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शनिवार, 31 अगस्त 2013

यहाँ पर सब राजनीति ... राजनीति है

सभी मित्रों को देव बाबा की राम राम....

कुछ साल पहले एक गाना आया था ... "यहाँ पर सब शांति शांति है ..."
आजकल माहौल बदल गया है ... आजकल "यहाँ पर सब राजनीति ... राजनीति है " बिना राजनीति कुछ भी नहीं !  कोई सामाजिक कार्यक्रम बिना राजनीति हुए बचेगा नहीं। कोई भी कार्यक्रम हो.. जैसे की मुम्बई का दही-हांडी उत्सव या फ़िर गणपति या फ़िर दुर्गा पूजा.. या फ़िर ईद को ही ले लीजिए.. हर ओर राजनीतिक दलों के पोस्टर लग जाएंगे। दो दिन पहले मुम्बई में कृष्ण जन्माष्टमी और फ़िर दही हांडी का कार्यक्रम हुआ। मुम्बई में छुट्टी होती है लेकिन हम जैसे लोगों को मजदूरी से मुक्ति नहीं मिलती सो हमें जाना पडा। अब भाई वापसी में जो दिक्कते हुई उनको कैसे बयां करें... इधर डायवर्जन, उधर से लेफ़्ट फ़िर राईट और फ़िर सेन्टर। लगा हम भी संसदीय रास्ते पर चल निकले हैं जो रास्ता शायद किसी पक्के मार्ग की ओर जाएगा जो हमें सीधा हायवे पर ले जाएगा... लेकिन यह हमारी भूल थी। संसदीय रास्ते पर चलकर आप केवल राजनीति देख सकते हैं, उस राजनीति को झेल सकते हैं.. लेकिन विकास की ओर जाएंगे ऐसा कोई तय मापदंड नहीं है। बहरहाल लेफ़्ट राईट और सेन्टर के बीच झेलते हुए हमें अपने इर्द गिर्द जमा गोविन्दाओं के हुडदंग से भी दो चार होना पडा। हर एक गोविन्दा के टी-शर्ट पर किसी न किसी राजनीतिक दल का चिन्ह था। और हर गोविन्दा उस राजनीतिक दल का पोस्टर बना घूम रहा था। कहीं भी कृष्ण का कोई नामो-निशान नहीं था। यह एक ऐसा मौका होता है जब हर राजनीतिक दल अपना दबदबा बनाए रखनें के लिए हर सम्भव प्रयास करता है। मटकी की राशि का अंदाज़ा लगाईए... पचास लाख, एक करोड और एक जगह तो पांच करोड। आखिर इस रकम की कोई लिखा पढी है? इसमें कितना राजनीतिक पैसा है और कितना दो नम्बर का? यह उत्सव वास्तव में हमारे देश की स्थिति को बयां करते हैं। जनता को लेफ़्ट राईट और सेन्टर में फ़ंसा दो.. धर्म का झुनझुना पकडा दो और फ़िर मौज लेते रहो।  चलिए देखते हैं हम और आप इस फ़ेरे से निकल कर हायवे तक कब आ पाते हैं। 

वैसे अब एक काम की और एडल्ट बात.. बोले तो सिर्फ़ 18 साल से ऊपर के लोगों के लिए... भाई इस बार चुनाव में वोट जरूर देना, नय तो फ़िर से कोई सरफ़िरा कपार पर बैठ जाएगा पांच साल के लिए.. 


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शुक्रवार, 30 अगस्त 2013

मतदान से पहले और मतदान के बाद - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों ,
प्रणाम !

एक नेता मरने के बाद यमपुरी पहुँच गया वहां यमराज ने उसका भव्य स्वागत किया, यमराज ने कहा इससे पहले कि मैं आपको स्वर्ग या नरक भेजूं पहले मैं चाहता हूँ कि आप दोनों जगहों का मुआयना कर लें कि आपके लिए कौन सी जगह ज्यादा अनुकूल होगी!

 यमराज ने यमदूत को बुलाया और कहा कि नेता जी को एक दिन के लिए नरक लेकर जाओ और फिर एक दिन स्वर्ग घुमा कर वापिस मेरे पास ले आना, यमदूत नेता को नरक में ले गया नेता तो नरक कि चकाचौंध देखकर हैरान रह गया चारों तरफ हरी भरी घास और बीच में गोल्फ खेलने का मैदान, नेता ने देखा उसके सभी दोस्त वहां घास के मैदानों में शांति से बैठे है और कुछ गोल्फ खेलने का आनंद ले रहे हैं, उन्होंने जब उसे देखा तो वे बहुत खुश हुए और सब उससे गले मिलने आ गए और, बीते हुए दिनों कि बातें करने लगे पूरा दिन उन्होंने साथ में गोल्फ खेला, और रात में शराब और मछली के साथ सुंदरियों के नाच का आनंद लिया!

 अगले दिन यमदूत नेता को स्वर्ग लेकर गया जैसे ही वे स्वर्ग के द्वार पर पहुंचे स्वर्ग का दरवाजा खुला, नेता ने देखा रोशनी से भरा दरबार था स्वर्ग का! सभी लोगों के चेहरे पर असीम शांति कोई भी एक दूसरे से बात नहीं कर रहे थे, मधुर संगीत बज रहा था, कुछ लोग बादलों के ऊपर तैर रहे थे नेता ने देखा सभी लोग अपने अपने कार्यों में व्यस्त थे, नेता उन सब को गौर से देख रहा था नेता ने बड़ी मुश्किल से एक दिन काटा!

 सुबह जब यमदूत उसे लेकर यमराज के पास पहुंचा तो यमराज ने कहा हाँ तो नेताजी आपने अपना एक दिन नरक में गुजारा और एक स्वर्ग में, अब आप अपने लिए स्थान चुनिए जहाँ आप को भेजा जाये!

 नेता ने कहा वैसे तो स्वर्ग में बड़ा आनंद है, शांति है फिर भी वहां मेरे लिए समय काटना मुश्किल है, इसलिए आप मुझे नरक भेजिए वहां मेरे सभी साथी भी है, मैं वहां आनंद से रहूँगा यमराज ने उसे नरक भेज दिया!

 यमदूत उसे लेकर जैसे ही नरक पहुंचा तो वहां का दृश्य देखकर स्तब्द रह गया वो एक बिलकुल बंजर भूमि पर उतरा, जहाँ चारों ओर कूड़े करकट का ढेर लगा था, उसने देखा उसके सभी दोस्त फटे हुए गंदे कपड़ों में कबाड़ इकट्ठा कर रहे थे, वो थोड़ा परेशान हुआ और तभी यमदूत ने डरावनी हंसी हँसते हुए कहा, नेता जी क्या हुआ?

 नेता ने कहा मुझे समझ नहीं आ रहा है कि कल जब मैं यहाँ आया था तो यहाँ घास के हरे भरे मैदान थे, और मेरे सभी दोस्त गोल्फ खेल रहे थे फिर हमने साथ बैठकर शराब पी और मछली खायी थी और हमने खूब मस्तियाँ की थी!

 आज यहाँ पर बंजर भूमि है, कूड़े करकट के ढेर है और मेरे दोस्तों का तो हाल ही बुरा है!

 यमदूत हल्की सी हंसी के साथ बोला : नेताजी कल तो हम चुनाव प्रचार पर थे आज आपने हमारे पक्ष में मतदान किया है!
नेता जी को भी मतदान से पहले और मतदान के बाद का फर्क समझ आ गया ... बात उनको उनकी ही भाषा मे जो समझाई गई थी !


सादर आपका 
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इस से अच्छे वफादार ताले / कामगार कहा मिलेंगे ..........

नीलिमा शर्मा at Rhythm 
 

झंझावात

आशा जोगळेकर at स्व प्न रं जि ता 
 

कुछ भी नहीं !

गिरिजा कुलश्रेष्ठ at Yeh Mera Jahaan 
 

क्या खबर थी.... लबे इज़हार पे ताले होंगे !!!

Ashok Saluja at यादें... 
 

भक्त और वोट

अरुण चन्द्र रॉय at सरोकार 
 

हुआ यूं कि ---

मनोज कुमार at मनोज 
 

कै

Anshu Tripathi at सारंग
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अब आज्ञा दीजिये ...
 
जय हिन्द !!!

गुरुवार, 29 अगस्त 2013

मित्र और दुश्मन एक ही खेमे में सम्भव नहीं .



कृष्ण ने संधि-प्रस्ताव सबके सामने रखा 
दुर्योधन के आगे निष्पक्ष चयन रखा  …
पर जब कुरुक्षेत्र तैयार हो गया तब दुर्योधन के साथ गप्प करते तो क्या कहा जाता ?

कैकेयी माँ थी 
उनके गलत क़दमों का भरत ने विरोध किया 
सरयू किनारे चले गए  ………… 
रोज रात में माँ की गोद में सर रखते तो - क्या कहा जाता ?

गलत का विरोध जब हम करते हैं तो पहले समझाते हैं,फिर सही के साथ होते हैं पूरी तरह   …. अगर-मगर यानि मध्यम मार्ग सही और गलत के बीच संशय उत्पन्न करता है,जिसे किसी भी तरह उचित नहीं कहा जा सकता  …। हम जितना सोचते हैं,शायद उससे अधिक यह स्थिति घातक होती  !!!
मित्र और दुश्मन एक ही खेमे में सम्भव नहीं  .… भगवान् नहीं रखते,फिर मनुष्य ???

चितन जारी रखिये और लिंक्स का आनंद लीजिये =



अब थोड़ा विश्राम लें काका हाथरसी के संग मुस्कुराते हुए -

झूठ बराबर तप नहीं, साँच बराबर पाप
जाके हिरदे साँच है, बैठा-बैठा टाप
बैठा-बैठा टाप, देख लो लाला झूठा
'सत्यमेव जयते' को दिखला रहा अँगूठा
कहँ ‘काका ' कवि, इसके सिवा उपाय न दूजा
जैसा पाओ पात्र, करो वैसी ही पूजा

बुधवार, 28 अगस्त 2013

कृष्ण जन्म सबकी अंतरात्मा में हो



जब जब धर्म का नाश होता है 
मैं अवतार लेता हूँ  …… 
तो फिर आज मैं कहाँ हूँ ?
किस में हूँ ? 
क्या अपनी गिरेबान में तुम मुझे नहीं ढूंढ पाते ?
क्या तुम सब कथन में आस्तिक 
और करने में नास्तिक हो गए हो ?
क्या उत्तरदायित्व सिर्फ भगवान् का है ???
वो भी इसलिए कि तुम मेरे मंदिर में मुझे भोग लगाते हो 
!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
उठा लो अपने चढ़ाये भोग 
सम्भव हो तो जाओ वहां - जहाँ भूखों की भीड़ है 
जाओ वहाँ - जहाँ कंस हैवानियत पर उतर आया है 
मौसम का ख्याल मत करो 
उठो - जागो 
फिर जानो - मैं अवतार हूँ 
तुम्हारे ही ह्रदय में 
तुम्हारी ही चाह में  …। 

कृष्ण जन्म सबकी अंतरात्मा में हो - यही कामना है रसखान की कामना के साथ =

"मानुस हौं तो वही रसखान, बसौं मिलि गोकुल गाँव के ग्वारन।
जो पसु हौं तो कहा बस मेरो, चरौं नित नंद की धेनु मँझारन॥
पाहन हौं तो वही गिरि को, जो धर्यो कर छत्र पुरंदर कारन।
जो खग हौं तो बसेरो करौं मिलि कालिंदीकूल कदम्ब की डारन॥

या लकुटी अरु कामरिया पर, राज तिहूँ पुर को तजि डारौं।
आठहुँ सिद्धि, नवों निधि को सुख, नंद की धेनु चराय बिसारौं॥
रसखान कबौं इन आँखिन सों, ब्रज के बन बाग तड़ाग निहारौं।
कोटिक हू कलधौत के धाम, करील के कुंजन ऊपर वारौं॥

सेस गनेस महेस दिनेस, सुरेसहु जाहि निरंतर गावै।
जाहि अनादि अनंत अखण्ड, अछेद अभेद सुबेद बतावैं॥
नारद से सुक व्यास रहे, पचिहारे तू पुनि पार न पावैं।
ताहि अहीर की छोहरियाँ, छछिया भरि छाछ पै नाच नचावैं॥

धुरि भरे अति सोहत स्याम जू, तैसी बनी सिर सुंदर चोटी।
खेलत खात फिरैं अँगना, पग पैंजनी बाजति, पीरी कछोटी॥
वा छबि को रसखान बिलोकत, वारत काम कला निधि कोटी।
काग के भाग बड़े सजनी, हरि हाथ सों लै गयो माखन रोटी॥"



पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से आप सभी को श्री कृष्णजन्माष्टमी की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनाएँ !

मंगलवार, 27 अगस्त 2013

ऋषिकेश मुखर्जी और मुकेश .... ब्लॉग बुलेटिन

सभी चिठ्ठाकार मित्रों को सप्रेम नमस्कार।।




आज हिंदी फिल्म जगत के दो महान कलाकारों की पुण्यतिथि है एक हैं महान फिल्म निर्माता- निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी और दूसरे हैं महान गायक मुकेश। हिंदी फिल्म जगत में इन दोनों ही महान शख्सियतों ने अपना अतुलनीय और सराहनीय योगदान दिया। ऋषिकेश मुखर्जी और मुकेश ने एक साथ केवल दो फिल्मों में काम किया है और वो फिल्म है अनाड़ी (1959) और आनंद(1971)। इन दोनों ही फिल्म के गाने उस दौर में काफी प्रसिद्ध हुए थे। अनाड़ी (1959) फिल्म का गीत "सब कुछ सीखा हमने" और आनंद(1971) फिल्म के दो गीत "मैंने तेरे लिए ही सात रंग के सपने चुने, सपने सुरीले सपने" तथा "कहीं दूर जब दिन ढल जाएँ"। अनाड़ी (1959) फिल्म के गीत "सब कुछ सीखा हमने" के लिए मुकेश जी को 1959 के सर्वश्रेष्ठ गायक का फ़िल्मफेयर पुरस्कार भी मिला था। जबकि ऋषिकेश मुखर्जी जी को फिल्म आनंद(1971) के लिए सर्वश्रेष्ट कहानी और बेस्ट एडिटिंग का फ़िल्मफेयर पुरस्कार मिला था। इन दोनों ने ही हिंदी फिल्म जगत को असीम ऊँचाइयों तक पहुँचाया।


आज इनकी पुण्यतिथि पर पूरा हिंदी ब्लॉगजगत और हमारी पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम इन्हें नमन करती है और हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करती है!!

अब रुख करते है आज की बुलेटिन  की ओर  ….


चित्रों का आनंद ब्लॉग से सूर्योदय और कमल के फूल
















कल फिर मिलेंगे तब तक के लिए शुभ रात्रि।।

सोमवार, 26 अगस्त 2013

आया आया फटफटिया बुलेटिन आया

आदरणीय ब्लॉगर मित्रों,

लो आ गया आज का फटफटिया बुलेटिन कुछ चुटकुलों के साथ |














वो बोले “महफिल में कहीं हमारे जूते खो गए अब हम घर कैसे जाएंगे?”
हमने कहा “आप शायरी शुरू कर दीजिए इतने आएंगे कि फिर गिन भी नहीं पाएंगे”
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एक लड़का रास्ते में चलते-चलते ठोकर खाकर गधे के सामने गिर गया
उसी वक्त वहां से एक लड़की गुजर रही थी, उसने लड़के को छेड़ते हुए कहा: अपने बड़े भाई का आशीर्वाद ले रहे हो क्या ?
लड़के ने जवाब दिया, आपने सही फरमाया भाभी जी
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संता शराब पीकर लौटा, और घर का ताला खोलने लगा, लेकिन हाथ कांपने की वजह से खोल नहीं पा रहा था
बंता : ला दे यार, ताला मैं खोल देता हूं
संता: ताला मैं खोल लूंगा, तू सिर्फ मकान पकड़ ले 
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पत्नी : आपको पता है, आपका दोस्त एक पागल लड़की से शादी करने जा रहा है
पति : तो मैं क्या करूं
पत्नी : अरे, आप उसे रोकेंगे नहीं?
पति : क्यों रोकूं?  उस साले ने मुझे रोका था क्या?
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संता : एक आदमी गंजा है फिर भी रोज सलून जाता है ... 
बंता : क्यों ? 
संता : क्योंकि सलून उसी का है ! 
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एक चोर चोरी करने के इरादे से एक घर में घुसा, तिजोरी तोड़ने से पहले उसने देखा की उस पर कुछ लिखा हुआ था
सूचना :
तिजोरी तोड़ने की कोई ज़रूरत नहीं हे, इस खोलने के लिए ४२५ नंबर दबाएँ और सामने लगा लाल बटन दबा दें। चोर बडा खुश हुआ, उसने वैसा ही किया। इससे तिजोरी तो नहीं खुली उल्टे अलार्म बजने लगा, कुछ देर में पुलिस आ धमकी। जब पुलिस चोर को ले जा रही थी
तो उसने बड़ी हताशा से कहा : आज इंसानियत से मेरा विश्वास उठ गया।
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आज की कड़ियाँ 
हाइकू - विभा रानी श्रीवास्तव
गरीब की लड़की - दीपिका रानी
तेरे प्रताप से...! - प्रवीण पाण्डेय
अजेय नहीं है चीन - ब्रजकिशोर सिंह
तो शब्दों के समूह पंक्तिबद्ध न होते - दिव्या शुक्ला
किनारे - रंजना भाटिया
अगर अपना समझते हो तो फिर नखरे दिखाओ मत - नवीन
सच...दर्द की इन्तेहा...चाँद को भी ज़र्द कर सकती है - अपर्णा खरे
हक़ खुशियों पे सबका - ज्योति-कलश
मन पर चाबुक मार, आज रविकर को हांको - रविकर
नाकारा हुक्मरान - उदय

अब इजाज़त | आज के लिए बस यहीं तक | फिर मुलाक़ात होगी | आभार

जय श्री राम | हर हर महादेव शंभू | जय बजरंगबली महाराज 

रविवार, 25 अगस्त 2013

चंद पोस्टों तक जाती एक गली ....


आज के हालातों पर पवन भाई का एक ताज़ा कार्टून देखिए पहले




चलिए अब आपको लिए चलते हैं आज की कुछ पोस्टों तक , अपने वन लाइनर के माध्यम से




ऐ ..क्या बोलती तू : ऐ .......क्या मैं बोलूं


दोहरी मानसिकता : राजनीति का चरित्र


शिक्षा : बडी महंगी हो गई बाबा रे


शुगर की बीमारी में शुगर की भूमिका : ठीक होने में इंसुलिन का रोल :)


आइए जानते हैं किस तरह करें पूरी दुनिया में मुफ़्त में कॉल : फ़ोन की भी जरूरत नहीं है क्या  :)


एक दोस्त के नाम खुला पत्र : अब जाकर दोस्त को मिला ये पत्र :)


जन्मदिन तुम्हारा मुबारक हो तुमको : फ़ौरन ही केक अब खिलाओ न सबको :)


रिपोर्टर , वेश्या और धोबी का कुत्ता : देखिए जी काटा है किसने किसका फ़िर पत्ता :)


हरित लाल : पोस्ट कमाल


राह से भटकी अकादमियां : और चाह में भटकी हस्तियां :)


बीस साल चले अढाई कोस : कुल पांच शब्द की पोस्ट , फ़िट है बॉस :)


समय बदल रहा है दोस्तों : बच के अब कहां जाओगी , पोस्टों :)



जहां परिवार में परस्पर प्यार है , वह केवल अपना हिंदुस्तान है : एक पडोसी चीन और दूसरा पाकिस्तान है


खुदा नहीं देंगे : हम तो लेंगे ही लेंगे :)


एक मर्लिन मुनरो ऐसी भी : चलेगी , जी होगी मुनरो जैसी भी :)



मार लो कितनों को मारोगे :  कभी जीतोगे तो कभी हारोगे :)


चलो यात्रा यात्रा खेलते हैं : फ़िर जम के पोस्ट ठेलते हैं :)


कुछ है जो दिखता नहीं है : हुज़ूर फ़िर वो बाज़ार में बिकता नहीं है :)


अथ तिलचट्टा लव स्टोरी : झिंगुरवा क जोरा जोरी :)


नाम , शब्द रूप  : बारिश, छाया धूप :)


छोटी छोटी चिप्पियां  : ज्यूं लहरों में किश्तियां :)


फ़ेसबुक स्टेटस : से डायरेक्ट ब्लॉग पोस्ट तक :)


छुटकन रील्स : हाउमच फ़ील्स


क्यूंकि दुनिया में अच्छे लोग भी हैं : हैं झूठे तो सच्चे लोग भी हैं :)


और चलते चलते काजल भाई का पेसल कार्टून ...विद ढेर सारा स्माइली :) :) :) :)





अच्छा जी , शुभ रात्रि । मिलेंगे फ़िर कुछ मज़ेदार , बेहतरीन पोस्टों के साथ । अपना ख्याल रखिए और खूब लिखिए , खूब पढिए और हां टीपीए भी :)





शनिवार, 24 अगस्त 2013

वाकई हम मूर्ख हैं?

रुपया गिर रहा है... डालर घोडे पर सवार है... पेट्रोल और डीज़ल का भाव आसमान पर है... कानून व्यवस्था चरमराई जा रही है... हर ओर निराशा है.. सरकार को दोष दिया जाए? अजी उससे कोई फ़ायदा नहीं है.... लेकिन फ़िर क्या किया जाए.... दर-असल हम और आप ही दोषी हैं... आज सुबह से रह रहकर मुझे काटज़ू साहब की नब्बे प्रतिशत भारतीयों को मूर्ख कहे जाने वाले बयान की याद आ रही थी... कुछ गलत नहीं कहा था भाई। 

अगर हम मूर्ख न होते तो फ़िर क्या कांग्रेस साठ साल तक राज करती? 
अगर हम मूर्ख न होते तो फ़िर क्या अंग्रेजों की गुलामी होती?
अगर हम मूर्ख न होते तो फ़िर क्या हम अपनें शहीदों को भूलते?
अगर हम मूर्ख न होते तो फ़िर क्या हम खुद को लुटनें देते?
अगर हम मूर्ख न होते तो फ़िर क्या हम नेताजी और शहीदे-आज़म का अपमान होने देते? 
अगर हम मूर्ख न होते तो फ़िर क्या हम आपस में लड मरते?
अगर हम मूर्ख न होते तो फ़िर क्या हम धर्म के नाम पर लडते? 

मंदिर नें मारा.. मस्ज़िदों नें मारा... इंसा को कभी राम नें तो कभी रहीम नें मारा...  

जागो भाई... जागो....  
अपनें साथ हो रहे अत्याचार को पहचानों... 
कुछ कमीनें हम पर राज करते हैं... 
देश को बांट कर.. 
हम सबको टुकडों में तोड कर.. 
हमारी कमज़ोर याददाश्त का फ़ायदा उठाकर... 



जी बिल्कुल अगर हम अभी भी नींद से न जागे तो फ़िर न जानें क्या हो जाएगा... मित्रों शक्ति भी संगठित होनें में ही है... एक जुट न रहना ही हमारी सबसे बडी कमज़ोरी है। एक जुट जनशक्ति किसी भी देश में एक नये प्राण का संचार कर सकती है। 

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आज के बुलेटिन में... 












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तो मित्रों आज का बुलेटिन यहीं तक.. कल फ़िर मिलते हैं एक नये अंक में... तब तक आईए हम एक जुट होकर इस देश के लिए अपनी ज़िम्मेदारी समझें... 

जय हिन्द

शुक्रवार, 23 अगस्त 2013

अमर मरा करते नहीं - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों ,
प्रणाम !

आज से ठीक दो साल पहले ब्लॉग जगत खास कर हिन्दी ब्लॉग जगत को एक कठोर आघात का सामना करना पड़ा जिस से कि उबरने की कोशिश अब भी हम सब कर रहे है !

मैं बात कर रहा हूँ ड़ा ॰ अमर कुमार के असमय निधन की ... आज ड़ा ॰ साहब की दूसरी पुण्यतिथि है !


अमर मरे नहीं, अमर मरा करते नहीं..
वो दिलों में रहते हैं, हमेशा हमेशा के लिए...
ब्लॉग बुलेटिन टीम और पूरे हिन्दी ब्लॉग जगत की ओर से दूसरी पुण्यतिथि पर स्व॰ ड़ा॰ अमर कुमार जी को सादर नमन और हार्दिक श्रद्धांजलि !!
सादर आपका 
 
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राजनितिक नफ़ा नुकशान के हिसाब से विवाद पैदा किया जा रहा है !!

पूरण खण्डेलवाल at शंखनाद
विश्व हिंदू परिषद और राम मंदिर जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े हुए संतो द्वारा उद्घोषित ८४ कोसी परिक्रमा को लेकर उतरप्रदेश सरकार और संतों के बीच टकराव की जो स्थति बन रही है वो निश्चय ही दुखद: और निराशाजनक है ! इस तरह से विवाद पैदा करके जहाँ एक और राजनितिक फायदे के लिए कदम उठाये जा रहें हैं वहीँ दूसरी तरफ लगातार उतरप्रदेश के साम्प्रदायिक सद्भाव को भी नुकशान पहुंचाया जा रहा है ! जिसका परिणाम कतई अच्छा मिलनें वाला नहीं है ! उतरप्रदेश की समाजवादी पार्टी की सरकार अपनें गठन के बाद से ही उतरप्रदेश में साम्प्रदायिक सद्भाव को बनाए रखनें में नाकाम रही है और उस पर मुस्लिम तुस्टीकरण के आरोप लगातार लग... more »

माँ

* * *तेरे पलकों की छाँव तले* *जब मै अपने आँसू सुखाती हूँ .......* *माँ तब मै बहुत सुकून पाती हूँ ........* * * *तेरे ममतामयी आँचल तले* *कुछ देर जो सो जाती हूँ .....* *माँ तब मै बहुत सुकून पाती हूँ ......* * * *तू बहुत अच्छी तरह से जानती है माँ * *की मै, छोटी - छोटी बात पर * *बहुत जल्दी उदास हो जाती हूँ......* *बेचैन होकर तेरे सीने से लग जाती हूँ* *सच माँ, तब मै बहुत सुकून पाती हूँ ......* * * *इधर उधर की बातों से * *जब तू मुझको फुसलाती है .......* *छोटे - बड़े **उदाहरण** देकर जब तू * *मुझको समझाती है.......* *धीरे - धीरे , हौले - हौले * *जब बालों को सहलाती है* *माँ तब मै बहुत सुकून पाती हू... more »

इस कहानी को कौन रोकेगा?

Anu Singh Choudhary at मैं घुमन्तू
दो हफ्ते भी नहीं हुए इस बात को। आपको सुनाती हूं ये वाकया। मैं अलवर में थी, दो दिनों के एक फील्ड विज़िट के लिए। मैं फील्ड विज़िट के दौरान गांवों में किसी महिला के घर में, किसी महिला छात्रावास में या किसी महिला सहयोगी के घर पर रहना ज़्यादा पसंद करती हूं। वजहें कई हैं। शहर से आने-जाने में वक़्त बचता है और आप अपने काम और प्रोजेक्ट को बेहतर तरीके से समझ पाते हैं - ये एक बात है। दूसरी बड़ी बात है कि आप किसी महिला के घर में और जगहों की अपेक्षा ख़ुद को ज़्यादा सुरक्षित महसूस करते हैं। मेरी उम्र चौतीस साल है और मैं दो बच्चों की मां हूं। बाहर से निडर हूं और कहीं जाने में नहीं डरती। डरती हूं, ल... more »

मैं उससे कह रहा था

Vimalendu Dwivedi at उत्तम पुरुष
मैं उससे कह रहा था कि तुम्हें नींद न आती हो तो मेंरी नींद में सो जाओ और मैं तुम्हारे सपने में जागता रहूँगा । असल में यह एक ऐसा वक्त था जब बहुत भावुक हुआ जा सकता था उसके प्रेम में । और यही वक्त होता है जब खो देना पड़ता है किसी स्त्री को । यह बात तब समझ में आयी जब मुझ तक तुम्हारी गंध भी नहीं पहुँचती है और भावुक होने का समय भी बीत चुका है । एक दिन देखता हूँ कि सपने व्यतीत हो गये हैं मेरी नींद से । सपने न देखना जीवन के प्रति अपराध होता है कि हर सच पहले एक सपना होता है । यह सृष्टि ब्रह्मा का सपना रही होगी पहले पहल, और उसी दिन लिखा गया होगा पहला शब्द- प्रेम ! आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्... more »

राजनेताओं के पोस्टर देखकर ख़याल आता है

सच-सच बताना... अगर आपका सहमत हैं तो कहिये फिर

न राधा न रुक्मणी

lori ali at आवारगी
प्रिय सारंग, खुश रहो बारिश के बीच तुम यों मिल आये जैसे बहुत उदास दिनों के बीच कोईं मीठी सी याद. एकदम से भरे बाज़ार में पुराने दोस्त का मिल जाना, और कॉफ़ी की गरमागरम भांप की बीच से झांकता अतीत का एक टुकड़ा। सब कुछ कितना ख्वाब्नाक, कितना किताबी। हर मोड़ पर इंतज़ार करते तुम और मेरी न रुक पाने की हज़ार मजबूरियों के बावजूद हमेशा रुक जाने की तमन्ना। सारंग ! तुम्हारे हमेशा की तरह अपनी बोलती आँखों से मुझे देखना और मेरे चहरे पर तुम्हारी निगाहों की झल लगना. सब कुछ वही है, सब कुछ तुम्हारे पुकार लेने पर मेरा मुड़ कर देखना और मेरा "एक मिनट आयी !" कहने पर तुम्हारा लम्बी देर , म... more »

जो भी निकली, बहुत निकली

Rajeev Sharma at Do Took
जुबां से मैं न कह पाया, वो आंखें पढ़ नहीं पाया इशारों की भी अपनी इक अलग बेचारगी निकली।। मेरे बाजू में दम औ' हुनर की दुनिया कायल थी हुनर से कई गुना होशियार पर आवारगी निकली।। तसव्वुर में समंदर की रवां मौजों को पी जाती मैं समझा हौंसला अपना मगर वो तिश्नगी निकली।। जरा सी बात पे दरिया बहा देता था आंखों से मेरी मय्यत पे ना रोया ये कैसी बेबसी निकली।। जिसे सिखला रहा था प्यार के मैं अलिफ, बे, पे, ते मगर जाना तो वो इमरोज की अमृता निकली।। दवा तो बेअसर थी और हाकिम भी परेशां थे मुझे फिर भी बचा लाई मेरी मां की दुआ निकली।।

गधा सम्मेलन - 2013 के आयोजन की सूचना

ताऊ रामपुरिया at ताऊ डाट इन
जैसे दुनियां में शुरू से ही, एक ही जाति में दो वर्ग होने का फ़ैशन रहा है वैसे ही ब्लाग जगत तो क्या बल्कि कोई भी जीव समाज इससे कभी अछूता नही रहा. देखा जाये तो गधे और घोडे भी शायद एक ही प्रजाति के जीव हैं पर घोडों को अपने ऊपर विशेष गर्व है. घोडा कहलाना फ़ख्र की बात है और गधा कहलाना अपमान की, जबकि दोनों ही बिना सींग के हैं और दोनों ही लीद करते हैं. दोनों मे कुछ भी फ़र्क नही है. एक राज की बात आपको और बता देते हैं कि ये तथाकथित घोडे भी कभी गधे ही थे पर चालाकी, मौका परस्ती और चापलूसी से अपने आपको स्वयंभू घोडा घोषित कर लिया. इस वजह से जो भी मान सम्मान, पुरस्कार, सुविधाएं होती हैं व... more »

जानिये क्या व कैसे होता है डायबिटीज (मधुमेह) रोग.

अनियमित जीवनशैली व अधिक स्वाद की चाहत के बढते चलन से जो घातक रोग इस समय समूचे विश्व में तेजी से पैर पसार रहा है और जिसमें एशिया विश्व से आगे व भारत एशिया से भी आगे चल रहा है वह डायबिटीज रोग मानव शरीर में कैसे घर करता है यह जानकारी सिलसिलेवार तरीके से हमें दे रहे हैं जाने-माने चिकित्सक डा. पंकज अग्रवाल- डायबिटीज को समझने के लिये हमें शुगर को समझना होगा । यहाँ शुगर का मतलब है ग्लुकोज या शर्करा । यह हमारे शरीर के लिये कोई अवांछित पदार्थ नहीं है बल्कि यह हमारे शरीर का श्रेष्ठ ईंधन है । शरीर को अपने प्रत्येक कार्यकलाप के लिये आवश्यक उर्जा इसी शुगर जो ग्लुकोज रुप ... more »

जीवन हैं अनमोल रतन !

जीवन में हमेशा परिवर्तन होता ही रहता हैं |कभी हम उच्चतर शिखर पर होते हैं तो कभी विफलता के बिलकुल समीप |हमे अपने स्वप्नों की जिंदगी वाली सोंच कों हमेशा खुद पर हावी रखना हैं |हम अक्सर परिस्थितिजन्य सोंच एवं उनके दृश्यांकन में उलझे रहते हैं ,हमे बुरी दशाओं में भी अच्छी चीजों की कल्पना करने का साहस करना होंगा ,क्यूंकि हम मनुष्य हैं और अपनी खुद की दुनिया के निर्माता भी हैं |दस वर्ष की उम्र से ही हम अपने विचारों और कर्मो की वजह से भविष्य का निर्माण करने लगते हैं | वाराणसी में एक रिक्शा चालक के घर में जन्मे आई ए एस आफिसर श्री गोविन्द जायसवाल का लालन पालन अनेक विषमताओं ,गरीबी और सीमित... more »

स्व॰ ड़ा॰ अमर कुमार जी को सादर नमन

शिवम् मिश्रा at बुरा भला
*अमर मरे नहीं, अमर मरा करते नहीं..* *वो दिलों में रहते हैं, हमेशा हमेशा के लिए...* *पूरे ब्लॉग जगत की ओर से दूसरी पुण्यतिथि पर स्व॰ ड़ा॰ अमर कुमार जी को सादर नमन और हार्दिक श्रद्धांजलि !!*
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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!! 

गुरुवार, 22 अगस्त 2013

जन्म दिवस : हरिशंकर परसाई …. ब्लॉग बुलेटिन

सभी चिठ्ठाकारों मित्रों को सप्रेम नमस्कार।।


आज हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध लेखक और व्यंग्यकार स्वर्गीय श्री  हरिशंकर परसाई जी का 89वां जन्म दिवस है।  हरिशंकर जी का जन्म मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के जमानी नामक स्थान पर 22 अगस्त, 1924 ई  . को हुआ था। अधिक पढ़े यहाँ ....  

आज श्री  हरिशंकर परसाई जी के 89वें जन्म दिवस पर पूरा हिंदी ब्लॉगजगत और ब्लॉग बुलेटिन की टीम उन्हें हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करती है।  सादर …. नमन।। 


अब चलते हैं आज की बुलेटिन  की ओर ….











जय साईं राम। तब तक के लिए शुभ रात्रि।।