प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम !
प्रणाम !
सन 1945 मे नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की
तथाकथित हवाई दुर्घटना या उनके जापानी सरकार के सहयोग से 1945 के बाद
सोवियत रूस मे शरण लेने या बाद मे भारत मे उनके होने के बारे मे हमेशा ही
सरकार की ओर से गोलमोल जवाब दिया गया है उन से जुड़ी हुई हर जानकारी को
"राष्ट्र हित" का हवाला देते हुये हमेशा ही दबाया गया है ... 'मिशन नेताजी' और इस से जुड़े हुये मशहूर पत्रकार श्री अनुज धर
ने काफी बार सरकार से अनुरोध किया है कि तथ्यो को सार्वजनिक किया जाये
ताकि भारत की जनता भी अपने महान नेता के बारे मे जान सके पर हर बार उन को
निराशा ही हाथ आई !
श्री धर ने इस विषय पर समय समय पर पुस्तकें और विभिन्न आलेखों के माध्यम से
जनता मे इस मुद्दे को जीवित रखने का प्रयास चलाये रखा है ...
उनकी हालिया लिखी पुस्तक, "India's Biggest Cover-up"
बहुत ही कम समय मे काफी लोकप्रिय हो गई है ... आज कल मैं भी इसी पुस्तक को
पढ़ने मे लगा हुआ हूँ ! जिस प्रकार से श्री धर ने नेता जी से जुड़ी इस
गुत्थी को परत दर परत खोलने का प्रयास अपनी इस पुस्तक मे किया है वो सच मे
तारीफ के काबिल है ... और ऐसा भी नहीं है कि आपको पढ़ते हुये कहीं से भी ऐसा
लगे कि लेखक भावनाओ के आधीन हो कुछ कह रहा है ... जो भी लिखा गया है उसके
पीछे उसको साबित करते हुये तथ्य भी दिये गए है !
अभी हाल ही मे अंगेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स
मे एक आलेख छपा था जिस मे कि इस पुस्तक मे दिये गए एक चित्र का जिक्र था
... मैं यहाँ उस आलेख का स्कैन किया हुआ चित्र लगा रहा हूँ ताकि आप सब भी
उसे पढ़ सकें !
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मेरा आप से एक अनुरोध है कि इस किताब को एक बार जरूर पढ़ें ... भारत के
नागरिक के रूप मे अपने देश के इतिहास को जानने का हक़ आपका भी है ... जानिए
कैसे और क्यूँ एक महान नेता को चुपचाप गुमनामी के अंधेरे मे चला जाना
पड़ा... जानिए कौन कौन था इस साजिश के पीछे ... ऐसे कौन से कारण थे जो इतनी
बड़ी साजिश रची गई न केवल नेता जी के खिलाफ बल्कि भारत की जनता के भी खिलाफ
... ऐसे कौन कौन से "राष्ट्र हित" है जिन के कारण हम अपने नेता जी के बारे
मे सच नहीं जान पाये आज तक ... जब कि सरकार को सत्य मालूम है ... क्यूँ
तथ्यों को सार्वजनिक नहीं किया जाता ... जानिए आखिर क्या है ...
सादर आपका
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नेताजी सुभाष का बचपन
Chaitanyaa Sharma at चैतन्य का कोना
*मेरी ड्राइंग - राष्ट्रभक्त नेताजी*'तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा' का नारा देने वाले नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने देश के लिए अपने प्राण तक न्योछावर कर दिए | उन्हें एक महान स्वतंत्रता सेनानी और भारत माँ के सच्चे सपूत के रूप में हमेशा याद किया जाता है और किया जाता रहेगा | राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने भी उन्हें 'देशभक्तों का देशभक्त' कहा | क्या आप सब जानते हैं नेताजी सुभाष बचपन से ही देशभक्ति और सामाजिक उत्थान की सोच रखते थे | राष्ट्रप्रेम, स्वाभिमान और साहस की भाव उनके व्यक्तित्व में बचपन से थे | नेताजी बचपन से दयालु और सेवाभावी थे। राष्ट्रप्रेम तो उनके मन कूट- कूट कर भरा... more »
नेताजी... सत्य क्या है?
देव कुमार झा at राम भरोसे हिन्दुस्तान.....
२३ जनवरी.... नेताजी का जन्मदिवस.... २३ जनवरी आनें को है और हमारे सामनें फ़िर से वही सवाल आने को हैं। पिछले दिनों अनुज धर जी की पुस्तक मॄत्यु से वापसी और बिगेस्ट कवर-अप को पढा और कई अन-सुलझे सवालों के उत्तर मिले। मैं अपनें ब्लाग के माध्यम से अनुज जी को धन्यवाद देना चाहूंगा की उन्होनें जिस बेबाकी से अपनी राय रखी है उसकी मिसालें बहुत कम हैं। सार्थक और सटीक लेखन अभी जीवित है और हमारी पत्रकारिता अभी भी बहुत मज़बूत है। एक प्रश्न मेरे दिमाग में हमेशा कौंधता रहता था की आखिर नेताजी से कांग्रेस इतना डरी हुई क्यों थी... आखिर नेहरू के समर्थन वाली कांग्रेस क्या वाकई हिन्दुस्तान का प्रतिनिधित... more »
सत्ता के लड्डू जो न खाए रोए, जो खाए ज्यादा रोए!
Ravishankar Shrivastava at छींटे और बौछारें[image: image] और भी ढेरों तकनीकी – हास्य व्यंग्य रचनाएँ पढ़ें छींटें और बौछारें पर यहाँ
बालसाहित्य को दरकिनार करने से उपजा है चरित्र का संकट।
DrZakir Ali Rajnish at मेरी दुनिया मेरे सपने
शीघ्र बहाल होंगे उ.प्र. हिन्दी संस्थान के बाल साहित्य सम्मान *उ0प्र0 हिन्दी संस्थान के अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह (मध्य) को ज्ञापन देते हुए जाकिर अली रजनीश, रवीन्द्र प्रभात, बन्धु कुशावर्ती, सूर्य कुमार पांडेय, सर्वेश अस्थाना, धन सिंह मेहता अनजान, अरूणेन्द्र चंद्र त्रिपाठी* लखनऊ। आज देश में चारों ओर जो चरित्र का संकट दिखाई पड़ रहा है, इसका समाधान बाल साहित्य में निहित है। अगर हम बच्चों को बाल साहित्य उपलब्ध कराएं, तो उससे उनके व्यक्तित्व का समुचित विकास तो होगा ही हमारा समाज भी एक स्वस्थ समाज के रूप में निर्मित हो सकेगा। पर दुर्भाग्यवश हमारे देश में ऐसा नहीं होता है। हमारे यह... more »
तुकबंदियां मेरे मन की- 1
राजीव तनेजा at हँसते रहो
*[image: angry-man-03]* *बिसात इश्क की आज फिर.......................मैंने बिछा दी भाइयों ने उसके रोली चन्दन के साथ अर्थी मेरी सजा दी* ************************************************** *मर के नाम रौशन किया.....तो क्या किया जिन्दगी भर तरसते रहे..बुढ़ापे में घी पिया * ************************************************** *सत्ता पे काबिज.........आज मैं हो तो लूँ रुको...पहले हाथ..मुँह..पैर सब धो तो लूँ * ************************************************** *हिल गई सत्ता........सत्ता के गलियारों की पौ बारह फिर बन आई निपट घसियारों की * ************************************************** *... more »
काश मेरा देश एक तस्वीर होता...
Pallavi saxena at मेरे अनुभव (Mere Anubhav)
आज कल सभी समाचार पत्र जैसे खून से रंगे हुए दिखाई देते हैं कहीं कुछ अच्छा हो ही नहीं रहा हो जैसे और यदि हो भी रहा हो तो उसे देखकर भी मन नहीं करता उस खबर को पढ़ने का, यह सब देखकर पढ़कर और टीवी पर सुनकर ऐसा लग रहा है कि माया कलेंडर गलत नहीं था। दुनिया खत्म हो ही गयी है, अब कसर ही क्या बची है दुनिया के ख़त्म होने में, क्यूंकि मानव कहे जाने वाले प्राणी के अंदर से मानवता तो अब लगभग खत्म हो ही गयी है। जिसका साक्षात प्रमाण पहले दिल्ली की "दामिनी" और अब हमारे देश की सुरक्षा सीमा पर तैनात जवानो की निर्मम हत्या। इस सबसे तो अच्छा था दुनिया वैसी ही खत्म हो जाती। हालांकी यह कोई नयी घटनाएँ नहीं ह... more »
गुलाबी नगरी, में गुलाबी मौसम में, गुलाबी गाल वालों की, कुछ गुलाबी - गुलाबी सी गप्पें इस प्रकार हैं ....
शेफाली पाण्डे at कुमाउँनी चेली
गुलाबी नगरी, में गुलाबी मौसम में, गुलाबी गाल वालों की, कुछ गुलाबी - गुलाबी सी गप्पें इस प्रकार हैं ............. साथियों, जब चुनाव होते हैं तो हमारा कार्यकर्ता देखता रहता है और कोई बाहर ही बाहर पैराशूट से सीधे पार्टी में आ जाता है, असल बात ये है कि पैराशूट उम्मीदवार को टिकट देना हमारी मजबूरी है, अगर ऐसा न करें तो हमारे प्रत्याशी टिकट बंटवारे को लेकर एक दूसरे को शूट करने के लिए तैयार हो जाते हैं । हमने इस पर गहन चिन्तन किया और ये निष्कर्ष निकाला कि इस समस्या को इस तरह से सुलझाया जाए कि पैराशूटों को बनवाने का ठेका चाइना को दे दिया जाए । दूसरी पार्टी का उम्मीदवार जैसे ही पार्टी में लें... more »
माँ और बेटा
Archana at अपना घर*यहाँ आपको मिलेंगी सिर्फ़ अपनों की तस्वीरें जिन्हें आप सँजोना चाहते हैं यादों में.... ऐसी पारिवारिक तस्वीरें जो आपको अपनों के और करीब लाएगी हमेशा...आप भी भेज सकते हैं आपके अपने बेटे/ बेटी /नाती/पोते के साथ आपकी **तस्वीर साथ ही आपके ब्लॉग की लिंक ......बस शर्त ये है कि स्नेह झलकता हो **तस्वीर में... * * * *आज की तस्वीर में अनुलता राज नायर जी हैं अपने छोटे बेटे यश के साथ * **और इनका ब्लॉग - *my Dreams `n'expressions.....यानि मेरे दिल से सीधा कनेक्शन *
सदी के महानायक
आशा जोगळेकर at स्व प्न रं जि ता
तुम थे उस सदी के महानायक तुमने जानी थी आज़ादी की सही कीमत मुफ्त में या भीक में मिली चीज़ की कोई महत्ता नही होती तुम्हें पता था । इसी लिये तो तुम चाहते थे लड कर अपना हक लेना लडे भी । कितने दर्द सहे, परायों से अपनों से भी, जिससे की उम्मीद उसीने मुंह पेर लिया तुमने नही मानी हार, उठ खडे हुए हर बार। शत्रु का शत्रु वह अपना मित्र यही कहावत मानी और धैर्य से की प्रतीक्षा मदद की । जिसने दी मदद उससे ली । अपने बलबूते पर बनाई आज़ाद हिंद फौज और चकित कर दिया दुष्मनों को भी । और कितनी करीब थी मंजिल जब रास्ता गुम हो गया । अपनों ने ही तुम्हें पराया कर दिया । चाहे यश किसी और दरवाजे पर चला गया, पर तुम... more »
हे नेताजी ! प्रणाम करूँ
ई. प्रदीप कुमार साहनी at मेरा काव्य-पिटारा
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जन्म: 23 जनवरी 1987 नेताजी के जयंती पर अनेकानेक श्रद्धांजलि !!! हे नेताजी ! प्रणाम करूँ, तेरे आगे निज शीश धरूँ | नहीं कोई भक्त माँ भारत का, तुझ जैसा कभी हो पाया है; लाल महान तुम इस धरती के, कोई न तुझसा हो पाया है | हे नेताजी ! प्रणाम करूँ, तेरे आगे निज शीश धरूँ | जिस आज़ादी के दम पर अब, हम सब यूं इठला सकते हैं; पाने को तुम लड़े जान से, कभी न हम झुठला सकते हैं | हे नेताजी ! प्रणाम करूँ, तेरे आगे निज शीश धरूँ | कहाँ तेरे सपनों का भारत, अब तक हम बनवा पाये हैं; एक देश हो, हो समानता, कहाँ ऐसा करवा पाये हैं | हे नेताजी ! प्रणाम करूँ, ... more »
चिट्ठी ना कोई सन्देश जाने वो कौन सा देश जहा तुम चले गये
DR. PAWAN K. MISHRA at पछुआ पवन (The Western Wind)
आज गली मुहल्ले से लेकर जाने कैसे कैसे चिरकुट लोग "नेता जी"के नाम से अपने को सम्बोधित करवा रहे है जोकिनेताजी सुभाष के पाव की धोवन के बराबर नही. स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरानजो व्यक्ति अपनो की साजिश का शिकार हो गया जिसने मातृभूमि को सब कुछ न्योछावर कर दिया उसके प्रति आज के नेताओ की कृतघ्नता देख कर शर्म आतीहै आज तक यह ना पता चल पाया कि नेताजी की मौत कैसे हुयी. आज जरूरत कि जनता इन कांग्रेसियो से अपने प्यारे नेताजी के बारे मे सवाल पूछे कि जिस बन्दे ने देश से बाहर आज़ाद हिन्द फौज बनायी वह देश मे कायरो की भांति गुमनामी जिन्दगी क्यो जियेगा?नेताजी सुभाषचन्द्र बोस विमान दुर्घटना मे नही मरे. जव... more »
एक प्राइवेट कंपनी के दफ्तर में
Ankita Chauhan at ये जो है ज़िंदगी...
एक प्राइवेट कंपनी के दफ्तर में ज़िन्दगी थोड़ी तेज़ चलती है वक़्त का हर एक कतरा बटा होता है काम के अलग अलग हिस्सों में जिंदगी चलती है हर एक बात का रिमाइंडर लगा कर की कही कोई जरुरी डिटेल छूट न जाए एक प्राइवेट कंपनी के दफ्तर में आपकी अपनी प्राइवेट जिंदगी तो हो सकती है पर पर्सनल कुछ भी नहीं हो सकता आप के हर एक मिनट आप प्रोफेशनल की कसौटी पर कसे जाते हैं और इस जिद में आप ये भूल जाते है की आप सिर्फ चल नहीं रहे आप दौड़ रहे है वो देखिये आप जोर जोर से हाँफते हुए भागते कहाँ चले जा रहे हैं आज सुबह एक मीटिंग कल शाम एक प्रेजेंटेशन है फ्राइडे को एक डेडलाइन है अगले मंडे टीम मीटिंग है आपके सालाना टार... more »
सर्दी एक महीना और ताम झाम बारह महीना ---
डॉ टी एस दराल at अंतर्मंथन
दिल्ली में दिसंबर जनवरी के महीने कड़ाके की सर्दी के महीने होते हैं। इन दिनों सारे गर्म कपडे जो महीनों से बिस्तरबंद कैद में पड़े रहते हैं , स्वतंत्रता की सर्द हवा खाते हुए हमें गर्मी का अहसास देने के लिए कैद से छूट जाते हैं। यही समय शादियों का भी होता है। हालाँकि इस वर्ष शादियों का साया बहुत ही कम समय तक रहा। लेकिन शादियों में वे कपड़े बहुत इज्ज़त पाते हैं जिनका बाकि समय कोई विशेष योगदान नहीं रहता। आखिर कुछ तो फर्क होता ही है आम और खास में, फिर वो कपड़े हों या पहनने वाला। इत्तेफ़ाक देखिये कि दोनों ही आम, सारी जिंदगी पिसते रहते हैं जबकि खास कभी कभी ही कष्ट करते हैं , अपनी सुरक्षा के... more »
एक स्वर होने का आह्वान ... (2)
रश्मि प्रभा... at परिचर्चा
शब्द माध्यम है हमको कुछ शब्दों के गुल्लक मिले हैं प्रेम,दर्द,आक्रोश,मौन .........के समानुभूति की सरहदों पर हमारा मन तैनात है दुश्मन अपनी विकृति के बारूद से हमारे संस्कारों का हनन कर रहे ... बहुत चुप रहे हम सोचते रहे - कोई मसीहा आएगा ! मसीहा ....... हमारे ही शब्द हैं जो सोयी हुई आत्माओं को झकझोरेंगे ....................... पर पहले हम तो पूरी तरह से जाग जाएँ ............. अगर हमारे अन्दर प्रेम,रिश्ते,पूजा,नैतिकता की आंच बाकी है तो अनैतिकता का विरोध करें ताकि प्रेम,रिश्तों की ,पूजा की लौ न बुझे ........... रोटी,कपड़ा,मकान की भागदौड़ में मान-सम्मान को दरकिनार ना करें आइये हम ... more »
नयी सोच, नयी शुरुआत... और नया भारत
जयदीप शेखर at देश - दुनिया
12 जनवरी को- स्वामी विवेकानन्द जयन्ती पर- अपने आलेख का समापन मैंने इस उद्घोषणा के साथ किया था: ““भारतीयता का पुनर्जागरण” या “भारत का पुनरुत्थान” एक नये, यानि अब तक अपरिचित, नेतृत्व के द्वारा हो...
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नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की ११६ वीं जयंती पर विशेष
शिवम् मिश्रा at बुरा भला* **"मृतक ने तुमसे कुछ नहीं लिया | वह अपने लिए कुछ नहीं चाहता था | उसने अपने को देश को समर्पित कर दिया और स्वयं विलुप्तता मे चला गया |" - महाकाल * (श्री Anuj Dhar जी की पुस्तक,"मृत्यु से वापसी - नेता जी का रहस्य" से लिए गए कुछ अंश) "महाकाल" को ११६ वीं जयंती पर हम सब का सादर नमन || आज़ाद हिन्द ज़िंदाबाद ... नेता जी ज़िंदाबाद || जय हिन्द !!!
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विलुप्तता से जाने की वजहों से कुछ जुड़े,कुछ अनभिज्ञ हम ........... याद करते हैं तहेदिल से . और जब आप हैं तो महँ हस्तियों को भुला देना आसान नहीं है
जवाब देंहटाएंनेता जी को नमन . यह पुस्तक इस बार के भारत प्रवास में खोजने की पहली प्राथमिकता रहेगी
जवाब देंहटाएंलगभग कुछ तथ्य ये साबित करते है कि - नेताजी, सोवियत रूस में ही थे। क्योंकि 50 के दशक में पंडित जवाहर लाल नेहरु की बहन श्रीमती पंडित विजयलक्ष्मी और उस समय के भारत के उपराष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्ण सोवियत रूस के दौरे के दौरान सुभाष जी से मिलकर आयें थे।
जवाब देंहटाएंविजयलक्ष्मी जी तो नेताजी से हुई मुलाकात को भारतीय जनता के सामने सार्वजानिक करना चाहती थी। लेकिन कहते है ऐन वक़्त पर पंडित जवाहर लाल नेहरु ने उन्हें ये सब बताने से रोक दिया था।
जवाब देंहटाएंइस तरह के नेता तो वैसे भी लुप्तप्राय प्रजाति के हो चुके हैं... अब तो नेता शब्द बोलते ही जुबान कसैली हो जाती है..
जवाब देंहटाएंभारतवर्ष के एकमात्र 'नेताजी' को सैल्यूट!!
नेता जी ही नेता जी थे और उनके लिये दिल में जो सम्मान है वो हमेशा बढा ही है।
जवाब देंहटाएंसभी लिनक्स संग्रहणीय हैं | नेताजी को शत शत नमन ....... आभार
जवाब देंहटाएंभारत में नेताजी तो एक हुआ है और वो वीर सुभाष ही हैं । इनके अलावा और कोई नेताजी कहलाने का हकदार नहीं ।
जवाब देंहटाएंशत-शत नमन ।
मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार ।
और देवताओं ने ले कर ध्रुव तारों की टेक -
जवाब देंहटाएंछिड़के होंगे तुम पर तरुनाई के खूनी फूल
खुद ईश्वर ने चीर अंगूठा अपनी सत्ता भूल
उठ कर स्वयं किया होगा विद्रोही का अभिषेक
किंतु स्वर्ग से असंतुष्ट तुम, यह स्वागत का शोर
धीमे-धीमे जबकि पड़ गया होगा बिलकुल शांत
और रह गया होगा जब वह स्वर्ग देश
खोल कफ़न ताका होगा तुमने भारत का भोर।"
समयिक लिंकों के साथ बढ़िया बुलेटिन!
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स से सुसज्जित पोस्ट...
जवाब देंहटाएंआप सब का बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंबढिया लिंक्स, जाती हूँ सब पर । मेरी रचना शामिल करने का आभार ।
जवाब देंहटाएंआप सच कह रहे हैं , अब तो यकीनन ही हमें भी ये पुस्तक पढनी है । यदि नेताजी सुभाष चंद्र बोस को भी ये देश भूल भुला के बैठ सकता है तो फ़िर आज जो इस देश की हालत है इसके लिए ये खुद ही जिम्मेदार है । संग्रहणीय और सहेज़नीय अंतर्जालीय पन्ना ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सूत्र..निश्चय ही नेताजी की कमी खली है स्वतन्त्र भारत को।
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