न सत्य मिटता है,न परम्परा खत्म होती है - बीज कहीं न कहीं रहता है,
अंकुरित हो फैलता है … ब्लॉग का अंकुरण आज भी है, प्रस्फुटित टहनियाँ, स्वादिष्ट फल फेसबुक, ट्विटर तक फैले हुए हैं … जड़ों से नाता बना रहे, इसलिए -
ब्लॉग जगत में लिखी पढी जा रही पोस्टों , उनमें दर्ज़ की जा रही टिप्पणियां ,बहस ,विमर्श ..सबको समेट कर तैयार है बुलेटिन ... ब्लॉग बुलेटिन ...
बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!
बहुत बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंसबको शरद पूर्णिमा एवं वाल्मीकि जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं
कम से कम इसी बहाने उन पुराने रस्तों दोबारा चलने को तो मिला ... आभार दीदी |
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति ....
जवाब देंहटाएंBhulon k raste ...... Jahan kitni yaden hain
जवाब देंहटाएंSunder links
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