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गुरुवार, 13 जून 2013

अपने उत्तरदायित्व कम नहीं


ज़िन्दगी इम्तहान लेती है ........... लेती ही जाती है,
अपना घर,
अपनी जिम्मेदारियाँ,
अपने उत्तरदायित्व ही इतने हैं कि ज़िन्दगी कम पड़ जाती है .... 
ऐसे में दूसरे के रास्ते में पाँव रखना रास्ते से बेरास्ते होना है, इसे समझकर भी हम बाज नहीं आते - दूसरे क्या हैं,क्या नहीं हैं इसीमें लगे रहते हैं = हम भी कमाल के हैं न !

चलिए कुछ पुरानी कुछ नई अभिव्यक्ति की गलियों से गुजरते हैं ...

सामाजिक स्थिति और चिंतन 

10 टिप्‍पणियां:

  1. हम भी कमाल के हैं न !!
    आध्यात्म में डूबे हम
    कमाल के ही होगें ना हम .....
    क्या लिखूँ .........
    धन्यवाद और आभार छोटे लग रहे ....
    आपके कद के अनुसार कोई शब्द नहीं मिल रहे ....

    जवाब देंहटाएं
  2. हम भी कमाल के हैं न !!
    आध्यात्म में डूबे हम
    कमाल के ही होगें ना हम .....
    क्या लिखूँ .........
    धन्यवाद और आभार छोटे लग रहे ....
    आपके कद के अनुसार कोई शब्द नहीं मिल रहे ....

    जवाब देंहटाएं
  3. बढ़िया प्रस्तुति रश्मि दी ... अब जाता हूँ सभी लिंक्स पर !

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत खूब लिखा | बुलेटिन लाजवाब है | जय हो |

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  5. ऐसे में दूसरे के रास्ते में पाँव रखना रास्ते से बेरास्ते होना है, इसे समझकर भी हम बाज नहीं आते - दूसरे क्या हैं,क्या नहीं हैं इसीमें लगे रहते हैं = हम भी कमाल के हैं न !

    सटीक कहा है .... बढ़िया प्रस्तुति

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  6. एक से बढ़ कर एक लिंक... कुछ पढ़ लिए और कुछ पढ़ने जा रही हूँ ...
    बहुत बहुत शुक्रिया...

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  7. बहुत सुंदर सूत्र .....पढ़ती हूँ चलकर...
    साभार....

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  8. रोचक सूत्रों से सजा बुलेटिन, आभार आपको।

    जवाब देंहटाएं

बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!