प्रिय ब्लॉगर मित्रो ,
प्रणाम !
कल १ दिसम्बर है यानि ... विश्व एड्स दिवस [1 दिसंबर] ...
एड्स के सदर्भ में एक
अच्छी खबर यह है कि दुनिया भर में एचआईवी से सक्रमित लोगों की सख्या कम
हो रही है। यहीं नहीं, एचआईवी सक्रमण के नये मामलों में भी गिरावट दर्ज
हुई है। इसके बावजूद इस जानलेवा रोग की समाप्ति के लिए जारी जंग खत्म नहीं
हुई है.. ?
एचआईवी [चूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वाइरस], एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशिएंसी
सिड्रोम [एड्स] का प्रमुख कारण है। एड्स जानलेवा बीमारी है। एचआईवी सक्रमण
की अंतिम अवस्था एड्स है। वर्तमान में विश्व में साढ़े तीन करोड़ से ज्यादा
लोग एचआईवी से ग्रस्त हैं। इन दिनों भारत में लगभग 23.9 लाख व्यक्ति
एचआईवी/ एड्स पीड़ित है। वर्तमान आकड़ों के अनुसार एचआईवी पीड़ितों की सख्या
कम हो रही है और सक्रमण दर में भी गिरावट आ रही है।
इस साल की 'थीम'
इस वर्ष 'विश्व एड्स
दिवस' की थीम है- 'गेटिंग टू जीरो'। यानी नए एचआईवी सक्रमण की दर को शून्य
स्तर पर लाना और बेहतर इलाज के जरिये एड्स से ग्रस्त लोगों की मृत्यु दर
को शून्य स्तर पर लाना। इस थीम को सन् 2015 तक जारी रखा जाएगा।
एचआईवी क्या है
मानव शरीर में
कुदरती तौर पर एक प्रतिरक्षा तत्र [इम्यून सिस्टम] होता है, जो शरीर के
अंदर सक्रमण और बीमारियों का मुकाबला करता है। इसका सबसे महत्वपूर्ण अंग
होती है एक कोशिका [सेल] जिसे सीडी-4 सेल कहते है। आम तौर पर एक स्वस्थ
व्यक्ति के शरीर में 500 से 1800 सीडी-4/ सीयूएमएल पायी जाती है।
शरीर पर हमला
एचआईवी वाइरस शरीर
में प्रवेश कर सीडी-4 सेल्स पर हमला करता है, और उनमें अपनी सख्या बढ़ाकर
सीडी-4 सेल्स का विनाश शुरू कर देता है। कई सालों के दौरान धीरे-धीरे
सीडी-4 सेल्स कम होने लगती है, जिससे इम्यून सिस्टम कमजोर पड़ जाता है।
परिणामस्वरूप शरीर सामान्यत: सक्रमण और बीमारियों का सही तरह से मुकाबला
नहीं कर पाता। इस अवस्था को एड्स कहते हैं, जो अंतत: मृत्यु का कारण बनता
है। इस मर्ज में संक्रमण निरोधक शक्ति का धीरे-धीरे क्षय हो जाता है। इस
कारण साधारण सक्रमण भी जानलेवा बीमारी का रूप लेते है। टीबी [क्षयरोग],
डायरिया, निमोनिया, फंगल और हरपीज आदि ऐसे रोग हैं, जिनमें एचआईवी सक्रमण
इन रोगों को और जटिल बना देता है।
एचआईवी का प्रसार
* एचआईवी का एक मुख्य कारण सक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन सबध स्थापित करना है।
* ब्लड ट्रासफ्यूजन के दौरान शरीर में एचआईवी सक्रमित रक्त के चढ़ जाने से।
* एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति पर इस्तेमाल की गई इंजेक्शन की सुई का इस्तेमाल करने से।
* एचआईवी पॉजिटिव गर्भवती महिला गर्भावस्था के समय, प्रसव के दौरान या
इसके बाद अपना दूध पिलाने से नवजात शिशु को सक्रमणग्रस्त कर सकती है।
एड्स से सबधित जाचें
* एलीसा टेस्ट: केवल स्क्रीनिग व प्रारभिक जाच।
वेस्टर्न ब्लॉट टेस्ट: यह एचआईवी सक्रमण की खास जाच है, जो पॉजिटिव टेस्ट बताती है कि कोई शख्स एचआईवी से ग्रस्त है।
* एच.आई.वी. पी-24 एंटीजेन [पीसीआर]: एचआईवी की स्पष्ट जाच व रोग की तीव्रता की जानकारी पता चलती है।
* सीडी-4 काउट: इस परीक्षण से रोगी की प्रतिरोधक क्षमता का आकलन किया जाता है।
दूरदर्शन पर अक्सर ही
हम एक लाइन सुनते है एड्स के बारे में ... पर शायद ही हम से कोई भी इस पर
कोई ध्यान देता हो ... सब के अपने अपने कारण है ... और हर एक की समझ से वह
अपनी जगह बिलकुल सही है पर सत्य को इस से कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई उसके
बारे में क्या सोचता है ...सत्य हमेशा ही सत्य होता है ... अपनी जगह अटल
... और एड्स के मामले में सत्य यही है कि ...
यह आलेख आप ब्लॉग बुलेटिन पर पहले भी पढ़ चुके है ... पिछले साल ... पर क्या करें ...
आप तो जानते ही होंगे कि ...
जानकारी ही बचाव है ...
और आप तक जानकारी और नई नई पोस्टों के लिंक पहुंचाना हमारा असली मकसद !!
सादर आपका
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नज़्म : मर्द और औरत
हमने कुछ बनी बनाई रस्मो को निभाया ; और सोच लिया कि; अब तुम मेरी औरत हो और मैं तुम्हारा मर्द !! लेकिन बीतते हुए समय ने जिंदगी को ; सिर्फ टुकड़ा टुकड़ा किया …. तुमने वक्त को ज़िन्दगी के रूप में देखना चाहा मैंने तेरी उम्र को एक जिंदगी में बसाना चाहा . कुछ ऐसी ही सदियों से चली आ रही बातो ने ; हमें एक दुसरे से , और दूर किया ....!!! प्रेम और अधिपत्य , आज्ञा और अहंकार , संवाद और तर्क-वितर्क ; इन सब वजह और बेवजह की बातो में ; मैं और तुम सिर्फ मर्द और औरत ही बनते गये ; इंसान भी न बन सके अंत में ...!!! कुछ इसी तरह से ज़िन्दगी के दिन , तन्हाईयो की रातो में ढले ; और फिर तनहा रात उदास दिन more »
जानवर कौन?
नेताओं की जुबान। बेशर्मी की सारी हदें पार करतीं और मर्यादा को ताक पर रखकर कुछ भी बयान देने का शायद लायसेंस मिल जाता है नेताओं को। ऐसे ही एक नेता है, मणिशंकर अय्यर। ब्यूरोक्रेट्स से नेता बने अय्यर अपने विवादास्पद बयानों के लिए जाने जाते हैं और उन्होंने ताजा बयान दिया है, कि एफडीआई का विरोध करने वाले सांसद 'जानवर' हैं। अय्यर ने एक निजी न्यूज चैनल के एक कार्यक्रम में जिस अंदाज में अपनी बात की और बाद में अपनी बात पर टिके रहने का दावा किया, उससे साबित होता है कि वे एक अडिय़ल शख्स हैं और उनकी खुद की सोच-समझ किसी 'जानवर' से कम नहीं हैं, जो अपने सामने किसी को कुछ नहीं more »
बार-बार दिन ये आये....:)... (Part-2)
पिछली पोस्ट में आप सबके साथ अपने जन्मदिन की कुछ यादें शेयर कर रही थी न! तो बस आज उन्हीं यादों की अगली कड़ी लेकर हाज़िर हूँ ये है *7 नवम्बर 2005 *की कुछ यादें इस वर्ष मेरे साथ मेरा प्यारा भाई भी था और इस बार का केक मेरा अब तक का सबसे सुन्दर केक था.... पिंक कलर की प्यारी सी सुन्दर सी डांसिंग डॉल... सच्ची इस केक को तो काटने का ही मन नहीं कर रहा था..... आप भी देखिये.... है न केक बहुत ही सुन्दर !!! पहले तिलक... And then... Blow.....!!! और अब ये लीजिये केक भी कट गया सबसे पहले केक मेरे प्यारे भाई को उसके बाद मेरी बारी इस साल मैंने अपनी उम्र के चार वर्ष पूरे किये थे... और उसके बाद more »
फेसबुक वालों से इतनी दुश्मनी क्यों ?-- कानून अथवा तानाशाही ?
हर तरफ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन किया जा रहा है ! जिसे देखो उसे ही गिरफ्तार कर ले रहे हैं लोग ! कारण ? --उनके अहम् को ठेस पहुँच गयी ! सरकार तो इंतज़ार में ही बैठी थी की फेसबुक वालों की कलम तोड़ दी जाए ! इन गिरफ्तारियों को देखकर उन्हें तो मौक़ा मिल गया फेसबुक पर लिखने वालों के खिलाफ ! बना दिया क़ानून ! अब भुगतिए 66-A को, स्वतंत्र लेखन अब संभव ही नहीं है ! जी-हुजूरी का तडका तो लगाना ही पडेगा इन तानाशाहों के लिए ! अब न लोकतंत्र होगा , न ही आजादी , सिर्फ और सिर्फ बचेंगे तानाशाह और उनकी चाटुकार गुलाम जनता ! या तो तलवे चाटो या फिर गिरफ्तार हो जाओ! अपने अहम् को पोषित करने more »
सासूजी - दामाद जी
*यहाँ आपको मिलेंगी सिर्फ़ अपनों की तस्वीरें जिन्हें आप सँजोना चाहते हैं यादों में.... ऐसी पारिवारिक तस्वीरें जो आपको अपनों के और करीब लाएगी हमेशा...आप भी भेज सकते हैं आपके अपने बेटे/ बेटी /नाती/पोते के साथ आपकी **तस्वीर मेरे मेल आई डी- archanachaoji@gmail.com पर साथ ही आपके ब्लॉग की लिंक ......बस शर्त ये है कि स्नेह झलकता हो **तस्वीर में... * *आज की तस्वीर मे मैं हूँ अपने दामाद जी निलेश धार्वे के साथ--* * **और मेरा ब्लॉग--- "मेरे मन की"*
पोस्ट (सुन्दर हिंदी प्यारी हिंदी )
मुश्किल == अँधेरे में रहा करता है साया साथ अपने पर बिना जोखिम उजाले में है रह पाना बहुत मुश्किल ख्बाबो और यादों की गली में उम्र गुजारी है समय के साथ दुनिया में है रह पाना बहुत मुश्किल .. कहने को तो कह लेते है अपनी बात सबसे हम जुबां से दिल की बातो को है कह पाना बहुत मुश्किल ज़माने से मिली ठोकर तो अपना हौसला बढता अपनों से मिली ठोकर तो सह पाना बहुत मुश्किल कुछ पाने की तमन्ना में हम खो देते बहुत कुछ है क्या खोया और क्या पाया कह पाना बहुत मुश्किल मदन मोहन सक्सेना पोस्ट (सुन्दर हिंदी प्यारी हिंदी )
जागरण की संस्कारशाला !
आज के परिवेश में जब आज की पीढी को देखते हैं या फिर आज की नयी पौध को देख कर यही कहते हुए सुनते हैं कि पता नहीं कैसे संस्कार पाए है ? बच्चों को हम अपनी दृष्टि से कभी सुसंस्कृत नहीं पाते हैं लेकिन हम ये भूल जाते हैं कि ये संस्कार बच्चों को मिलें कहाँ से? परिवार , समाज, स्कूल और अपने परिवेश से - लेकिन अगर हम खुद को इस कसौटी पर कसे तो ये ही पायेंगे कि जहाँ हम संस्कारों की बात करते हैं वहां पर कितनी ऐसी बातें हैं जिनके बारे में पूर्णरूप से शायद हम भी परिचित नहीं है। फिर कुछ भी सीखने की कोई उम्र नहीं होती और ये भी जरूरी नहीं की हमारे बड़े सम्पूर्ण हों और उनसे छोटे हमेश... more »
धानी ओ धानी, तेरी चूनर का रंग कौन?
बचपन में पढ़ी हुयी बात थी 'तिरिया चरित्तर'...नारी के मन की बात ब्रम्हा भी नहीं जानते...वो बहुत छोटी थी...उसे लगता था कोई नारी नाम की औरत होती होगी...कोई तिरिया नाम की चिड़िया होती होगी...जैसे नीलकंठ होता है...एक पक्षी जिसे साल के किसी समय देखना शुभ माना जाता है. गाँव में बहुत दूर दूर तक फैले खेत थे. साल में कई बार गाँव जाने पर भी गाँव के बच्चों के साथ किसी खेल में उसका मन नहीं लगता था. तिलसकरात के समय उसे नीलकंठ हमेशा दिखता. गाँव के शिवाले से जाते बिजली के तार पर बैठा हुआ. बचपन की ये बात उसे सबसे साफ़ और अपने पूरे रंगों में याद है. हरे खेतों के बीच से खम्बों की एक सीधी more »
अतिथि तुम कब जाओगे
सर्दी खांसी और जुखाम आजकल है ये मेरे मेहमान तीन दिनों से पैर टिकाये नहीं ले रहे जाने का नाम ।। तीनों आये है पूरी तयारी संग कोई दिखता नहीं किसी से कम दिन रात है इनका पहरा ऐसा बंद हुई खुशिओं की दुकान।। शैतानी इनकी हरदम रहती जारी नहीं मानते ये किसी की बात जब डाक्टर आकर इनको धमकाता ये बन जाते बिलकुल अन्जान।। जब ये फरमाते है थोडा आराम हमें भी मिलती है थोड़ी राहत वरना इनकी जी-हुजूरी में फंसी हुई है अपनी जान।। बार- बार पूछता हूँ इनसे अतिथि तुम कब जाओगे ये मुस्कराकर देते है जबाब बहुत दिन बाद मिले हो जजमान सर्दी खांसी और जुखाम आजकल है ये मेरे मेहमान ।।
अहिस्ता आहिस्ता
** ** *[image: img1090304048_1_1]* ** *मिले जब मुझको ऐसे गम अहिस्ता आहिस्ता* *हुई तब आँख मेरी पुरनम अहिस्ता आहिस्ता* *छोड दिया जब साथ मेरा साये ने* *नाजाने होगई कहा मै गुम अहिस्ता आहिस्ता* *जुबा से तो कुछ भी निकलता नहीं* *फिर भी तन्हाई गाती है हरदम अहिस्ता आहिस्ता* *लहू दिल का उतर है मेरी आँख मे * *युही बेवजह मुस्कुराये जाते है हम अहिस्ता आहिस्ता* *आपकी याद है दिल का चैन जाना* *पर आपको भुलाये जाते है हमदम अहिस्ता आहिस्ता* *दिल में उठते गुबार से मायूस न हो* *सहरा को गुलजार बनाये जाते है हम अहिस्ता आहिस्ता*
लघुकथा : फूल और काँटे ...
===================बगिया में गुलाब का एक सुन्दर फूल लगा था उसे अपनी सुन्दरता पर बड़ा नाज था और जो भी उस गुलाब के फूल को देखता तो उसकी सुन्दरता की तारीफ किये वगैर न रहता . सुन्दरता को लेकर गुलाब के फूल और उसमें लगे काँटों के बीच बहस होने लगी . गुलाब ने अभिमान में आकर काँटों से कहा - मेरी सुन्दरता का सारा जग दीवाना है और तुम्हें मेरे पास रहकर तनिक भी शर्म नहीं आती . लोग मुझे भगवान को चढ़ाते है तो एक तुम लोग हो जो सदैव दूसरे लोगों को कष्ट देते हो . अच्छा होता की मेरा और तुम्हारा साथ न होता . काँटों ने दुखी होकर गुलाब के फूल से कहा - माना की तुम बहुत सुन्दर हो पर हम कांटे ही तुम्हारे सौंदर्य की रक्षा कर... more »
अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
बढ़िया बुलेटिन लिंक्स अच्छे है । धन्यवाद ब्लॉग बुलेटिन टीम ।
जवाब देंहटाएंबढिया जानकारी के साथ ब्लाग बुलेटिन।
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.....
बढ़िया जानकारी बढ़िया बुलेटिन.
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्यारे सूत्र..
जवाब देंहटाएंThanks for this informative bulletin.
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जवाब देंहटाएंजानकारी ही बचाव है ...
sach me...
आप सब का बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंशिवम् जी , आपका आभार . शुक्रिया मेरी नज़्म को शामिल करने के लिए. ब्लॉग बुलेटिंग बहुत अच्छी बन पढ़ी है .. धन्यवाद.
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