प्रिये ब्लॉगर मित्रों आज की बुलेटिन में प्रस्तुत है मेरी एक रचना जिसमें मैंने कर्म की मधुरता और मिठास को दर्शाने का प्रयत्न किया है । आशा है कर्म का महत्त्व और कर्म की महिमा सभी को ज्ञात होगी । उम्मीद करता हूँ मेरा यह छोटा सा प्रयास आपको कुछ प्रेरणा प्रदान करेगा ।
पग घुंघरू बाँध
मीरा नाची थी
केशव
की याद में, या
फिर केशव
के कर्म
रंग, रूप, गुण
की गंध में
मुग्ध हुई
मन वीणा, की
झंकार पर
नाची थी
हाँ
कर्म की
झंकार ही ने
मीरा को
बाध्य किया
नाचने पर
कर्म की मिठास ही
जीवन को सतरंगी
बनाती है
आज की कड़ियाँ
धन्यवाद्
तुषार राज रस्तोगी
जय बजरंगबली महाराज | हर हर महादेव शंभू | जय श्री राम
sundar sanyojan
जवाब देंहटाएंसुन्दर सूत्र...
जवाब देंहटाएंबहुत मीठी रचना... सुंदर प्रस्तुति!!
जवाब देंहटाएंवाह ... बुलेटिन की बेहद सुंदर प्रस्तुति के लिए आभार तुषार भाई !
जवाब देंहटाएंअब लिंक्स देखता हूँ !
बहुत बढिया..
जवाब देंहटाएंsahi bat hai karm ka koi vikalp nahi hai ,,,
जवाब देंहटाएंसभी महानुभावों का आशीर्वाद प्राप्त हुआ | बहुत बहुत आभार और धन्यवाद् :)
जवाब देंहटाएंतुषार राज रस्तोगी जी "अनमोल वचन - सवाई सिंह राजपुरोहित" Aaj ka Agra को भी बुलेटिन में सम्मिलित करने के लिए आपका विनम्र आभार
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंकों का सुन्दर संयोजन किया है आज की बुलेटिन में
जवाब देंहटाएंआभार .....