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शनिवार, 11 अगस्त 2012

और धोती पहनने लगे नौजवान - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रो ,
प्रणाम !

आजादी की लड़ाई का इतिहास क्रांतिकारियों के त्याग और बलिदान के अनगिनत कारनामों से भरा पड़ा है। क्रांतिकारियों की सूची में ऐसा ही एक नाम है खुदीराम बोस का, जो शहादत के बाद इतने लोकप्रिय हो गए कि नौजवान एक खास किस्म की धोती पहनने लगे जिनकी किनारी पर खुदीराम लिखा होता था!


कुछ इतिहासकार उन्हें देश के लिए फांसी पर चढ़ने वाला सबसे कम उम्र का देशभक्त मानते हैं। खुदीराम का जन्म तीन दिसंबर 1889 को पश्चिम बंगाल के मिदनापुर में त्रैलोक्यनाथ बोस के घर हुआ था। खुदीराम को आजादी हासिल करने की ऐसी लगन लगी कि नौवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़कर वह स्वदेशी आंदोलन में कूद पड़े। इसके बाद वह रिवोल्यूशनरी पार्टी के सदस्य बने और वंदेमातरम लिखे पर्चे वितरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
1905 में बंगाल विभाजन के विरोध में चले आंदोलन में भी उन्होंने बढ़ चढ़ कर भाग लिया। उनकी क्रांतिकारी गतिविधियों के चलते 28 फरवरी 1906 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन वह कैद से भाग निकले। लगभग दो महीने बाद अप्रैल में वह फिर से पकड़े गए। 16 मई 1906 को उन्हें रिहा कर दिया गया।
छह दिसंबर 1907 को खुदीराम ने नारायणगढ़ रेलवे स्टेशन पर बंगाल के गवर्नर की विशेष ट्रेन पर हमला किया, परंतु गवर्नर बच गया। सन 1908 में खुदीराम ने दो अंग्रेज अधिकारियों वाट्सन और पैम्फायल्ट फुलर पर बम से हमला किया, लेकिन वे भी बच निकले।
खुदीराम बोस मुजफ्फरपुर के सेशन जज किंग्सफोर्ड से बेहद खफा थे जिसने बंगाल के कई देशभक्तों को कड़ी सजा दी थी। उन्होंने अपने साथी प्रफुल चंद चाकी के साथ मिलकर किंग्सफोर्ड को सबक सिखाने की ठानी। दोनों मुजफ्फरपुर आए और 30 अप्रैल 1908 को सेशन जज की गाड़ी पर बम फेंक दिया, लेकिन उस गाड़ी में उस समय सेशन जज की जगह उसकी परिचित दो यूरोपीय महिलाएं कैनेडी और उसकी बेटी सवार थीं। किंग्सफोर्ड के धोखे में दोनों महिलाएं मारी गईं जिसका खुदीराम और प्रफुल चंद चाकी को काफी अफसोस हुआ।

अंग्रेज पुलिस उनके पीछे लगी और वैनी रेलवे स्टेशन पर उन्हें घेर लिया। अपने को पुलिस से घिरा देख प्रफुल चंद चाकी ने खुद को गोली से उड़ा लिया, जबकि खुदीराम पकड़े गए। मुजफ्फरपुर जेल में 11 अगस्त 1908 को उन्हें फांसी पर लटका दिया गया। उस समय उनकी उम्र सिर्फ 19 साल थी। देश के लिए शहादत देने के बाद खुदीराम इतने लोकप्रिय हो गए कि बंगाल के जुलाहे एक खास किस्म की धोती बुनने लगे।
इतिहासवेत्ता शिरोल ने लिखा है कि बंगाल के राष्ट्रवादियों के लिए वह वीर शहीद और अनुकरणीय हो गया। विद्यार्थियों तथा अन्य लोगों ने शोक मनाया। कई दिन तक स्कूल बंद रहे और नौजवान ऐसी धोती पहनने लगे जिनकी किनारी पर खुदीराम लिखा होता था।
पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम और आप सब की ओर से अमर शहीद खुदीराम बोस जी को शत शत नमन !!
सादर आपका 
============================= 
पर क्या

हर जगह है

अरे अभी से ...

इंतज़ार रहेगा

कौन

एक साथ ???

को नमन

कितने समझते है

अरे वाह ...

खून की खुशबू ... अरे बदमस्त है

कोनो नेता को लिखे है का ???

सुने और बताएं

एक रोटी का टुकड़ा ...

किसी की हुई गुल

सही बात

किस से किस की ...

ने रंग बदला क्या ...

सरकार ने फिर डुगडुगी बजाई

बधाइयाँ

कुछ भी समझ लीजिये

यह क्या है गोण्डोगोल ???

अब भी चलता है

क्या आज़ादी की ???

किस ने लिया 

पर क्या 
निकालने जरूरी है क्या

चलें ??

खुला हुआ सब के लिए 

तो मत हटाइए 

बहुत गलत बात है 

 =============================
घूरे आषी ...
  =============================
 अब आज्ञा दीजिये ...

वंदेमातरम !!

23 टिप्‍पणियां:

  1. शहीद खुदीराम बोस जी को मेरी ओर से भी शत शत नमन !!अच्छे लिक्स बढिया बुलेटिन..आभार..

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  2. शिवम् जी ..मेरी रचना को शामिल करने के लिए आप का बहुत बहुत आभर..

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  3. 11 august...:(
    thanks bhaiya is post ke liye...khudiraam bose ke baare mein aaj padhne ko to mila!!

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  4. क्या लोग थे वो दीवाने/या लोग थे वो अभिमानी...
    "घूरे आशी" बोलकर गए... मगर आजतक नहीं आए!! इतने कम उम्र के शहीद... !! स्मरण के लिए आभार शिवम बाबू!!

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  5. खुदी राम बोसे जी को शत शत नमन...
    आपका आभार इस सुन्दर बुलेटिन के लिए...
    और शुक्रिया मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए...........

    शुभकामनाएं शिवम जी.
    अनु

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  6. हम तो मुज़फ़्फ़रपुर से हैं। इसलिए उनके किस्सों के साथ बड़ा हुआ। और अब जहां काम करता हूं वह सड़क शहीद खुदी राम बोस रोड है जिस पर उनकी बड़ी सी मूर्ती लगी है। रोज़ दर्शन होते हैं।
    सादर नमन खुदीराम बोस को।
    हमारे पोस्ट को स्थान देने के लिए शुक्रिया।

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  7. अमर शहीद ''खुदीराम बोस'' जी को शत-शत नमन......मेरी पोस्ट को अपने ब्लॉग-बुलेटिन में स्थान देने के लिए आभार ....सभी लिंक्स बेहतरीन हैं...धन्यवाद.

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  8. bahut hi sundar links ..tatha meri pravishthi ko sthan dene ke liye saharsh dhanywaad....

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  9. आजादी के इस दीवाने को हार्दिक नमन।

    आपके बुलेटिन का स्‍टाइल पसंद आया। बधाई।

    ............
    महान गणितज्ञ रामानुजन!
    चालू है सुपरबग और एंटिबायोटिक्‍स का खेल।

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  10. मेरी ओर से भी अमर शहीद खुदीराम बोस जी को शत शत नमन !!
    इस सुन्दर बुलेटिन के लिए आपका आभार .... :)

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  11. एक और शहीद के बारे में अच्छी जानकारी मिली .
    आज़ादी के दीवानों को नमन .

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  12. ब्लॉग बुलेटिन वाकई जानकारीप्रद बुलेटिन है ...पढ़ने के लिए श्रेष्ठ चयन ...शुक्रिया शिवम...

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  13. खुदीराम बोस जी और उन जैसे समस्त शहीदों को शत-शत बार नमन. उन्होंने देश की खातिर प्राण दिए, इसीलिए हम जीवन का आनंद ले प् रहे हैं, वरना अभी तक हम गोरों की मार ही खा रहे होते.

    शिवम मिश्रा भाई वैसे आपने इस बुलेटिन में मिश्री घोल दी है.

    शुक्रिया व शुभकामनाएँ...

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  14. अमर शहीद खुदीराम बोस- जिन्दाबाद!
    इन्क्लाब- जिन्दाबाद!
    इन अमर शहीदों के सपनों का भारत बनना अभी बाकी है!
    इन्क्लाब की फिर जरुरत है!
    कल आँग्रेजों का साम्राज्य था- आज भ्रष्टों का साम्राज्य है!

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  15. शहीद खुदीराम बोस जी को शत शत नमन…………बहुत खूबसूरत बुलेटिन लगाया है।

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  16. खुदीराम बोस को शत शत नमन ! आजादी की इस वर्षगाँठ पर आपने उनके बारे बता कर उसे सफल बनाने का काम किया है.
    ब्लॉग बुलेटिन को इस रूप में प्रस्तुत करके नया रूप दिया है.
    रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद !

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  17. बढिया बुलेटिन
    मुझे स्थान देने का आभार

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  18. शहीद खुदीराम बोस जी को शत शत नमन
    मुझे स्थान देने का आभार

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  19. आजादी के परवानों में खुदीराम बोस अमर हैं....एक रिपोर्ट याद आ गई ..जो ये बताती थी कि कितने निर्मम होते थे अंग्रेज..प्रफुल्ल चाकी की मौत गोली लगने से नहीं हुई थी बल्कि उनकी हत्या की गई थई..। तथ्य सच के काफी नजदीक थे। वो रिपोर्ट याद नहीं आ रही.।

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  20. बहुत सुन्दर बुलेटिन, ऐसे शहीदों के कारण ही स्वयं पर विश्वास होने लगता है..

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