एक दिन खेल खेल में
मैंने सूरज से कुछ किरणें माँगी
वादा किया -
जहाँ अँधेरा दिखा वहां एक किरण दूँगी
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जीवन का एक लम्बा अध्याय पार कर गई
तब जाना
दिन में भी अँधेरे सिसकते हैं"
पहले से जानती
तो सूरज के साथ साथ चलने का वादा नहीं करती .....
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पर अब वादे तोड़ नहीं सकती
न किरणों को बर्बाद कर सकती हूँ
तो ................... यात्रा जारी है ....................
सहयात्री अनगिनत - कुछ अपने से, कुछ किरणों को चुराते से - अंधेरों में उनके चेहरे दिखते नहीं, और देखकर भी क्या होगा- हमें तो बस अभिव्यक्ति की किरणें चाहिए =
उल्लूक टाईम्स: कुछ नहीं हुआ !
राग-विराग
बेचैन आत्मा: बारिश
हरकीरत ' हीर': कैद मुहब्बत ....
लोगों का क्या,चलते फिरते, सूरज पर थूका करते हैं
एक प्रयास: धीर धरो सखि पिया आवेंगे
Amrita Tanmay: ऐसी की तैसी ....
बुरा भला : 'बिस्मिल' जी की ११६ वी जयंती पर विशेष
सुधिनामा : मेरा " मैं "
आमोद श्रीवास्तव : कौन ...??
अनीता : आयी है घर मे बहार
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर .
सार्थक,सुंदर लिंक्स प्रस्तुति,,,
जवाब देंहटाएंrecent post : मैनें अपने कल को देखा,
रश्मिप्रभा जी, बहुत दिनों बाद इस ब्लॉग पर आपकी उपस्थिति देखकर सुखद आश्चर्य हुआ...बहुत बहुत आभार!
जवाब देंहटाएंयात्रा जारी है
जवाब देंहटाएंआमीन ....
और अंतहीन जारी रहे
रश्मि का अंत कभी हो ही नहीं सकता
हार्दिक शुभकामनायें
हाँ! मैं भी आपकी प्रतीक्षा में थी .निस्संदेह कोई महत्वपूर्ण कार्य पूर्णता की ओर अवश्य अग्रसर हो रहा होगा .
जवाब देंहटाएंसुन्दर संदेस और सार्थक वार्ता ...!!
जवाब देंहटाएंबुत अच्छा बुलेटिन ...दी ...!!
सुंदर लिंक्स प्रस्तुति,
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ रश्मिप्रभा जी मेरी रचना को इस बुलेटिन में सम्मिलित करने के लिये ! आपकी प्रस्तुति हमेशा ही विलक्षण होती है ! बहुत सुंदर लिंक्स समायोजित किये हैं ! आभार आपका !
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ .......मेरी रचना को इस बुलेटिन में सम्मिलित करने के लिये ! . बहुत सुंदर लिंक्स समायोजित किये हैं ! आभार आपका !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सूत्रों से सजा बुलेटिन।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बुलेटिन रश्मि दी कविता बहुत हे सार्थक है | पढ़कर आनंद आया | अब ज़रा लिनक्स भी देख लिए जाएँ |
जवाब देंहटाएंबहुत खूब, सार्थक प्रस्तुति ,बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंयात्रा जारी रहे ! शुभकामनाऎं ! आभार बार बार !
जवाब देंहटाएंबेहद सुन्दर प्रस्तुति ....!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (11-06-2013) के अनवरत चलती यह यात्रा बारिश के रंगों में .......! चर्चा मंच अंक-1273 पर भी होगी!
सादर...!
शशि पुरवार
सही कहा रश्मि दीदी ... यह यात्रा नहीं रुकेगी :)
जवाब देंहटाएंयात्रा अनवरत चलती रहे ………सुन्दर बुलेटिन ………आभार
जवाब देंहटाएंयात्रा अनवरत ्चलती रहे …………सुन्दर बुलेटिन
जवाब देंहटाएंयात्रा अनवरत ्चलती रहे …………सुन्दर बुलेटिन
जवाब देंहटाएंबढ़िया बुलेटिन..
जवाब देंहटाएंहमारी रचना शामिल करने का शुक्रिया रश्मि दी...प्रस्तुति आपकी है देख अच्छा लगा.
हम तो शिवम् का शुक्रिया अदा किये जा रहे थे :-)
आभार
अनु
पर अब वादे तोड़ नहीं सकती
जवाब देंहटाएंन किरणों को बर्बाद कर सकती हूँ
तो ................... यात्रा जारी है ....
बहुत सुन्दर
बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंलिंक्स और रचना ... दोनों ही लाजवाब ...