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मंगलवार, 18 सितंबर 2018

सेल्फी के शौक का जानलेवा पागलपन : ब्लॉग बुलेटिन

नमस्कार साथियो,
दूरसंचार तकनीक में आई क्रांति ने घर के किसी कोने में रखे फोन को मोबाइल में बदला और उसी तकनीकी बदलाव ने मोबाइल को बहुतेरे कामों की मशीन बना दिया. विकासशील देश होने के कारण अपने देश में स्मार्टफोन का चलन बहुत तेजी से बढ़ रहा है. यहाँ मोबाइल को आजकल बातचीत के लिए कम और सेल्फी फोन के रूप में ज्यादा प्रचारित किया जा रहा है. कम्पनियाँ भी मोबाइल को  सेल्फी के विभिन्न लाभों के साथ बाजार में उतार रही हैं. इस कारण नई पीढ़ी तेजी से इस तरफ आकर्षित हुई है.  इसकी सशक्तता यहाँ तक तो ठीक थी मगर सोशल मीडिया के बुखार ने सभी को अपनी गिरफ्त में ले लिया है. खुद को अधिक से अधिक प्रचारित, प्रसारित करने के चक्कर में मोबाइल कैमरे का उपयोग सामने वाले की, प्राकृतिक दृश्यों के चित्र खींचने से अधिक सेल्फी लेने के लिए होने लगा है. जगह कोई भी हो, स्थिति कोई भी हो, अवसर कोई भी हो व्यक्ति सेल्फी लेने से चूकता नहीं है. 


ये शौक अब जानलेवा साबित हो रहा है. देश की गंभीर समस्याओं में से एक प्रमुख है मोबाइल कैमरे के द्वारा सेल्फी लेने में दुर्घटना होना. नई पीढ़ी इस जाल में बुरी तरह फँस चुकी है. आज हर कोई रोमांचक, हैरानी में डालने वाली एवं विस्मयकारी सेल्फी लेने के चक्कर में अपनी जान की भी परवाह नहीं कर रहा है. कभी ऊंची पहाड़ी की चोटी पर, कभी बीच नदी की धार में, कभी बाइक पर स्टंट करते हुए, कभी ट्रेन से होड़ करते हुए. वे अपनी मनचाही तस्वीरें खींचते हैं और सोशल नैटवर्किंग साइट्स पर अपने दोस्तों से शेयर करते हैं. इसमें उनमें फैशन और आधुनिक होने के भाव झलकते हैं. यह हरकत इसलिए भी चिंतनीय है क्योंकि ये काम पढ़े-लिखे युवाओं द्वारा किया जा रहा है.
देश में पर्यटन केन्द्रों पर इस तरह के सूचना बोर्ड लगाने का काम तेजी से चल रहा है, जिसमें पर्यटकों से अनुरोध किया गया है कि वे सेल्फी लेते वक्त सुरक्षा का विशेष ध्यान रखें. इसके बाद भी रोज ही दुर्घटनाएं हो रही हैं. यह समझ से पर है कि खुद को किसलिए, किसके लिए सबसे अलग दिखाने की कोशिश की जाती है? क्यों खतरनाक जगहों पर जाकर स्टंट करते हुए सेल्फी लेने की कोशिश की जाती है? क्यों तेज रफ़्तार बाइक पर, तेज गति से भागती ट्रेन पर सेल्फी लेकर खुद को क्या सिद्ध किया जाता है? इस तरह की जानलेवा हरकतों को सिवाय पागलपन के कुछ नहीं कहा जा सकता है. इस पागलपन को नियंत्रित किये जाने की आवश्यकता है. मोबाइल जिस काम के लिए बना है उसके लिए ही अधिकाधिक उपयोग किये जाने की आवश्यकता है. अन्यथा की स्थिति में यह पागलपन लगातार घरों के चिरागों को बुझाता रहेगा.

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11 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात राजा साहब
    अच्छी रचनाएँ पढ़वाई आपने
    आभार
    सादर

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  2. गंभीर और चिन्तनपरक भूमिका के साथ बढ़िया लिंक्स संकलन ।

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  3. सुप्रभात।
    सत्य वचन एकदम।सेल्फी का शौक एक जुनून बन गया हैं अब।लिंक्स भी शानदार हैं।जफ़र को भी स्थान देने के लिए आभार।

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  4. सत्य वचन श्रीमानजी, आजकल सेल्फी का भुत इतना सवार हो चूका है की होने वाले नुकसान की चिंता नहीं करते, विशेषकर ये शौक किशोरों को ज्यादा है।
    सारे लिंक्स भी शानदार है। ये सब लिंक्स के लिए बड़ी मेहनत करते हो आप , आपकी मेहनत को सलाम। मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए आपको धन्यवाद। :- अपना अंतर्जाल

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  5. ब्लॉग बुलेटिन में मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए धन्यवाद |

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  6. अच्छा बुलेटिन आज का ...
    आभार मेरी रचना को शामिल करने के लिए ...

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  7. सच इस सेल्फी के चक्कर में जाने कितनों की जान चल बसी लेकिन फिर भी लोग सुधरने का नाम नहीं ले रहे
    बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति

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  8. मूर्खों की कमी नहीं हैं इस संसार में, मैं तो इन्हें भी मूर्ख ही कहूँगा जो एक फोटो के लिए अपनी जान दांव पर लगाए घूमते हैं |

    बढ़िया बुलेटिन राजा साहब |

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  9. रोचक संकलन। सेल्फी का भूत वाकई सर चढ़ कर बोल रहा है। सुन्दर लेख।
    आभार।
    duibaat.blogspot.com

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