आज के बुलेटिन में देश दुनियां की समस्याओं से इतर कुछ और बात की जाए... आज अपनें देश के समॄद्ध ऐतेहासिक विरासत की बात करते हैं और हिन्दुस्तानियों की उनके प्रति उदासीनता की... एक से एक धरोहर हैं हमारे देश में लेकिन हम किसी का रखरखाव नहीं रख पाते। चलिए एक नज़र डाली जाए कुछ उदाहरणों पर..
(चित्र गूगल से साभार) |
देखिए प्यार का इज़हार कीजिए लेकिन हमारी इमारतों को क्यों बरबाद कीजिए.... एक से एक किले और एक से एक सुन्दर जगह हैं लेकिन हमें किसी की कद्र नही है। आखिर इतने उदासीन क्यों हैं हम... मैं जब भी विदेश गया हूं मैनें देखा है की विदेशों में एक छोटा सा तालाब भी होगा तो इतनें कायदे से मेनटेन होगा की क्या कहें... उसकी फ़ीस होगी और उस फ़ीस का पूरा पैसा उस तालाब के रखरखाव में खर्च हो रहा होगा। हिन्दुस्तान में तो ऐसे कितने तालाब होंगे और कितनें मेनटेन होंगे ?
मुम्बई से नज़दीक एलीफ़ैंटा केव्स के बारे में आपने सुना होगा, विश्व प्रसिद्ध यह गुफ़ाएं पांचवी शताब्दी की एक बेहतरीन विरासत हैं... इसमें एक व्यक्ति का पांच रुपया और एक विदेशी के लिए ढाई सौ रुपये का शुल्क लिया जाता है... मैं पिछली बार मेरे एक विदेशी मित्र को लेकर गया था.. ढाई सौ रुपया देनें के बाद उसे अन्दर आने दिया गया और मुझे केवल पांच रुपये में... पहले तो यही भेद उसे अखर गया और फ़िर अन्दर के टायलेट और आम आदमी के लिए तथा-कथित सुविधाएं देखकर उस फ़्रांसिसी नें प्रतिक्रिया में इतना ही कहा की तुम्हारी सरकार विदेशियों से बहुत पैसा लेती है लेकिन रखरखाव के लिए कुछ नहीं करती आखिर टायलेट इतना गन्दा क्यों है। मैं निरुत्तर था... वाकई कोई जवाब न था... वह बिल्कुल सही कह रहा था.. हर जगह बिखरे पालीथीन बैग्स, खाली बोतलें और गन्दगी का साम्राज्य को देख वाकई एक अपराधबोध हो रहा था। धन्य हैं हम हिन्दुस्तानी... कमोबेश यही स्थिति अजन्ता और एलोरा की गुफ़ाओं की भी हैं...
बनारस के घाटों की स्थिति भी कमोबेश ऐसी ही है... देखिए..
(चित्र गूगल से साभार) |
अपनी विरासत को जितना बरबाद हमनें किया है उतना शायद किसी ने न किया होगा... पैसा लेने में कोई पीछे न रहेगा लेकिन सुविधा देने और साफ़ सफ़ाई देनें में सबके बारह बज जाएंगे... आखिर क्यों... थोडा सोचिएगा और अगली बार जब किसी पर्यटक स्थल जाएं तो ध्यान रखें हिन्दुस्तान हम और आप से ही है और हिन्दुस्तान की क्षवि को बिगाडनें और गन्दगी बढानें से अपना ही नुकसान है....
चलिए तो फ़िर इसी संदेश के साथ हम आज के बुलेटिन् को आगे बढाते हैं
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दर्द की महक और हरकीरत...। भई वाह..
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हे भ्रष्टाचार ! तुम्हें नमन है .......... । आज के भारत का भगवान है भाई...
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स्त्रियाँ सावधान रहें ऐसों से--। एक सार्थक जानकारी..
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जिला अनुपपुर अपना। जी धीरेन्द्र जी कभी न कभी आपके अनूपपुर आएंगे...
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क्यों कहते,तुम अकेले हो। हम हैं ना...
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हर अदा पर निसार हो जाएँ...। वाह
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स्माइल प्लीज़..आज वर्ल्ड फोटोग्राफी डे है !!। ईशमाईल प्लीज़...
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वित्त मंत्री ने बैंकों से कर्ज सस्ता करने को कहा.। हो जाए तो अच्छा है.. उम्मीद तो न के बराबर ही है..
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एक बात जो कहनी है तुमसे ...। कहिए न फ़िर...
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तुम से प्यार करने की ऋत छा गई है ।। वाह..
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पीड़ा पर दुमदार दोहे। जै हो जै हो...
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जन्मदिन की मुबारकबाद गुलज़ार साहेब...। हैप्पी बड्डे गुलज़ार साहब...
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18 अगस्त पर कुछ चुभते सवाल। इन सवालों के ज़वाब हर हिन्दुस्तानी को चाहिए...
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नेताजी सुभाषचंद्र बोस : सच्चाई सिद्ध हो चुकी हैं| लेकिन बहुत कुछ जानना अभी भी बाकी है...----------------------------------------------
मित्रों आज का बुलेटिन यहीं तक.. कल फ़िर मुलाकात होगी... तब तक के लिए देव बाबा को अनुमति दीजिए...
जय हिन्द
वाकई हम लूटने में नंबर वन और देने में महाकंजूस हैं, यही शिकायतें हमें भी सुनने को मिलती हैं, और हम भी करते हैं ।
जवाब देंहटाएंहमें अपनेपन की असली समझ आ जाये...काश...
जवाब देंहटाएंसचमुच शर्मसार करने वाली है हमारी यह जागरूकता।
जवाब देंहटाएंइस गम्भीर विषय की ओर ध्यान दिलाने का शुक्रिया।
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हर अदा पर निसार हो जाएँ...
विरासत को बिगाड़ने में हम नागरिकों की जिम्मेदारी कम नहीं , सच ही !
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स !
सौंदर्य कहीं हो , उसे अपनी मंशाओं की बानगी देना भले विरासत में मिले न मिले - एक विकृत शांति मिलती है विकृत मानसिकता को ! समझाने की कोशिश की तो ऐसी गाली सुनने को मिलेगी कि पूछिए मत .... ये देश सिर्फ वीर जवानों का नहीं , बदमाशों का भी है - नागरिकता जो मिली है !
जवाब देंहटाएंआज का बुलेटिन के साथ तो जैसे टेलेपैथी सी हो गई. कुछ दिनों से यही ख़याल मन में भगदड़ मचाये हुए हैं.कभी तो निकलेंगे शब्दों के माध्यम से.
जवाब देंहटाएंसार्थक बुलेटिन.
जय हो देव बाबू ... बहुत सही सीख दी आज की बुलेटिन मे ... जय हो !
जवाब देंहटाएंहम खुद अपनी विरासत को संभाल नहीं पा रहे है और दोष दूसरों को देते है ... हद है लापरवाही की !
उम्दा लिंक्स से सजी सार्थक बुलेटिन के लिए साधुवाद !
sundar links.......sarthak buletin
जवाब देंहटाएंबढिया बुलेटिन
जवाब देंहटाएंक्या बात है