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शुक्रवार, 30 नवंबर 2012

गीतों में कभी कहीं धुप तो कहीं छांव ...


 दान धर्म अब कर्ण की छवि का द्योतक नहीं 
पैसे की ठसक है ... 
यानि पैसे से पुण्य !
..................................... तभी तो कलम ने कहा - दर्द मेरे गान बन जा ....

इन्हीं गीतों में कभी कहीं धुप तो कहीं छांव ... धुप छांव न हो तो दर्द की अनुभूति नहीं,अनुभूति नहीं तो अभिव्यक्ति नहीं ... अभिव्यक्तियों की गठरियाँ एक वर्ष की मेरे आगे हैं और मैं अपनी नज़र से कर रही हूँ वार्षिक अवलोकन इस विश्वास के साथ की 'प्रतिभाओं की कमी नहीं' . कल से इसका आरम्भ है - जहाँ तक मेरी दृष्टि है , वहां तक अवलोकन है .... देखिये कितने मोती इस समंदर से मैं निकाल पाती हूँ . 
(पिछले वर्ष के अवलोकन को एक अंतराल के बाद हमने पुस्तक की रूपरेखा दी ..... इस बार भी यही कोशिश होगी . जिनकी रचनाओं का मैं अवलोकन कर रही हूँ , वे यदि अपनी रचना को प्रकाशित नहीं करवाना चाहें तो स्पष्टतः लिख देंगे . एक भी प्रति आपको बिना पुस्तक का मूल्य दिए नहीं दी जाएगी - अतः इस बात को भी ध्यान में रखा जाये ताकि कोई व्यवधान बाद में ना हो ) .... 

शुभकामनायें 



13 टिप्‍पणियां:

  1. अवलोकन 2012 के लिए हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें स्वीकार करें !

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  2. अवलोकन 2012 के लिए हार्दिक बधाइयाँ और बहुत-बहुत शुभकामनायें !!

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  3. शुभकामनायें व हार्दिक बधाइयाँ

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  4. कल से इसका आरम्भ है - जहाँ तक मेरी दृष्टि है , वहां तक अवलोकन है .... देखिये कितने मोती इस समंदर से मैं निकाल पाती हूँ . aap ka kaary prashansniy v vandaniy hai

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  5. आपका प्रयास है ....सफल ही होगा ....उत्सव के लिए अनेक शुभकामनायें ....!!

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  6. आपका यह प्रयास बेहद सराहनीय ह‍ै ... सफलता के लिये अनंत शुभकामनाएं
    सादर

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  7. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (1-12-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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  8. सराहनीय कदम,,प्रयास सफल हो,,शुभकामनाए,,,

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  9. हम जानते हैं...आप मोती चुनने में माहिर हैं....इस बार की दौलत का इंतज़ार है ....:)

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  10. इस सराहनीय के लिए साधुवाद ...आपकी अवलोकन दृष्टि सीमा में आने के लिए मुझे क्या प्रयास करने चाहिए जानना चाहूँगा।

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