भावनाओं के अरण्य में कभी धूप कभी छाँव से गुजरना
फिर थोड़ी धूप थोड़ी छाँव किसी को देना
आसान नहीं होता !
कभी जलन होती है
कभी सिहरन
… कई बार होता है एक सन्नाटा और अचानक कोई आहट
सोच के दरवाज़े खुलते बंद होते रहते हैं …
ब्लॉग जगत में लिखी पढी जा रही पोस्टों , उनमें दर्ज़ की जा रही टिप्पणियां ,बहस ,विमर्श ..सबको समेट कर तैयार है बुलेटिन ... ब्लॉग बुलेटिन ...
बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!
BAHUT HEE ACCHI RACHNA, JEEWAN TO DHUP CHAAWN HAI
जवाब देंहटाएंसोच के दरवाज़े खुलते बंद होते रहते हैं … और आती जाती रहती हैं यादें ... अनगिनत |
जवाब देंहटाएंखुलते रहें बंद होते रहें जाम नहीं हों सोच के दरवाजे बस :)
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति ।