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सोमवार, 3 मार्च 2014

ट्रेन छूटे तो २ घंटे मे ले लो रिफंद, देर हुई तो मिलेगा बाबा जी का ठुल्लू

प्रिय ब्लॉगर मित्रो,
प्रणाम |

दैनिक जागरण की खबर के अनुसार यात्री सुविधाओं पर कैंची चलाते हुए रेलवे ने फिर दस दिन तक टिकट रिफंड की सुविधा खत्म कर दी है। अब ट्रेन छूटने के दो घंटे तक ही रिफंड मिलेगा।

सूत्रों के मुताबिक, दस दिनों तक मिलने वाले रिफंड पर शनिवार से रोक लगा दी गई। क्रिस ने सिस्टम में अपडेट कर दिया है। पहले सुविधा थी कि ट्रेन छूट जाने पर यात्री कंप्यूटरीकृत आरक्षण कार्यालय में दस दिनों का रिफंड ले लेता था। ट्रेन में सवार चेकिंग स्टॉफ कन्फर्म सीट पर मुसाफिर के न होने पर ईडीआर भरता था, जिसकी सूची आरक्षण कार्यालय में दी जाती थी।

इस सूची में मुसाफिर का नाम, क्लास, सीट नंबर, ट्रेन संख्या, कहां से कहां तक टिकट बना था, इसकी एंट्री कंप्यूटर में होती थी। ऑनलाइन एंट्री होने के बाद मुसाफिर किसी भी रिजर्वेशन कार्यालय से दस दिनों तक पचास फीसद रिफंड ले लेता था। लेकिन, 1 मार्च से इस रिफंड पर रोक लगा दी गई है। 28 फरवरी 2014 तक जिन ट्रेनों में मुसाफिरों ने कन्फर्म टिकट होने के बावजूद यात्रा नहीं की, उनकी एक्ससेप्शनल डाटा रिपोर्ट (ईडीआर) भरी गई है। इन मुसाफिरों को ही सिर्फ टिकट का रिफंड मिलेगा। उधर, सीनियर डीसीएम गुलशन कुमार ने माना कि अब दस दिनों का नहीं सिर्फ दो घंटे मिलेगा रिफंड।

किसी कारणवश ट्रेन छूट जाने पर यात्रियों को पहले कन्फर्म टिकट स्टेशन के टिकट संग्राहक कार्यालय में जमा करवाना होता था, जिस पर उसे टिकट डिपॉजिट रसीद (टीडीआर) मिलती थी।

इसके बाद रेलवे की ओर से आरक्षित टिकट को मुख्य क्लेम कार्यालय (सीसीओ) भेजता था, वहां से जांच करने के बाद यात्री के पते पर 'पे आर्डर' भेज दिया जाता था। इस पे आर्डर को यात्री को उस स्टेशन के बुकिंग काउंटर पर दिखाकर रिफंड ले लेता था।

 तो अब अगर कभी आपकी कोई ट्रेन छूट जाये तो रिफंद के लिए समय रहते ही संपर्क कर लीजिएगा ... बाद मे यह न कहिएगा कि पहले बताया काहे नहीं |

सादर आपका 
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अनुमान


बिटिया

सरिता भाटिया at गुज़ारिश

एक बात ... ज़रूरी है जो ...


वो कुछ साल..


बस सात फेरे और तुम मेरे

Neelima sharma at निविया 

जमशेदजी टाटा की १७५ वीं जयंती पर विशेष

शिवम् मिश्रा at बुरा भला

मोरल वैल्यु की जगह मार्केट वैल्यु को मीडिया में जगह देना खतरनाक।


सूर्यास्त

नीरज गोस्वामी at नीरज

अफ़ज़ाल अहमद सैयद : जहन्नम

मनोज पटेल at पढ़ते-पढ़ते

कहाँ ऐंसा याराना

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रंग - राग : ख़य्याम और उमराव ज़ान : यतीन्द्र मिश्र


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वक़्त

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बदलाव की बयार


ये मेरा सोचना है...

बतकुचनी at बतकुचनी

दोराहे पर अस्तित्व ?

shikha varshney at स्पंदन SPANDAN

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर कार्यक्रम


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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!

13 टिप्‍पणियां:

  1. शिवम जी , आज मेरे ब्लॉग पर प्रकाशित रचना "कहाँ ऐंसा याराना" को ब्लॉग-बुलेटिन में स्थान देने के आपका हार्दिक साधुवाद ज्ञापित करता हूँ , कृपया सहयोग व मार्गदर्शन बनायें रखें | शुक्रिया !

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  2. इस ट्रेन के तो नखरे बहुत हैं . एक और नखरा अब.
    बढ़िया जानकारी परक बुलेटिन.

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  3. बहुत सुंदर सूत्र सुंदर बुलेटिन ।

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  4. राजनीति के रंग शामिल करने के लिए शुक्रिया ब्लॉग बुलेटिन। आभारी हूँ।

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  5. बड़े ही सुन्दर सूत्र पिरोये हैं।

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  6. ट्रेन का डंडा एक बार फिर से ...
    अच्छे सूत्र है सभी ... आभार मुझे भी शामिल करने का ...

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  7. ticket ke sandarbh me janakari dene , aur meri laghu katha ko isthan dene ke liye bahut dhanyavad shivam ji.

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