बचपन में लौटने की चाह है
तो ब्लॉग पर क्यूँ नहीं ?
मत करो कमेंट
पोस्ट तो डालो
उनको पढ़ने दो - जो तुम्हें पढ़ना चाहते हैं
एक कली दो पत्तियां
KAVITA RAWAT
An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय
Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून
वीर बहुटी
मधुर गुंजन
शिप्रा की लहरें
Hathkadh । हथकढ़
"सच में!"
उलूक टाइम्स
"बस यूँ ही " .......अमित
झरोख़ा
आधा सच...
अनुशील
उसने कहा था...
सोचालय
Sourav Roy
my dreams 'n' expressions.....याने मेरे दिल से सीधा कनेक्शन ...
घुघूतीबासूती
क्रमशः
गया पल लौट आया
जवाब देंहटाएं"पोस्ट तो डालो उनको पढ़ने दो - जो तुम्हें पढ़ना चाहते हैं " बिल्कुल सौ आना पते की बात कही है आपने । सहमत :) 'उलूक' के जबरदस्ती छापे जा रहे अखबार जिसकी खबरें ज्यादातर किसी के पल्ले नहीं पड़ती हैं वैसे तो फिर भी जिक्र करने के लिये दिल से आभार भी ।
जवाब देंहटाएंआपका आदेश सर माथे पे।
जवाब देंहटाएंजरूर
जवाब देंहटाएंजरूर
जवाब देंहटाएंमैं तो निरंतर पोस्ट डालता ही रहा हूं जी. हर रोज़ तीन चार सौ भले लोग तो आज भी देख जाते हैं =D
जवाब देंहटाएंZaroor lautna chahungi....bas thoda sa samay aur
जवाब देंहटाएंबहुत सारी यादें... इन सबों की सक्रियता ही जीवंत कर सकती है ब्लॉग को! जाने कहाँ गए वो दिन!!
जवाब देंहटाएंBhuli - bisri galiyan ........ Kitnon ko manjil tk pahuncha deti hain ......
जवाब देंहटाएंसच बड़ा मन करता है कि regular रहें....अब थोड़ा और धक्का देंगे ख़ुद को :-)
जवाब देंहटाएंशुक्रिया दी...मुझे और मेरे ब्लॉग को याद रखने के लिए...
अनु
जी ज़रूर..... आभार आप का मेरे ब्लॉग को याद करने के लिए
जवाब देंहटाएंदूसरा पहलू! पढो, बताओ कि पढ़ा ताकि लिखने वाले को पता लगे...यानि कमेन्ट भी करो!!
जवाब देंहटाएंफिर देखो कोई क्यूँ नहीं लिखता!
दूसरा पहलू! पढो, बताओ कि पढ़ा ताकि लिखने वाले को पता लगे...यानि कमेन्ट भी करो!!
जवाब देंहटाएंफिर देखो कोई क्यूँ नहीं लिखता!
शायद ये आपका अप्रत्यक्ष आदेश बहुत पहले से हमारे लिए काम कर रहा था, बराबर लिखा जा रहा है, जिसे पढ़ना है वो पढ़ रहा है, जिसे नहीं पढ़ना वो कहीं नहीं पढ़ रहा है.
जवाब देंहटाएंइंटरनेट पर आप सभी से ब्लॉग के माध्यम से जुड़ना हुआ. वो माध्यम कभी बंद न होने देंगे हम, व्यक्तिगत स्तर पर.
"ब्लॉग गलियों में विचरण का पर्व है आपका प्रयास"
फिर से आ गये हैं , विचरने के लिए रोज न सही हफ्ते में एक पोस्ट का वचन देती हूँ ।
जवाब देंहटाएंयह भी एक अलग तरह का अवलोकन ही हुआ ... चलता रहे सिलसिला यादों का |
जवाब देंहटाएंनींद से जगाना ...महान व्यक्तित्व ही कर सकता है ।
जवाब देंहटाएंसत्य कहा है। आभार
जवाब देंहटाएंसत्य कहा है। आभार
जवाब देंहटाएं"सच में" आपका आभार फ़िर से लिखूं यहाँ भी पर पढे कौन! . कैसे हैं आप?
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