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रविवार, 17 मई 2015

एहसास हो तो गहराई होती ही है ....





प्रेम जैसे भी उतरे 
मन के भाव नौ रस से भर होते हैं :)
शब्द जैसे भी उतरे 
एहसास हो तो गहराई होती ही है  .... 


सभी के
अपने -अपने खाने है
अपनी -अपनी गोटियां है।
इंतज़ार है तो पासों के
गिर के बिखरने का।

पासों के बिखरने तक
अटकी रहती है सांसे।
कौन  जा रहा है आगे
और
कितने  घर आगे बढ़ना है।


आज से कुछ वर्ष पूर्व जब इस देश में आना हुआ था तब सड़कों में भारी मात्रा में वाहन होने के बावजूद गज़ब की शांति महसूस हुआ करती थी. कायदे से अपनी -अपनी लेंन में चलतीं, बिना शोरगुल के लेन बदलतीं, ओवेरटेक करती गाडियां मुझे अक्सर आश्चर्य में डाल दिया करतीं कि आखिर बिना हॉर्न  दिए यहाँ का यातायात इतना सुगम तरीके से कैसे चला करता है. पहले पहल मुझे लगा कि यह शायद यहाँ के शिष्टाचार में शामिल है कि बिना वजह हॉर्न  नहीं बजाना है. यदि बजाया इसका मतलब सामने वाले का अपमान किया है. परन्तु धीरे धीरे पता चला कि यह सिर्फ शिष्टाचार ही नहीं है बल्कि यहाँ का कानून भी है कि जब तक आपको सड़क पर चलते किसी वाहन को किसी खतरे के प्रति सावधान न करना हो, आप  हॉर्न नहीं बजा सकते, आपकी गाड़ी यदि खड़ी अवस्था में है तो हॉर्न  बजाना जुर्म है और उसके लिए आपको जुर्माना या सजा हो सकती है. यहाँ तक कि कुछ इलाकों में विशेष तौर पर हॉर्न  बजाना सख्त मना है. 


बड़े प्यार से हर शै थामे
इक नीला सा मंडप अनंत,
आसमान की चादर ओढ़े
घूम रहे नक्षत्र निर्द्वन्द्व !



एक दिन एक सरकारी ऑफिस में अलमारी के पीछे निवास करने वाले कॉकरोच और कॉकरोचनी चिंता में डूब गए ! उन्होंने स्वीपरों को आपस में बात करते सुना कि सरकार ने सफाई अभियान चलाया है , सभी सरकारी कार्यालयों के अन्दर और बाहर से सारी गंदगी हटा दी जायेगी ! कीड़े मकोड़े भी बेमौत मार दिए जायेंगे !


8 टिप्‍पणियां:

  1. Ehsaas ho to gahrai nishchit hoti hi hai......jaise ye link sb ek se badhkr ek.....

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  2. बहुत सुंदर सूत्रों के साथ आज का बुलेटिन । चलती रहे इसी तरह धीमे धीमे शब्दों की रेल ।

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  3. सुंदर लिंक से सुसज्जित ब्लॉग बुलेटिन का यह अंक. मेरी पोस्ट को सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद.

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  4. सुंदर......आकर्षक...... अच्छी जानकारी।

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  5. इस बुलेटिन में सम्मिलित रचनाएं पढ़ीं . अच्छी हैं.

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  6. बढ़िया लिंक्स से सजा हुआ बुलेटिन। सभी एक से बढ़कर एक।

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