नमस्कार साथियो,
गुरुवार की बुलेटिन के साथ आपका मित्र कुमारेन्द्र उपस्थित
है. पूरे सप्ताह बुलेटिन की प्रस्तावना को लेकर जद्दोजहद रहती है. एक-दो अच्छे संदेशों
के अलावा जो भी सुनाई देता है वो सिर्फ और सिर्फ क्रंदन ही रहता है. मन भटकता है,
विचलित होता है किन्तु ‘शो मस्ट गो ऑन’ के दर्शन के चलते लगातार आगे ही आगे बढ़ना
होता है. इसी विचलित करने और आगे बढ़ने की अवस्था के बीच एक शब्द आजकल समाज में तैर
रहा है और वो है ‘लव जिहाद’ का. सत्य क्या है, ये एक अलग विषय है किन्तु आज जिस
तरह से प्यार के नाम पर खिलवाड़ होने लगा है वो अवश्य ही चिंतित करता है.
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टीनएजर्स पढ़ाई, कैरियर से ज्यादा प्यार की तरफ आकर्षित दिख
रहे हैं. विपरीतलिंगी साथी के साथ बढ़ती नजदीकियाँ हमारे किशोरों को उनके रास्ते से
भटका रही है. एकतरफा प्यार करने के, जबरन प्यार स्वीकार करवाने के अनेक किस्से
सहजता से सुने-देखे जा सकते हैं और इस तरह के प्यार में बच्चियाँ तेजाबी हमलों का,
शारीरिक हिंसा का शिकार हो रही हैं, हताशा-निराशा में लड़कों में अपराध, नशे, अवसाद
की प्रवृत्ति देखने को मिल रही है. इसके अलावा अनब्याही माँ, आत्महत्या करती
लडकियाँ, गर्भपात से होते शारीरिक नुकसान को भी देखा जा सकता है.
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आज अधिकांश माता-पिता खुद को अपने बच्चों के दोस्त के रूप में
प्रस्तुत करते हैं किन्तु उनकी यथोचित परवरिश में कहीं न कहीं चूक कर जाते हैं. अपने
बच्चों के प्रेम-संबंधों पर भले ही हम खुश न हों पर आज की आधुनिक शिक्षा में उनके
अधिक से अधिक विपरीतलिंगी साथी देखकर बहुत खुश हो लेते हैं. इस जरा सी असावधानी
में अक्सर हमारे बच्चे गलती कर बैठते हैं और खामियाजा उठाते हैं. हम अपने बच्चों
को प्यार करना सिखाएं, उन्हें बताएं कि वाकई प्यार क्या है, उन्हें बताएं कि प्यार
कितना पवित्र और महान है. आज सिर्फ उनको ही नहीं सम्पूर्ण समाज को प्यार की
आवश्यकता है. क्या हम समझा पाएंगे अपने बच्चों को प्यार का सही अर्थ?
विचार करिए... आगे बढ़िए और आनन्द लीजिये आज की ब्लॉग-लिंक्स
का....
आभार...!!!
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चित्र गूगल छवियों से साभार
सुन्दर सूत्र...रोचक बुलेटिन...आभार
जवाब देंहटाएंलेख का विषय निश्चित ही बहुत गंभीर है। चित्र भी बड़ा सटीक है। इस विषय में मुझे लगता है कि समाज को अपनी आँखें खुली रखनी चाहिये।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत जरूरी है बच्चों को प्यार करना सीखाना ... प्रयासरत रहना होगा ...
जवाब देंहटाएंसंस्कारों के औजार से जैसा रूप गढ़ेंगे वैसा ही चरित्र आकार लेगा, जिम्मेदारी माँ-बाप की होती है
जवाब देंहटाएंगंभीर विषय की बहुत सुंदर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंमेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.
आप हमेशा सामयिक और ज्वलंत समस्याएं उठाते हैं। लडके तथा लडकियां दोनों के अभिभावकों को अपने बच्चों को सही शिक्षा देना बहुत जरूरी है। आज के समय में तो और भी ज्यादा। प्यार नही अपनी शिक्षा दीक्षा तथा करियर ज्यादा जरूरी है िस समय तभी तो बाद में प्यार मिल पायेगा।
जवाब देंहटाएंसुंदर सूत्र।
बहुत सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंगणेशोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें।
so nice
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