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मंगलवार, 13 मई 2014

एक्सिडेंट हो गया ... रब्बा ... रब्बा - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

एक बार की बात है ... एक आदमी और एक औरत दोनों की कारों का आपस में ज़बरदस्त एक्सीडेंट हो जाता है। किस्मत से दोनों अपनी कारों से सही सलामत बाहर निकलते हैं।

 महिला कारों की तरफ हैरत से देखकर आदमी से बोलती है, "देखो हमारी कारों की क्या हालत हो गई है और हम दोनों को कुछ नहीं हुआ। लगता है ऊपर वाला हमें संकेत दे रहा है कि हम दोनों को दोस्त बन जाना चाहिए और एक दूसरे को दोष देने में नहीं उलझना चाहिए।"

 आदमी कहता है, "हाँ मैं बिलकुल सहमत हूँ।"

 महिला अपनी कार से सड़क पर लुढक कर आई दो बोतलों की तरफ इशारा करके बोली, "देखो ये मेरी स्कॉच की बोतलें भी टूटने से बच गई। ये भी उपरवाले का ही संकेत हो सकता है कि हमें इन्हें खोलकर इसी वक्त सेलिब्रेट करना चाहिए।"
 
यह कहकर उसने अपनी गाड़ी की पिछली सीट से गिलास निकालकर उस आदमी को थमा दिया जो रज़ामंदी में मुंडी हिलाता हुआ अपने आप को आराम देने के लिए झटपट एक बोतल खाली कर गया। उसकी बोतल खाली हुई ही थी कि महिला ने एक और बोतल खोल कर झट से उसके हाथ में रख दी।

 आदमी ने पूछा, "क्या हुआ तुमने तो एक घूँट भी नहीं लिया। किसका इंतज़ार कर रही हो?"

 महिला ने जवाब दिया, "हाँ , पुलिस का ।"

सादर आपका 
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सीमा

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क्या लिखूँ .

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बहु, कब तक बिस्तर पर मुंह फ़ुलाये पडी रहोगी?

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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

11 टिप्‍पणियां:

  1. हा हा समझदार महिला थी । बहुत सुंदर सूत्रो के साथ सुंदर बुलेटिन :)

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  2. भगवान बचाये!! मेरी सहानुभूति उस बेचारे के साथ!! :)

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  3. त्यागी उवाच को जगह देने और बढ़िया चिट्ठे पढ़वाने के लिए आभार!

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  4. त्यागी उवाच को जगह देने और बढ़िया चिट्ठे पढ़वाने के लिए आभार!

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  5. सुंदर लघुकथा और बढिया बुलेटिन।

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  6. मेरी कविता को ब्लॉग बुलेटिन से लिंक करने हेतु हार्दिक आभार शिवम् मिश्रा जी ...

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  7. जन्मदिन पर मंगलकामनाएं शिवम् !

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