हम खुद से डरते हैं
खुद से भागते हैं
और जब तक यह होता है
कोई किनारा नहीं मिलता ! ..... तो जीतना होगा अपने डर से, अपने खालीपन से, …
सोचना होगा कि रुक जाने से न हम खुश रहते हैं, न लोग। परिवर्तन में ही नयापन है।
ब्लॉग जगत में लिखी पढी जा रही पोस्टों , उनमें दर्ज़ की जा रही टिप्पणियां ,बहस ,विमर्श ..सबको समेट कर तैयार है बुलेटिन ... ब्लॉग बुलेटिन ...
बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!
चलना /चलते रहना नए पुराने रास्तों पर ही जिंदगी है …
जवाब देंहटाएंआभार !
शुभ सेध्या बड़ी दीदी
जवाब देंहटाएंसतरंगी बुलेटिन
बूँद का एहसास ही भीगा हुआ होता है
संजय जी की रचना भा गई
सादर
सुंदर और बहुत दिनों से इंतजार भी हो रहा था ।
जवाब देंहटाएंसोचना होगा कि रुक जाने से न हम खुश रहते हैं, न लोग। sahmat hoon ....jivan ki katu sacchai ....
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