सभी हिंदी ब्लॉगर्स को मेरा नमस्कार।
डॉ. होमी जहाँगीर भाभा (अंग्रेज़ी: Homi Jehangir Bhabha, जन्म: 30 अक्तूबर, 1909, मुंबई, - मृत्यु: 24 जनवरी, 1966) भारत के एक प्रमुख वैज्ञानिक थे जिन्होंने भारत के परमाणु उर्जा कार्यक्रम की कल्पना की थी। जब होमी जहाँगीर भाभा 29 वर्ष के थे और उपलब्धियों से भरे 13 वर्ष इंग्लैंड में बिता चुके थे। उस समय 'कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय' भौतिक शास्त्र के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ स्थान माना जाता था। वहाँ पर श्री भाभा केवल पढ़ाई ही नहीं बल्कि कार्य भी करने लगे थे। जब अनुसंधान के क्षेत्र में श्री भाभा के उपलब्धियों भरे वर्ष थे तभी स्वदेश लौटने का अवसर उन्हें मिला। श्री भाभा ने अपने वतन भारत में रहकर ही कार्य करने का निर्णय लिया। उनके मन में अपने देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक क्रांति लाने का जुनून था। यह डॉ. भाभा के प्रयासों का ही प्रतिफल है कि आज विश्व के सभी विकसित देशों भारत के नाभिकीय वैज्ञानिकों की प्रतिभा एवं क्षमता का लोहा माना जाता है।
आज डॉ. होमी जहाँगीर भाभा जी के 108वें जन्मदिवस पर हम सब उनके अभूतपूर्व योगदान को याद करते हुए उन्हें शत शत नमन करते हैं।
~ आज की बुलेटिन कड़ियाँ ~
उम्मीद की हथेली !!!
आज की बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे तब तक के लिए शुभरात्रि। सादर ... अभिनन्दन।।
उम्दा चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंडॉ. होमी जहाँगीर भाभा जी के 108वें जन्मदिवस पर उन्हें नमन। बहुत सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति हर्षवर्धन।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंक्स एवं प्रस्तुति, आभार आपका
जवाब देंहटाएंहर्षवर्धन जी... किसी को भी सरे आम देशद्रोही कहने वाले पटल का मैं समर्थन नहीं करता. कृपया यहाँ से मेरी पोस्ट हटाएँ और कभी भी मेरी पोस्ट इस पटल पर न डालें. मैं इजाजत देने से इंकार करता हूँ. आगे गलत कदम का गलत नतीजा हुआ तो आप जिम्मेदार होंगे.
जवाब देंहटाएंसादर,
अयंगर.
नमस्कार अयंगर सर, आपने जिस पोस्ट की चर्चा की है उसमें ऐसा कुछ भी नहीं है, जिसका आप वर्णन यहाँ कर रहे है। इस पोस्ट के शीर्षक में बस उन लोगों पर तंज कसा गया है, जिन्हें ये न्यूज़ चैनल बिका हुआ लगता है! इस पोस्ट के माध्यम से Vivek Rastogi सर ने इस चैनल पर प्रसारित एक मार्मिक समाचार से उन लोगों पर तंज कसा है जो इस चैनल पर बिकाऊ होने का आरोप लगाते है।
हटाएंकृपया M. Rangraj Iyengar सर इस ब्लॉग पोस्ट को आप पूरा पढ़े फिर फैसला करें। केवल शीर्षक से अपनी कोई विचारधारा विकसित ना करें। यही सोच आगे चलकर एक विपत्ति का रूप ले लेती है।
सादर ... धन्यवाद।
हर्षवर्धन श्रीवास्तव
ठीक जनाब, अपनी अपनी सोच और अपनी अपनी राय. मुझे मत जोड़िए यहाँ. अलग ही रहना चाहूँगा ऐसी मानसिकता से. हटा दीजिए मेरी पोस्ट.
जवाब देंहटाएं