जब जब धर्म का नाश होता है
मैं अवतार लेता हूँ ……
तो फिर आज मैं कहाँ हूँ ?
किस में हूँ ?
क्या अपनी गिरेबान में तुम मुझे नहीं ढूंढ पाते ?
क्या तुम सब कथन में आस्तिक
और करने में नास्तिक हो गए हो ?
क्या उत्तरदायित्व सिर्फ भगवान् का है ???
वो भी इसलिए कि तुम मेरे मंदिर में मुझे भोग लगाते हो
!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
उठा लो अपने चढ़ाये भोग
सम्भव हो तो जाओ वहां - जहाँ भूखों की भीड़ है
जाओ वहाँ - जहाँ कंस हैवानियत पर उतर आया है
मौसम का ख्याल मत करो
उठो - जागो
फिर जानो - मैं अवतार हूँ
तुम्हारे ही ह्रदय में
तुम्हारी ही चाह में …।
कृष्ण जन्म सबकी अंतरात्मा में हो - यही कामना है रसखान की कामना के साथ =
"मानुस हौं तो वही रसखान, बसौं मिलि गोकुल गाँव के ग्वारन।
जो पसु हौं तो कहा बस मेरो, चरौं नित नंद की धेनु मँझारन॥
पाहन हौं तो वही गिरि को, जो धर्यो कर छत्र पुरंदर कारन।
जो खग हौं तो बसेरो करौं मिलि कालिंदीकूल कदम्ब की डारन॥
या लकुटी अरु कामरिया पर, राज तिहूँ पुर को तजि डारौं।
आठहुँ सिद्धि, नवों निधि को सुख, नंद की धेनु चराय बिसारौं॥
रसखान कबौं इन आँखिन सों, ब्रज के बन बाग तड़ाग निहारौं।
कोटिक हू कलधौत के धाम, करील के कुंजन ऊपर वारौं॥
सेस गनेस महेस दिनेस, सुरेसहु जाहि निरंतर गावै।
जाहि अनादि अनंत अखण्ड, अछेद अभेद सुबेद बतावैं॥
नारद से सुक व्यास रहे, पचिहारे तू पुनि पार न पावैं।
ताहि अहीर की छोहरियाँ, छछिया भरि छाछ पै नाच नचावैं॥
धुरि भरे अति सोहत स्याम जू, तैसी बनी सिर सुंदर चोटी।
खेलत खात फिरैं अँगना, पग पैंजनी बाजति, पीरी कछोटी॥
वा छबि को रसखान बिलोकत, वारत काम कला निधि कोटी।
काग के भाग बड़े सजनी, हरि हाथ सों लै गयो माखन रोटी॥"
Hamzabaan हमज़बान ھمز با ن: हे कृष्ण कन्हैया, नन्द लला ...
साहित्य योग: "हे कृष्ण
JHAROKHA: हे कृष्ण
मातृभूमि: हे कृष्ण !!
पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से आप सभी को
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंसादर
कृष्णं वंदे जगद्गुरुम्!
जवाब देंहटाएंश्री कृष्ण जन्माष्टमी की बधाई और शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंकृष्ण जन्माष्टमी की ढेरों बधाइयाँ..
जवाब देंहटाएंश्री कृष्ण जन्माष्टमी पर इससे सुंदर संदेश और बुलेटिन नहीं हो सकता था । शुक्रिया दीदी बहुत बहुत शुक्रिया आपका
जवाब देंहटाएंजय जय बिहारी जी महाराज !
जवाब देंहटाएंमुरली मनोहर कृष्ण कन्हैया;
यमुना तट पर विराजे है;
मोर मुकुट पर, कानों में कुंडल;
कर में मुरलिया साजे है।
आप सभी को श्री कृष्णजन्माष्टमी की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनाएँ !
सुंदर संदेश।
जवाब देंहटाएंमैं अपनी इस कविता को भूला हुआ था। आपने याद दिलाया।
..आभार। दूसरे लिंक देखता हूँ।
कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें ... बहुत सुंदर लिंक्स मिले ... आभार ।
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट अभिव्यक्ति..श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंश्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें......
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपकी पारखी नजरों की कायल हूँ हमेशा से :)
जवाब देंहटाएंलिंक की गई यह रचना बुलेटिन में देर से देख पायी,
कृष्ण मेरे चहेते है,जीवन में समग्र स्वीकार के प्रतीक है कृष्ण इसलिए !
आभार तहे दिल से, और बहुत बहुत बधाई सभी मित्रों को जन्माष्टमी की !
नाचीज़ की पोस्ट को जगह देने के लिए आभारी हूँ!
जवाब देंहटाएंHappy Janmashtami
जवाब देंहटाएंadbhut ...
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट बुलेटिन
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