक नाटककारों के बीच अपनी धाक जमाए रखे। उन्होंने समकालीन अवधारणाओं
पर बखूबी लिखा।
इन पुरस्कारों से नवाजे गए
गिरीश को 1992 में पद्म भूषण, 1974 में पद्मश्री, 1972 में संगीत नाटक
अकादमी पुरस्कार, 1992 में कन्नड़ साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1994 में
साहित्य अकादमी पुरस्कार और 1998 में उन्हें कालिदास सम्मान मिला था। 1978
में आई फिल्म 'भूमिका' के लिए नेशनल अवॉर्ड मिला था। उन्हें 1998 में
ज्ञानपीठ पुरस्कार से भी नवाजा गया।
ब्लॉग बुलेटिन टीम और हिन्दी ब्लॉग जगत की ओर से गिरीश कर्नाड साहब को विनम्र श्रद्धांजलि |
सादर आपका
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मृत होती संवेदनाएं
बरस जा ऐ बदरी...
आश्चर्यचकित कर देने वाली इमारत: चैहणी कोठी
केवल एक मांग - फांसी दो
जीवन का अंत
प्रकृति का ग्रंथ
मायका - 1
उस गुल का मैं हूँ माली
मसाला छाछ
उसकी कहानी !
तोड़कर तिमिर बंध
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अब आज्ञा दीजिए ...
जय हिन्द !!!
सम्मानित हस्ती को श्रद्धांजलि देती हुई सुंदर प्रस्तुति....मेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार आपका
जवाब देंहटाएंगिरीश कर्नाड साहब को विनम्र श्रद्धांजलि।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को 'ब्लॉग बुलेटिन' में स्थान देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, शिवम जी।
कलाकार अपनी कला के माध्यम से सदैव लोगों.के मन में जीवित रहता है।
जवाब देंहटाएंएक बेहतरीन सच्चे कलाकार को मेरा नमन।
सार्थक रचनाएँ है सभी..मेरी रचना को स्थान देने लिए सादर आभार शुक्रिया।
एक संजीदा कलाकार रहे.
जवाब देंहटाएंनमन!
महान लेखक व नाटककार, अभिनेता श्री गिरीश कर्नार्ड को विनम्र श्रद्धांजलि ! सार्थक बुलेटिन, आभार !
जवाब देंहटाएंआप सब का बहुत बहुत आभार |
जवाब देंहटाएंएक अप्रतिम व्यक्तित्व स्व. गिरीश कर्नाड जी को विनम्र श्रद्धांजलि !
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