कई बार मैंने सबके ब्लॉग के दरवाज़े पर शब्दों का कॉल बेल बजाया है ... अब सांकल नहीं खटखटाऊँगी, करबद्ध अनुरोध करुँगी -
व्यस्तता तो ज़िन्दगी का पर्याय है
कब तक उसका हवाला देकर
कलम को दराज में बंद रखोगे
...
लिखो,
यह सोचकर लिखो
कि कल मैं अवलोकन करने को रहूँ या ना रहूँ !
अपने ब्लॉग में हाज़िर हों
ब्लॉग ही ब्लॉग हैं, ... अवलोकन के समापन के साथ अगले वर्ष के लिए मैं सबको पुकार रही हूँ -
नया वर्ष आपके लिए प्रतीक्षित है
कुछ तो असर होगा
जवाब देंहटाएंयाद घर की आएगी
सार्थक प्रस्तुति
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जवाब देंहटाएंलगता है यह अपील सुनी जायेगी.
जवाब देंहटाएंशर्मिंदा हूँ... शब्द चुक गए हैं... यह भी जानता हूँ कि सफाई देने से काम नहीं चलेगा... लेकिन कोशिश करता हूँ. शायद अगले वर्ष मेरा नाम भी आपकी ब्लॉगमाला के सालाना प्रोग्राम में टॉप की पायदान पर हो!
जवाब देंहटाएंप्रणाम करता हूँ दीदी, आपके इस भगीरथ प्रयास को!
वाह सही लताड़ लगाई है हम भी कहते हैं हाजिर हो :)
जवाब देंहटाएंसचेत करती प्रतिक्रिया
जवाब देंहटाएंइस वर्ष् कुछ लिखा ही जायेगा
सुंदर संयोजन
सादर