Pages

मंगलवार, 27 अक्टूबर 2015

भूले रास्तों का पता - 6




ज़िन्दगी की कतरनें
एक फूल एक पन्ना एक चूड़ी एक पत्ता 
कुछ इश्क़ कुछ समझौते 
कुछ टूटा सा दिल 
… 
हरी चूड़ियों का शौक आसमान में खनकता था 
अब अच्छी चूड़ियाँ नहीं मिलती 
हरी-पीली  की क्या बात !

चाय से करते हैं रास्ता तय - वहाँ तक जाने का, जहाँ भावनाओं के बीच बहुत कुछ अपना लगता था  … 




1 टिप्पणी:

बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!