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रविवार, 17 दिसंबर 2017

१७ दिसम्बर को लिया गया था शेर ए पंजाब का प्रतिशोध

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

आज का इतिहास :-

१९२८ में साइमन कमीशन के बहिष्कार के लिये भयानक प्रदर्शन हुए। इन प्रदर्शनों में भाग लेने वालों पर अंग्रेजी शासन ने लाठी चार्ज भी किया। इसी लाठी चार्ज से आहत होकर लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गयी। अब क्रांतिकारियों से रहा न गया।

एक गुप्त योजना के तहत इन्होंने पुलिस सुपरिण्टेण्डेण्ट स्काट को मारने की योजना सोची। सोची गयी योजना के अनुसार १७ दिसंबर १९२८ के दिन भगत सिंह और राजगुरु लाहौर कोतवाली के सामने व्यस्त मुद्रा में टहलने लगे। उधर जयगोपाल अपनी साइकिल को लेकर ऐसे बैठ गये जैसे कि वो ख़राब हो गयी हो। जयगोपाल के इशारे पर दोनों सचेत हो गये। उधर चन्द्रशेखर आज़ाद पास के डी० ए० वी० स्कूल की चहारदीवारी के पास छिपकर घटना को अंजाम देने में रक्षक का काम कर रहे थे।

करीब सवा चार बजे, ए० एस० पी० सॉण्डर्स को आता देख कर जयगोपाल ने इशारा कर दिया और सॉण्डर्स के नज़दीक आते ही राजगुरु ने एक गोली सीधी उसके सर में मारी जिसके तुरन्त बाद भगत सिंह ने ३-४ गोली दाग कर उसके मरने का पूरा इन्तज़ाम कर दिया। तब तक इन लोगों को ये अहसास हो चुका था कि पुलिस सुपरिण्टेण्डेण्ट स्काट की जगह उन्होंने ए० एस० पी० सॉण्डर्स को मार दिया था।

ये दोनों जैसे ही भाग रहे थे कि एक सिपाही चनन सिंह ने इनका पीछा करना शुरू कर दिया। चन्द्रशेखर आज़ाद ने उसे सावधान किया - "आगे बढ़े तो गोली मार दूँगा।" नहीं मानने पर आज़ाद ने उसे गोली मार दी। इस तरह इन लोगों ने लाला लाजपत राय की मौत का बदला ले लिया।

गौरतलब है कि भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फाँसी की सज़ा इसी सॉण्डर्स मर्डर केस को आधार बना कर दी गई थी जबकि सुखदेव का इस मामले मे सम्मालित होना कभी साबित नहीं हुआ था |

ब्लॉग बुलेटिन टीम और हिन्दी ब्लॉग जगत की ओर से इन सभी अमर क्रांतिकारियों को शत शत नमन |

सादर आपका
शिवम् मिश्रा 

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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

6 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर बुलेटिन, पठनीय लिंक्स...आभार मेरी रचना शामिल करने के लिए

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  2. अमर क्रांतिकारियों को शत शत नमन!

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  3. चर्चा में मेरा ब्लॉग शामिल करने के लिए धन्यवाद |

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