आदरणीय ब्लॉगर मित्रों नमन,
पिछले दिनों अमिताभ बच्चन साहब के बेहद करीबी वफ़ादार जन्नत नशीं हो गए | हुज़ूर मीडिया वालों को एक और मुद्दा मिल गया हो हल्ला मचने का और बात को बढ़ा चढ़ा कर बखान करने का | चैनल की टी आर पी बढ़ाने का और हुज़ूर के वफ़ादार को सीधा स्वर्ग पहुंचवाने का भी | जी हाँ जनाब! इतनी पब्लिसिटी के बाद, समाचारों में हाईलाइट होने के बाद तो चित्रगुप्त ने मेसेज लपक ही लिया होगा और शीघ्र कार्यवाही के चलते उन्हें स्वर्ग में ट्रान्सफर मिल गया होगा सीधा भई सेलेब्रिटी पेट जो थे वो |
हमारी मीडिया को ऐसी आलतू फालतू खबरें दिखने में बहुत आनंद आता है | परन्तु जो भारत माता के सच्चे सपूत होते हैं उनकी खबर के बारे में बताना इनकी शान के खिलाफ है | ऐसे ही एक नौजवान शहीद की कहानी मैं आज आपको सुनाने जा रहा हूँ |
हमारे देश प्रेमी शहीद का नाम रेक्स था |
रेक्स आतंकवादियों के खिलाफ अपने उत्कृष्ट और असाधारण प्रदर्शन के लिए जीओसी इन सी प्रशस्ति कार्ड प्राप्तकर्ता था |
९ए ९२ रेक्स, एक सुनहरा लैब्राडोर था जो आरवीसी सेंटर एंड स्कूल मेरठ में २५ फ़रवरी १९९३ को पैदा हुआ था | एक वर्ष के प्रशिक्षण के बाद उसे डेल्टा फोर्स के तहत १४ आर्मी डाग यूनिट में तैनात कर दिया गया जहाँ वो आतंकवादियों और उनसे जुड़ी गतिविधियों की खोज बीन में सैनिकों की मदद करता था | भद्रवाह के शहर के आसपास के क्षेत्रों में सभी मिलिट्री गतिविधियों में वह सक्रिय भूमिका निभाता था |
बद्रोत, मार्च १९९५ में, भद्रवाह के दक्षिण के जंगलों में २५ आरआर के जवानों के साथ ऑपरेशन में उसने एनकाउंटर में घायल एक उग्रवादी को ३ किलोमीटर फैली आग में से खोज निकला | ४ घंटे से अधिक चली इस खोज में बह एक एके ५६ राइफल और एक बैग में ९२ गोलिया बरामद करवाने में कामयाब रहा |
गुलगंधार का बहरी क्षेत्र, अप्रैल १९९८ में, सुरक्षा बल के एक गश्ती दल ने २ खूँखार आतंकवादियों को मार गिराया और जो गंभीर रूप से घायल हो गए थे वे भागने में कामयाब रहे | रेक्स ने उनकी खून की गंध लेकर बहुत ही तेज़ी और ख़ामोशी से पहाड़ों में उनका पीछा किया | तकरीबन २ किलोमीटर जाने के बाद उसने मृत आतंकवादी की लाश और उसके छिपने के स्थान को खोज निकला |
राजौरी के पास दराबा में सीओ २५ आरआर के क्यूआरटी के साथ एक और 'परीक्षण' के दौरान दुर्भाग्यवश रेज़ एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना का शिकार हो गया | वह पहाड़ से नीचे गिर गया और उसे पेट में आंतो में गंभीर चोटें आईं | जिसके कारण उसके पेट अन्दर से घायल हो गया | उसे तुरंत पास के पशु चिकित्सा अस्पताल ले जाया गया | इलाज के दौरान उसे बहुत तीव्र पेट दर्द हुआ और डॉक्टरों ने बताया के उसे गंभीर और तेज़ गैसटरोएंट्रीटाइस हो गया है | काफी इलाज के बाद भी आखिरकार अपना रेक्स २२ सितंबर १९९९ को शहीद हो गया | हमारे देश का एक नौजवान और कर्मठ सिपाही देश की राह में देश के लिए काम करते करते देश पर कुर्बान हो गया |
आज तक मीडिया वालों ने ये खबर किसी को नहीं सुनाई | मैं ऐसे देश के लाडले और नौजवान सेनानी को शत शत नमन करता हूँ और श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ | रेक्स जैसे सेना के जवान हमेशा अमर रहें | जय भारत माता | जय हिन्द |
आज की कड़ियाँ
आज के लिए बस इतना ही । फिर मुलाक़ात होगी । जय हो ।
जय श्री राम । हर हर महादेव शंभू । जय बजरंगबली महाराज ।
भारत माँ के शहीद पुत्र रेक्स को नमन और अश्रुपूरित श्रधांजलि, आज ये पढ़कर ऑंखें नम हो गयी...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद तुषार जी में कवित को सामिल करने हेतु !
सारे लिंक्स बहुत अच्छे हैं..एकाध पढ़ पायी बाकि पढूंगी ...एक बार फिर से धन्यवाद ...आभार !
बहुत कुछ कर गये देश के लिये, रोचक सूत्र।
जवाब देंहटाएंअमर सेनानी को शत शत नमन
जवाब देंहटाएंआज के दौर मे शहीदों के बारे मे सोचने का समय है ही कितनों के पास ... बहुत दुख होता है !
जवाब देंहटाएंसही कहा तुषार भाई आपने, "रेक्स जैसे सेना के जवान हमेशा अमर रहें ..."
मेरी ओर से भी इस अमर सैनिक को शत शत नमन !
यहां आना सदैव ज्ञानवर्धक होता है। आपका प्रस्तुतिकरण बहुत सुन्दर है। बहुत सुन्दर सूत्र संजोए आपने।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका आभार!
rex ko naman...sunder links...aabhar !!
जवाब देंहटाएंनमन
जवाब देंहटाएंbahut sundar links ,meri rachna ko sthan dene ke liye hardik abhar
जवाब देंहटाएंrex ko hat shat naman .meri post ka link yahan diye jane par aapka hardik aabhar
जवाब देंहटाएंहम हिंदी चिट्ठाकार हैं