प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
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विस्तार है अपार, प्रजा दोनो पार, करे हाहाकार, निःशब्द सदा, ओ गंगा तुम, ओ गंगा तुम. .. ओ गंगा… बहती हो क्यूँ . .. . . .
नैतिकता नष्ट हुई, मानवता भ्रष्ट हुई, निर्लज्ज भाव से बहती हो क्यूँ. . . .
इतिहास की पुकार, करे हुंकार, ओ गंगा की धार, निर्बल जन को सबल संग्रामी, समग्रगामी. . बनाती नही हो क्यूँ. . . .
विस्तार है अपार, प्रजा दोनो पार, करे हाहाकार, निःशब्द सदा, ओ गंगा तुम, ओ गंगा तुम. .. ओ गंगा… बहती हो क्यूँ . ..
अनपढ़ जन अक्षरहीन अनगिन जन खाद्यविहीन निद्रवीन देख मौन हो क्यूँ ?
इतिहास की पुकार, करे हुंकार, ओ गंगा की धार, निर्बल जन को सबल संग्रामी, समग्रगामी. . बनाती नही हो क्यूँ. . . .
विस्तार है अपार, प्रजा दोनो पार, करे हाहाकार, निःशब्द सदा, ओ गंगा तुम, ओ गंगा तुम. .. ओ गंगा… बहती हो क्यूँ . ..
व्यक्ति रहित व्यक्ति केन्द्रित सकल समाज व्यक्तित्व रहित निष्प्राण समाज को छोडती न क्यूँ ?
इतिहास की पुकार, करे हुंकार, ओ गंगा की धार, निर्बल जन को सबल संग्रामी, समग्रगामी. . बनाती नही हो क्यूँ. . . .
विस्तार है अपार, प्रजा दोनो पार, करे हाहाकार, निःशब्द सदा, ओ गंगा तुम, ओ गंगा तुम. .. ओ गंगा… बहती हो क्यूँ . ..
रुतस्विनी क्यूँ न रही ? तुम निश्चय चितन नहीं प्राणों में प्रेरणा प्रेरती न क्यूँ ?
इतिहास की पुकार, करे हुंकार, ओ गंगा की धार, निर्बल जन को सबल संग्रामी, समग्रगामी. . बनाती नही हो क्यूँ. . . .
विस्तार है अपार, प्रजा दोनो पार, करे हाहाकार, निःशब्द सदा, ओ गंगा तुम, ओ गंगा तुम. .. ओ गंगा… बहती हो क्यूँ . ..
उन्मद अवनी कुरुक्षेत्र बनी गंगे जननी नव भारत में भीष्म रूपी सूत समरजयी जनती नहीं हो क्यूँ ?
इतिहास की पुकार, करे हुंकार, ओ गंगा की धार, निर्बल जन को सबल संग्रामी, समग्रगामी. . बनाती नही हो क्यूँ. . . .
विस्तार है अपार, प्रजा दोनो पार, करे हाहाकार, निःशब्द सदा, ओ गंगा तुम, ओ गंगा तुम. .. ओ गंगा… बहती हो क्यूँ . ..
शिवम् भाई, मंच पर आमद कराने के लिए आपका आभार ...
जवाब देंहटाएंशिवम् भाई, मंच पर आमद कराने के लिए आपका आभार ...
जवाब देंहटाएंDil se dhanywaad Shivam...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति सुंदर बुलेटिन । आभारी है 'उलूक' सूत्र 'समाचार बड़े का कहीं बड़ा कहीं थोड़ा छोटा सा होता है' को भी स्थान दिया है शिवम जी ने।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर बुलेटिन.
जवाब देंहटाएंमेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.
ब्लॉग को शामिल करने का शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंगंगा पर बहुत सुंदर प्रस्तुती...
जवाब देंहटाएंआप सब का बहुत बहुत आभार |
जवाब देंहटाएंaabhar......bahut achche links......
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