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शनिवार, 4 अक्टूबर 2014

अवलोकन - 2014




वर्ष अपने शेष महीनों में है
दर्द की ख़ामोशी स्तब्ध है
सन्नाटा मुखर है
तो इस मुखरता में वर्ष का अवलोकन ही आरम्भ करती हूँ
....
समय की गति थमे
या हम रुकें
ये तो हमारे बुज़ुर्गों को भी पसंद नहीं
तो उनके सम्मान में
उनकी याद में
मैं शुरू करती हूँ वार्षिक अवलोकन
ताकि लय में हो ज़िन्दगी
लोगों का आना-जाना बना रहे

कल से हम यहीं मिलते रहेंगे, जब तक मिलना तय है :)

आइये आज बातचीत ही करें,
अतीत वर्तमान का घनिष्ठ रिश्तेदार कहिये या मित्र
साथ बना रहता है
पर यह साथ ही होता है भविष्य के लिए
साथ होकर रुकना उद्देश्य नहीं
चलना है
मात्र अपने लिए नहीं
अपनों के लिए
जो हमें किसी मंज़िल पर देखना चाहते हैं
………………………
जब तक हम किसी विषय पर संघर्ष करते हैं - मुश्किलें उतना ही सर उठाती हैं,
पर जब हम संघर्ष बंद कर देते हैं तो एक तनावमुक्त सृजन कर पाते हैं
कुछ भी जानने समझने के लिए आपको उसके साथ जीना होगा, उसका अवलोकन करना ही होगा, आपको उसके सभी पहलू, उसकी सारी अंर्तवस्तु, उसकी प्रकृति, उसकी संरचना, उसकी गतिविधियां जाननी होंगी

1 टिप्पणी:

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