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मंगलवार, 16 सितंबर 2014

कमाल की अभिव्यक्ति




उन्हें परेशानी नहीं होती 
वे देखते भी नहीं 
- किसने पढ़ा, नहीं पढ़ा 
उन्हें लिखना है - वे लिखते हैं 
इस बात से बेखबर कि किसकी क्या प्रतिक्रिया है 
वे लिखते भी चुपचाप हैं 
पढ़ते भी चुपचाप हैं 
यकीनन उन्हें अपने लिखने पर यकीन है 
और अपनी पसंद से पढ़ने के लिए वे आज़ाद हैं 
वे डरे नहीं रहते 
कि एक टिप्पणी के लिए उन्हें पढ़ना है 
या बिना पढ़े कुछ लिखना है !
मैं इन्हें पढ़ती हूँ 
कमाल की अभिव्यक्ति 
मन ही मन गुनना अच्छा लगता है 
दिल-दिमाग के हर तार में 
ये अभिव्यक्तियाँ चहलकदमी करती हैं 
काफी वक़्त तक असर रहता है  … 


kartikulations.wordpress.com/

9 टिप्‍पणियां:

  1. सदानीरा जल की
    शाँत धारा की तरह
    बिना शोर किये चुपचाप ।

    बहुत सुंदर ।

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति के साथ सार्थक बुलेटिन प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  3. क़माल की अभिव्‍यक्तियों को परखने वाली नज़र भी बेमिसाल है
    आभार

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  4. वे लिखते हैं क्यूं कि उन्हे लिखना अच्छा लगता है। बढिया प्रास्ताविक के साथ सुंदर सूत्र।

    जवाब देंहटाएं
  5. उम्दा बुलेटिन नायाव लिंक्स के साथ |
    मैं इन्हें पढ़ती हूँ
    कमाल की अभिव्यक्ति
    मन ही मन गुनना अच्छा लगता है |
    बहुत खूब


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