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सोमवार, 18 मई 2015

४२ साल की क़ैद से रिहाई - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

अरुणा शानबाग ... हम मे से बहुतों ने आज पहली बार इस नाम और इस नाम से जुड़ी शख़्सियत के बारे मे जाना है | पर अफ़सोस कि इस जान पहचान के पीछे कोई भी सुखद कारण नहीं था | 

आज की खबरों की सुर्खियों मे जगह बनाने वाली अरुणा शानबाग का आज निधन हो गया ... पिछले 42 वर्षों से कोमा में रहने के बाद अरुणा को अंतत: मौत नसीब हुई| अरुणा का निधन आज सुबह लगभग 10 बजे केईएम अस्पताल में हुआ,  वह 67 वर्ष की थीं| वह पिछले 42 वर्षों से इसी अस्पताल में जिंदगी से जूझ रहीं थीं| पिछले दिनों उन्हें निमोनिया हो गया था और फेफड़े में भी संक्रमण था और वह जीवनरक्षक प्रणाली पर थीं |

कौन थीं अरुणा शानबाग !?

अरुणा शानबाग केईएम अस्पताल मुंबई में काम करने वाली एक नर्स थीं ... जिनके साथ 27 नवंबर 1973 में अस्पताल के ही एक वार्ड ब्वॉय ने यौन अपराध किया था| उस वार्ड ब्वॉय ने यौन शोषण के दौरान अरुणा के गले में एक जंजीर बांध दी थी ... उसी जंजीर के दबाव से अरुणा उस घटना के बाद कोमा में चली गयीं और फिर कभी सामान्य नहीं हो सकीं| उस घटना के बाद पिछले 42 वर्षों से अरुणा शानबाग कोमा में थीं ... अरुणा की स्थिति को देखते हुए उनके लिए इच्छा मृत्यु की मांग करते हुए एक याचिका भी दायर की गयी थी, लेकिन कोर्ट ने इच्छामृत्यु की मांग को ठुकरा दिया था| अरुणा की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने वाले दरिंदे का नाम सोहनलाल था, जिसे कोर्ट ने सजा तो दी, लेकिन वह अरुणा के साथ किये गये अपराध के मुकाबले काफी कम थी| 

अरुणा को नहीं मिला था न्याय !!

अरुणा के साथ जब सोहनलाल ने दरिंदगी की, उसके पहले अरुणा शादी का निश्चय कर चुकी थी और जल्दी ही उनकी शादी होने वाली थी, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था| सोहनलाल अरुणा की जिंदगी में काल बनकर आया और सबकुछ तहस-नहस कर गया, लेकिन अरुणा के साथ हुए यौन शोषण के मामले को कुछ और ही रूप दिया गया था ... अस्पताल के डीन डॉक्टर देशपांडे ने डकैती और लूटपाट का केस दर्ज कराया, अरुणा की बदनामी ना हो, इसलिए यौन शोषण के केस को दबाया गया, जिसके कारण सोहनलाल को सिर्फ सात साल की सजा हुई और उसके बाद वह आजाद हो गया, जबकि अरुणा शानबाग 42 वर्षों तक उसके कुकर्म की सजा भोगती रही | हमारी न्याय व्यवस्था और समाज के लिए यह एक बहुत बड़ा कलंक है| विडंबना यह कि अपराधी तो 7 साल की सज़ा के बाद बरी हो गया पर पीड़िता उस सज़ा से 6 गुना लंबी सज़ा भुगतती रही|

मजबूत इरादों वाली अरुणा शानबाग जी को हम पूरे हिन्दी ब्लॉग जगत की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि देते है  |
सादर आपका 
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अकेली ..

अर्यमन चेतस पाण्डेय at उन्मेष …





चरित्र हनन

पुरानी बस्ती at पुरानी बस्ती 







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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!! 

11 टिप्‍पणियां:

  1. एक और कारण
    शर्म करने का
    पर किसे करनी है
    किसे पता ?
    श्रद्धाँजलि अरूणा ।
    आभार शिवम 'उलूक' के सूत्र 'शिव की तीसरी आँख और उसके खुलने का भय अब नहीं होता है' को आज के बुलेटिन पर स्थान मिलने पर । बुलेटिन इसी तरह गति पकड़ ले यही कामना है ।

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  2. अरुणा की मुक्ति ने मुझे चैन दिया है

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  3. अहा ..वाह वाह ...झमाझम झमाझम ..बहुत बढ़िया शिवम् भाई ..रंग जमने लगा है ..उम्दा संकलन .....

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  4. अरुणा शानबाग को विनम्र श्रद्धांजलि ! ब्लॉग बुलेटिन के इस अंक में मुझे स्थान देने के लिए आभार.. शुभकामनायें !

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  5. Welcome back blog bulletin.Nice links.RIP Aruna shanbag.She was reduced to potato state by somebody calling her "sister'....

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  6. निर्ममता की हद होती है। शर्म से सर झुक जाता है ऐसे हादसों के बारे में जानकर। और हमारे देश के कानून के बारे में तो कुछ कहने से चुप्पी ही भली है ,
    42 वर्षों की कैद से मिली मुक्ति ,कितनी कठिन तपस्या की है अरुणा जी ने।
    मेरी नम श्रद्धांजलि।

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  7. बहुत बढ़िया लिंक्स शिवम् जी

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  8. अरुणा जी को विनम्र श्रध्दांजली। बहुत भुगता उन्होनें और उनसे ज्यादा परिवार वालों ने।
    इस चर्चा में मेरी पोस्ट को स्थान देने का आभार शिवम् जी।

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  9. अरूणा शानबाग ने हमारी सामजिक न्यायिक व्यवस्था को आईना दिखाया है

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  10. अरुणा जी के लिए नाम हुई आंखें ....

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