Pages

गुरुवार, 11 सितंबर 2014

परिवर्तन में ही नयापन है





हम खुद से डरते हैं
खुद से भागते हैं 
और जब तक यह होता है
कोई किनारा नहीं मिलता !  ..... तो जीतना होगा अपने डर से, अपने खालीपन से,  … 
सोचना होगा कि रुक जाने से न हम खुश रहते हैं, न लोग।  परिवर्तन में ही नयापन है।  

4 टिप्‍पणियां:

  1. चलना /चलते रहना नए पुराने रास्तों पर ही जिंदगी है …
    आभार !

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ सेध्या बड़ी दीदी
    सतरंगी बुलेटिन
    बूँद का एहसास ही भीगा हुआ होता है
    संजय जी की रचना भा गई

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. सुंदर और बहुत दिनों से इंतजार भी हो रहा था ।

    जवाब देंहटाएं
  4. सोचना होगा कि रुक जाने से न हम खुश रहते हैं, न लोग। sahmat hoon ....jivan ki katu sacchai ....

    जवाब देंहटाएं

बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!