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गुरुवार, 14 जून 2012

अरे आप लिखते क्यूँ नहीं... लिखते रहें...

               आज कल जब अपने रीडर पर ब्लोग्स की तरफ का रुख करता हूँ, तो कईं ब्लोगरों की कमी बहुत खलती है... कई लोग जिंदगी की मशरूफियत में खो गए, तो किसी को अब लेखन आकर्षित नहीं करता.... आज के बुलेटिन में मैं लेकर आया हूँ कुछ ऐसे मिले जुले चिट्ठे, उन चिट्ठाकारों के जो नियमित लिखते हैं, जो आज कल कम लिखते हैं और उनके भी जिन्होंने कई दिनों से कुछ भी नया पोस्ट नहीं किया... तो बातें ज्यादा क्या करूँ बस घूमिये इन लिंक्स पर और प्रेरित कीजिये उन लोगों को जिन्होंने लिखना कम कर दिया है.... और अगर आपकी नज़र में भी कोई ब्लोगर है जिन्होंने कई दिनों से कुछ नहीं लिखा तो अनुरोध कीजिये उनसे यहाँ लौट आने का... निश्चित रूप से हम सभी, ऐसे लोगों को मिस कर रहे हैं...
इंतज़ार रंगों का
मुफ्त में करें नार्वे की यात्रा - भारत-नॉर्वे गल्पात्मक लेखन प्रतियोगिता ‘तुम्‍हारी नज़र से’
भाई
विश्व रक्तदान दिवसः राह चलते तैयार हो गए रक्तदान के लिए 
मुकम्मल सी वो कुछ यादें :दीप्ति शर्मा
डरता हूँ गाँव जाने से...
ग़ज़ल के बादशाह को आख़िरी सलाम
कभी कभी ना जाने क्यू ?
ज़रूरतें रात—दिन बढ़ती जाती हैं!
हाईवे हो या हिल्स , लेन ड्राईविंग इज सेन ड्राईविंग -- लेकिन सुनता कौन है !
आँखों से थोड़ी बारिश हो..
तलाश... संध्या शर्मा
महज़ हंगामा खड़ा करना ही इनका मकसद नहीं, कोशिश तो यह भी है, कि, इनकी दूकानें चलती रहनी चाहिये....
अब ऐसे लोगों के ब्लॉग के कुछ लिंक जो आज कल कम या बिल्कुल नहीं के बराबर ही लिख रहे हैं....
चार शख्स, चार मिजाज़
खिलौने वाला....
स्त्री क्या है तेरा अस्तित्व
हमारा एक छोटा प्रयास इन्हें इनका बचपन लौटा सकता है - -
मुझे प्यार में मांगना नहीं आता
बादल भी रोने लगे....
फिर एक इंतज़ार
दस्तक
"लोग समझते हैं मैं कवि हूँ"
संगम-तट की रेत पर दो जुड़वा पैरों के निशान
तीन क्षणिकाएं - नष्ट चाँद !
दो बजिया बैराग
सड़क पर औंधे मुंह पड़ा शहर..
आखिर मिल ही गए..
              और चलते चलते सतीश सक्सेना जी की तरफ से एक निमंत्रण स्वीकार कीजिये... दिनाक १६ जून शाम ५.३० बजे दिल्ली में उनकी किताब मेरे गीत का विमोचन समारोह हो रहा है... अरे हाँ साथ में आदरणीय रश्मि प्रभा जी के संपादन में ब्लौगरों के साझा कविता संग्रह खामोश, ख़ामोशी और हम  का भी विमोचन होगा... इस कविता संग्रह में मेरी भी ६ कवितायें संकलित हैं.... ज़रूर जाईयेगा....

27 टिप्‍पणियां:

  1. बड़ी मेहनत की है लिंक्स इक्कट्ठे करने में .

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  2. लिख तो रोज ही रहे हैं। आप पढ़ें तब ना...
    आदरणीय शास्त्री जी ,
    सादर नमस्कार । अजी कित्ता पढें और कित्ता पढते जाएं सच कहें तो पढते ही रहते हैं भर दिन रात दोपहर , ब्लॉग , फ़ेसबुक , गूगल सब जगह पर , आ सबको समेटने का प्रयास भी रहता है , और ऐसा ही सबके साथ रहता है । बुलेटिन , चर्चा मंच , वार्ता , नई पुरानी हलचल और अब तो चिट्ठाचर्चा भी खूब पढ लिख रहे हैं रोजिन्ना पढ लिख रहे हैं , तब भी सब कहते हैं ...आप पढें तब न :) :) :) लिखते रहिए पढते रहिए

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  3. बहुत बढ़िया शेखर जी...
    अच्छे लिंक्स....
    खामोश,ख़ामोशी और हम के लिए आपको बधाई...
    हमारी भी रचनाएं हैं उसमे :-)

    अनु

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  4. @ अजय भाई ...

    'ग़ालिब' बुरा ना मान जो वाइज बुरा कहे ...
    ऐसा भी कोई है कि सब अच्छा कहे जिसे ???

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  5. .
    .
    .
    प्रिय शेखर,

    यह भी खूब रही... ;)

    आभार!


    ...

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  6. वाह.... बुलेटिन का अलग और निराला अंदाज़....

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  7. बहुत बढ़िया....अच्छे लिंक्स हैं शेखर जी.....
    खामोश,ख़ामोशी और हम के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई...

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  8. शेखर जी,,,,आप जैसे लोग जब किसी के पोस्ट पर नही पहुचते तो अच्छा लिखने वाला किसके लिये लिखे,बेहतर है वह डायरी में लिखकर संतोष कर ले,,,,शास्त्री जी ने ठीक ही लिखा,,,,,,आप पढ़ें तब ना...

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  9. धीरेंद्र जी ,
    सादर नमस्कार ।यूं तो ये पोस्ट शेखर सुमन जी ने लगाई है किंतु बुलेटिन टीम की तरफ़ से स्पष्ट कर दूं कि ,जैसा कि मैंने पहले ही कहा है कि बुलेटिन की पोस्टों पर लिंक सहेजने वाले सभी साथी ब्लॉगर्स अपनी अपनी क्षमता , रुचियों और पसंद के अनुरूप ब्लॉग पोस्टों में से सहेज कर लिंक्स को यहां पाठकों के लिए उपलब्ध कराते हैं । रही बात डायरी में लिख कर संतोष कर लेने की तो बहुतों के लिए ब्लॉग लेखन डायरी की ही तरह है और बहुतों के लिए कुछ और ,रही बात पोस्टों को पढने की तो यहां तो हमने बहुत सी पोस्टें ऐसी भी पढ डाली हैं जो हमें लेखक ने ये कह कर पढवा दीं कि ये उनकी ही हैं :) हां शास्त्री जी ने ठीक लिखा ये हम भी मानते हैं , इसीलिए कहते है और अब भी कह रहे हैं ...लिखते रहिए पढतए रहिए

    शिवम भाई ...सहमत हैं आपसे
    'ग़ालिब' बुरा ना मान जो वाइज बुरा कहे ...
    ऐसा भी कोई है कि सब अच्छा कहे जिसे ???

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  10. बढ़िया लिंक्स इकठ्ठा किये हैं ..मेहनत से..

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  11. shukriya niraale andaz or utsaahvrdhan ke sath bloging ko nya rup dene ke liyen ..akhtar khan akela kota rajsthan

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  12. गजब लिखा शेखर भाई.... वईसे भी तुम्हारा कोई जवाब नहीं है वत्स... गज्जब लिंक लगाए....

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  13. आदरणीय शास्त्री जी और धीरेन्द्र जी... सबसे पहले तो मुझे अफ़सोस है कि मैं आपके ब्लॉग की पोस्ट्स तक नहीं पहुँच सका... लेकिन मेरे ख्याल से आपके वरिष्ठ और अनुभवी ब्लॉगर होने के नाते आपसे ऐसे व्यवहार की आशा नहीं करता हूँ... ये आप भी जानते हैं कि इस तरह के बुलेटिन या चिटठा चर्चा एक निःस्वार्थ भावना से की जाने वाली पहल है.... वरना इससे कौन सा हमें पैसे मिलने वाले हैं... जहाँ तक हो सके हर ब्लॉग पर घूम-घूम कर लिंक्स इकठ्ठा करने की कोशिश रहती है हमारी... बाकी तो आपकी अपनी मर्ज़ी, और आपकी अपनी सोच....
    यहाँ तक आने का धन्यवाद ...

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  14. बढ़िया बुलेटिन ..... मैं भी लगी रहती हूँ लिंक्स की खोज में .... और पढ़ना तो पड़ता ही है :)

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  15. धन्यवाद शेखरजी , कोशिश जरुर रहेगी !

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  16. @ बाकी तो आपकी अपनी मर्ज़ी, और आपकी अपनी सोच....

    is pankti me deekta kuch rosh'........


    pranam.

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  17. बढ़िया लिंक्स एवं बढ़िया बुलेटिन ! खामोश, खामोशी और हम के लिए बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं !

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  18. भाई शेखर, बढ़िया लिंक्स इकठ्ठा किये हैं !!! शुक्रिया !!!!

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  19. बेहतरीन लिंक्‍स प्रस्‍तुति के लिए बधाई ... आभार ।

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  20. सही बात है कि‍ कम लि‍खने वालों को भी कहा जाना चाहि‍ए कि‍ भई लि‍खि‍ए न

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  21. बहुत बहुत धन्यवाद शेखर सुमन ! चर्चाओं में अपनी पोस्ट को देखना किसे अच्छा नहीं लगता है .... यही अच्छा लगना भी तो एक नशे के जैसा है .... और सच कहें तो एक प्रेरणा भी है और लिखते रहने के लिए .... यकीन करिये .... मैंने लिखना छोड़ नहीं दिया है ... अबस अभी जिंदगी का एक ऐसा दौर चल रहा है कि ... बस मत पूछिए .... उम्मीद है कि धीरे धीरे फिर से लिखने लगूंगा ... लिखना अच्छा लगता है ... मन कि बातें कह पाता हूँ ....
    और आपको बहुत बहुत धन्यवाद मेरे इस पोस्ट को शामिल करने के लिए .... अच्छा लग रहा है कि लोग अभी पूरी तरह भूले नहीं है ... शायद तब लिख पुन जब हर कोई पूरी तरह भुला दे ....

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  22. shekar ji aapka bahut bahut shukriya meri post shamil karne ke liye ... main jald hi wapis lautungi .. wo bhi zor shor ke saath ... mera thesis ka kaam last phase mein hai .. bas wo hi khatam karna hai .. isi liye facebook bhi deactivate ker rakha hai ... bas thoda aur waqt dijiye .. jald mulaqaat hogi ... dhanyawaad :))))

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