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मंगलवार, 11 जून 2013

यात्रा रुकेगी नहीं ...


एक दिन खेल खेल में
मैंने सूरज से कुछ किरणें माँगी 
वादा किया -
जहाँ अँधेरा दिखा वहां एक किरण दूँगी 
................................
...................
..........
जीवन का एक लम्बा अध्याय पार कर गई 
तब जाना 
दिन में भी अँधेरे सिसकते हैं" 
पहले से जानती 
तो सूरज के साथ साथ चलने का वादा नहीं करती ..... 
...........
......
....
पर अब वादे तोड़ नहीं सकती 
न किरणों को बर्बाद कर सकती हूँ 
तो ................... यात्रा जारी है ....................

सहयात्री अनगिनत - कुछ अपने से, कुछ किरणों को चुराते से - अंधेरों में उनके चेहरे दिखते नहीं, और देखकर भी क्या होगा- हमें तो बस अभिव्यक्ति की किरणें चाहिए =

21 टिप्‍पणियां:

  1. रश्मिप्रभा जी, बहुत दिनों बाद इस ब्लॉग पर आपकी उपस्थिति देखकर सुखद आश्चर्य हुआ...बहुत बहुत आभार!

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  2. यात्रा जारी है
    आमीन ....
    और अंतहीन जारी रहे
    रश्मि का अंत कभी हो ही नहीं सकता
    हार्दिक शुभकामनायें

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  3. हाँ! मैं भी आपकी प्रतीक्षा में थी .निस्संदेह कोई महत्वपूर्ण कार्य पूर्णता की ओर अवश्य अग्रसर हो रहा होगा .

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  4. सुन्दर संदेस और सार्थक वार्ता ...!!
    बुत अच्छा बुलेटिन ...दी ...!!

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  5. आभारी हूँ रश्मिप्रभा जी मेरी रचना को इस बुलेटिन में सम्मिलित करने के लिये ! आपकी प्रस्तुति हमेशा ही विलक्षण होती है ! बहुत सुंदर लिंक्स समायोजित किये हैं ! आभार आपका !

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  6. आभारी हूँ .......मेरी रचना को इस बुलेटिन में सम्मिलित करने के लिये ! . बहुत सुंदर लिंक्स समायोजित किये हैं ! आभार आपका !

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  7. बहुत ही सुन्दर सूत्रों से सजा बुलेटिन।

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  8. बहुत सुन्दर बुलेटिन रश्मि दी कविता बहुत हे सार्थक है | पढ़कर आनंद आया | अब ज़रा लिनक्स भी देख लिए जाएँ |

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  9. बहुत खूब, सार्थक प्रस्तुति ,बहुत सुन्दर रचना

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  10. यात्रा जारी रहे ! शुभकामनाऎं ! आभार बार बार !

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  11. बेहद सुन्दर प्रस्तुति ....!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (11-06-2013) के अनवरत चलती यह यात्रा बारिश के रंगों में .......! चर्चा मंच अंक-1273 पर भी होगी!
    सादर...!
    शशि पुरवार

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  12. सही कहा रश्मि दीदी ... यह यात्रा नहीं रुकेगी :)

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  13. यात्रा अनवरत चलती रहे ………सुन्दर बुलेटिन ………आभार

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  14. यात्रा अनवरत ्चलती रहे …………सुन्दर बुलेटिन

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  15. यात्रा अनवरत ्चलती रहे …………सुन्दर बुलेटिन

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  16. बढ़िया बुलेटिन..
    हमारी रचना शामिल करने का शुक्रिया रश्मि दी...प्रस्तुति आपकी है देख अच्छा लगा.
    हम तो शिवम् का शुक्रिया अदा किये जा रहे थे :-)

    आभार
    अनु

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  17. पर अब वादे तोड़ नहीं सकती
    न किरणों को बर्बाद कर सकती हूँ
    तो ................... यात्रा जारी है ....

    बहुत सुन्दर

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  18. बहुत खूब ...
    लिंक्स और रचना ... दोनों ही लाजवाब ...

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